Saturday, May 25, 2024

आतंकवाद से जूझ रहे भारत को कड़े निर्णय और सेना को सशक्त बनाने की आवश्यकता

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आतंकवादी हमारे देश में फिर से घुसपैठ करने की कोशिश करने लगे हैं । अभी हाल में  आतंकवादियों के हाथों सेना के कई जांबाज़ अफसर मारे गए । ये अब आये दिन की बात हो गई है। एक तरफ हम कुछ आतंकवादियों को मारते हैं लेकिन दूसरी तरफ फिर से नए आतंकवादी सर उठाने लगते हैं। ये अब अंतहीन सिलसिला हो गया है । पाकिस्तान आर्मी और वहाँ की आई एस आई निरंतर इन्हीं कामों में लगी हुई है  क्योंकि उस  देश के पास करने को अब कुछ नही बचा है। पाकिस्तान की जनता महंगाई और भुखमरी से त्रस्त है लेकिन वहाँ के सियासत में बैठे लोग सिर्फ भारत में आतंकवादियों को भेजकर खुश हैं। वैसे भारतीय सेना लगातार उन आतंकवादियों को उनके सही ठिकाने पर पहुँचाने का काम निरन्तर कर रही है और आगे भी करती रहेगी लेकिन एक बार पाकिस्तान को कड़ी सबक सिखाने का वक्त आ गया है।
आज गिलगिट और बिलोचिस्तान के भारत में मिलने की आवाज बुलंद होने लगी है  और यही सही वक्त है कि भारत बांग्लादेश की तरह पी ओ के को भी पाकिस्तान के चंगुल से आजाद करवा दे। वैसे ऐसी स्थिति में पाकिस्तान से लंबी जंग लडऩे की जरूरत पड़ सकती है और दूसरा पाकिस्तान के पास अब परमाणु बम भी है।
1971 वाली स्थिति अब नही है इसलिए बहुत सोच समझकर कदम उठाना होगा लेकिन अब केवल सर्जिकल स्ट्राइक से काम नही चलने वाला है।वैसे सेना के शहादत पर सरकार की खामोशी से ये जरूर महसूस हो रहा है कि भारतीय सेना की तरफ से कुछ बड़ा होने वाला है। शायद इसकी तैयारी गुपचुप तरीके से शुरू हो गई है । केवल समय निर्धारित करना है।संभवत: एक या दो महीने में ऐसी सर्जिकल स्ट्राईक की संभावना जरूर है लेकिन इस बार कुछ ऐसा करना होगा जिसमें पाकिस्तान को दिये जाने वाले चोट उसे वर्षों तक याद रहे।
फ्रांस से मिले रॉफेल लड़ाकू विमानों की सही टेस्टिंग अभी बाकी है। इसको आजमाना चाहिये।हथियार केवल रखरखाव के लिए नहीं होना चाहिए बल्कि उसे समय समय पर उसकी उपयोगिता को साबित भी करना होगा।वैसे पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति में हमें चीन के साथ परोक्ष रूप से लडऩा होगा क्योंकि आज चीन का हाथ पाकिस्तान के सर के ऊपर है।आज पाकिस्तान चीन के सरपरस्ती के कारण उछलकूद मचाने में सक्षम है। चीन भी पाकिस्तान को अपने कर्ज के जाल में धीरे धीरे फँसाता जा रहा है।आने वाले समय में पाकिस्तान का भी हाल श्रीलंका जैसा होने वाला है।वैसे ये अलग बात है कि पाकिस्तान को इस्लाम के नाम पर मुस्लिम देशों से मदद मिलता रहेगा। पाकिस्तान आज अरब देशों के दिये गए भीख के बदौलत ही चल रहा है।अगर मुस्लिम देशों से पाकिस्तान को मदद नही मिले तो पाकिस्तान बुरी तरह कंगाल हो जाएगा और आज भारत पाकिस्तान से युद्ध करता है तो सारे मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की मदद के लिए अप्रत्यक्ष रूप से आगे आ जाएंगे।इसलिए भारत को बहुत सोच समझकर कदम उठाने की जरूरत है लेकिन मौजूदा हालात में पाकिस्तान को सबक सिखाने की निहायत जरूरत है।
आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही में मुखबिरों की अहम भूमिका होती है  लेकिन इस बार सेना का मुखबिर आतंकवादियों का मोहरा था इसलिए हमारे जांबाज अफसर मारे गए। हमारे यहाँ इंटेलिजेंस फेलियर की समस्या शुरू से रही है।हमारी गुप्तचर विभाग उस स्तर की कभी नहीं रही जैसा सी आई ए या मोसाद या के जे बी की रही। हमसे बेहतर पाकिस्तान की आई एस आई है जो निरंतर भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचने में सफल रही है।भारत का गुप्तचर विभाग कभी भी ऐसा करने में सफल नहीं होता  कि किसी दुश्मन देश में जाकर वहाँ भागकर गए अपराधियों का खात्मा कर सके। आज तक हम दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान में जाकर नहीं मार पाए। दरअसल ये गुप्तचर विभाग का ही काम है। अमेरिका लादेन को पाकिस्तान में जाकर मार देता है लेकिन हम अभी ऐसा कुछ करने में सक्षम नहीं हो पाए हैं।
दरअसल हमें अपनी काबिलियत और बढ़ानी होगी। जब तक दूसरे देश में जाकर अपने दुश्मनों का सफाया करने में अगर हम सफल नहीं हो पा रहें हैं तो इसका मतलब साफ है कि हमारी खुफिया एजेंसियां अभी इस लायक नहीं हुईं हैं। सरकार को इस दिशा में गहराई से काम करने की जरूरत है। गुप्तचर ही किसी राष्ट्र के सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण अंग होते हैं। आज कश्मीर में सही –  सही सूचना सेना को नहीं मिल पाती है  और जो मिलती भी है वह आधी अधूरी रहती है। दरअसल आम जनता इन सब मामलों से अनभिज्ञ रहती है। आतंकवादी के खिलाफ सेना की कार्यवाही ऐसे ही नहीं होती है।उसमें सूचना का महत्वपूर्ण योगदान होता है।इसलिए इस तंत्र को और मजबूत करना होगा वरना हमारे सेना के बहादुर अफसरों की जान इसी तरह जाती रहेगी।
सबसे बड़ी परेशानी अपने कुछ नेताओं से है जो अभी भी पाकिस्तान से वार्ता करने के पक्ष में हैं । उनमें कश्मीर के फारुख अब्दुल्ला ,महबूबा मुफ्ती और सैफूदीन सोज जैसे नेता शामिल हैं। दरअसल ये नेता शुरू से आतंकवाद के विरुद्ध कठोर नहीं रहें हैं  और इनके चलते ही कश्मीर आतंकवादी संगठनों पर कोई रोक नहीं लग सकी। इन्हीं नेताओं की  शिथिलता से कश्मीर में रोज पत्थरबाजी की घटना होते रहती थी। आज जब वहाँ आर्मी सेना के जवानों के हाथ में सारी व्यवस्था है तो घाटी में अभूतपूर्व शांति है। देश भर के पर्यटक आज बेख़ौफ़ होकर वहाँ घूमने-फिरने आ रहे हैं।कश्मीर में पर्यटन में बहुत इज़ाफ़ा हुआ है। छिटपुट घटनाओं को रोकना बहुत मुश्किल है क्योंकि कश्मीर में भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि आप वारदात करके कहीं भी छुप सकते हैं। ऐसी स्थिति में सेना की कार्यवाही में भी बहुत कठिनाई आती है।फिर भी भारतीय सेना पूरी तत्परता से अपना कार्य करती है। आज जरूरत है सेना को आधुनिक से आधुनिक हथियारों से लैस करने की। इसमें कोई कोताही नहीं होनी चाहिए।
सबसे जरूरी चीज जो सेना के हर जवानों के लिये जरूरी है वह बुलेटप्रूफ जैकेट की जिसे कश्मीर में सेना के हर जवान को उपलब्ध होना चाहिए ताकि उनकी जान की हिफाज़त हो सके।वैसे मौत जिस विधि आनी है उस विधि आ ही जाती है। उसको कोई रोक नहीं सकता है लेकिन बुलेटप्रूफ जैकेट से थोड़ी बहुत सुरक्षा जरूर होती है। देश की सुरक्षा के लिए आज सबसे ज्यादा जरूरत सेना को आधुनिक करने की है।देश के अंदर भी बहुत से ऐसे तत्व मौजूद हैं जो आने वाले दिनों में देश के लिए खतरा बन सकते हैं । इसलिए उन तत्वों से सेना को ही निपटना होगा।दरअसल हमारे पुलिसबल को भी सेना के तर्ज पर आधुनिक करने की जरूरत है।पुलिस बल में भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या है और इसके निदान के लिए अंग्रेजों के समय की पुलिस व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है।पुराने ढर्रे से आज की समस्या से नहीं निपटा जा सकता है।समय के साथ हर चीज में परिवर्तन की जरूरत होती है और पुलिस सिस्टम भी इससे अलग नहीं हो सकता है।
दरअसल हम भारतीयों की ये मानसिकता होती है कि जो चीज जैसा चल रहा है उसे वैसा ही चलने दो , जब तक उससे कोई बड़ी समस्या ना उत्पन्न हो जाये। आजादी के बाद से देश हमारा आगे बढ़ रहा है और पिछले एक-डेढ़ दशक में देश ने अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है जिसमें सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में कुछ ज्यादा ही हुआ है। कृषि के क्षेत्र में सतत सुधार हो रहा है।विज्ञान के क्षेत्र में हम नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं लेकिन एक क्षेत्र जिसमें आज भी सुधार की गुंजाइश है वह है हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द का जिसमें आये दिन सेंध लगते रहता है। देश के किसी ना किसी हिस्से में हिन्दू – मुस्लिम समुदाय में टकराव होते ही रहता है।इसमें सबसे ज्यादा जिम्मेदार नेता लोग हैं।उनकी वजह से हमेशा टकराव एवं दंगे भड़कते हैं।पूरे देश में मुस्लिम एवं हिन्दू वर्ग से एक जिम्मेदार नेता नहीं हैं जो भाईचारे का पाठ पढ़ायें। देश में मुस्लिम एवं हिन्दू समाज के जो भी नेता हैं वे हमेशा हिंदुओं एवं मुस्लिमों के प्रति नफरत फैलाने की चेष्टा करते हैं। इसलिए इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा।
-डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी

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