नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को यूरोपीय संसद में मणिपुर की स्थिति पर चर्चा किए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि देश के आंतरिक मामलों में कोई भी हस्तक्षेप “अस्वीकार्य है और औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है”।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यूरोपीय संसद में जातीय संघर्ष से प्रभावित मणिपुर के विकास पर चर्चा के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा, “हमने देखा है कि यूरोपीय संसद ने मणिपुर के घटनाक्रम पर चर्चा की और एक तथाकथित अत्यावश्यक प्रस्ताव अपनाया। भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप अस्वीकार्य है और यह औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है।”
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका सहित सभी स्तरों पर भारतीय अधिकारी मणिपुर की स्थिति से अवगत हैं और शांति और सद्भाव तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठा रहे हैं।
बागची ने कहा, “यूरोपीय संसद को अपने आंतरिक मुद्दों पर अपने समय का अधिक उत्पादक ढंग से उपयोग करने की सलाह दी जाएगी।”
इससे पहले गुरुवार को फ्रांसीसी शहर स्ट्रासबर्ग में यूरोपीय संसद ने भारत सरकार से मणिपुर में हिंसा को रोकने और धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए “तुरंत” कार्रवाई करने का आह्वान किया। इस मुद्दे पर बहस के बाद हाथ उठाकर इस मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया गया।
पिछले दो महीनों में मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और कुकी ईसाइयों के बीच जातीय हिंसा में 140 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।