Friday, November 22, 2024

जानकारी: हमारा सौर मंडल कैसा है ?

अभी कुछ दिनों पहले हम सभी ने सूर्य ग्रहण का अविश्वसनीय दृश्य देखा। दिन में तारे देखने जैसे इस अनुभव के बाद बहुत से लोग सौर मंडल के संबंध में विस्तार से जानने के इच्छुक होंगे। आप सबकी इसी मांग को ध्यान में रखकर प्रस्तुत है यह आलेख। सौर शब्द का अर्थ है सूर्य का या सूर्य संबंधी। इसी प्रकार सौर मंडल का अर्थ होता है सूर्य के आसपास का क्षेत्र, परिवेश, वृत्त या वृत्ताकार फैलाव। इसमें हम नक्षत्रों व ग्रहों को ही शामिल करते हैं तथा उसे सूर्य मंडल या सौर मंडल के नाम से जानते हैं।

हमारे इस सौर मंडल का केंद्र है सूर्य। बाकी नव ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इन नौ ग्रहों के नाम हैं-बुध, शुक्र , पृथ्वी, शनि, मंगल, बृहस्पति, प्लूटो, नेप्च्युन और यूरेनस।

इन नवग्रहों को साधारण भाषा में नवग्रह भी कहा जाता है। पूजा पाठ के समय आपने पण्डित जी के मुंह से नवग्रह की पूजा शब्द अवश्य सुना होगा। वैज्ञानिकों का मानना है किसी किसी समय एक विशाल उल्का या जिसे पुच्छल तारा भी कहा जाता है, अंतरिक्ष में घूमता-घूमता सूर्य के पास से गुजरा था। इससे सूर्य में व्याप्त पदार्थ राशि के टुकड़े-टुकड़े हो गए। वे बंटकर उक्त ग्रह बन गए और सूर्य के चारों ओर चक्कर काटने लगे।

एक और वैज्ञानिक चैंबरलेन का भी मानना है कि ग्रहों और उपग्रहों की उत्पति सूर्य और सूर्य के समान ही एक अन्य तारे के संघर्ष के परिणाम स्वरूप हुई है।
इस विषय में वैज्ञानिक सूर्य जैसे नक्षत्रों का निर्माण, हीलियम, हाइड्रोजन तथा ब्रह्मांडीय धूलिकाओं से हुआ है ऐसा मानते हैं। कालांतर में इनमें धीरे-धीरे सघनता आई और इनका आयतन बढ़ता गया। इन सब घटनाओं के होने का समय है दस करोड़ वर्ष पूर्व का। इस प्रकार हम सौर मंडल और उनके ग्रहों की उत्पति से परिचित होते हैं।

यहां यह उल्लेखनीय है कि सौर मंडल की उत्पति का यह सिद्धांत 1943 में फोन वाइस्साकर नामक वैज्ञानिक ने प्रतिपादित किया था और यह भारत के डाक्टर चंद्रशेखरन और टेरहार  जैसे वैज्ञानिक के द्वारा भी उचित माना गया था।
सौर मंडल में आज भी ऊर्जा, ताप धूलि, धूलिबादल, गैसीय पदार्थ, घूलिकण आदि इधर-उधर बिखरे पड़े हैं तथा ये आज भी खोज, शोध और विभिन्न अविष्कारों के विषय हैं। इस प्रकार सूर्य और सूर्य का परिवार जिसे हम सौर मंडल कहते हैं, बड़ा ही रोचक विषय है।

सूर्य स्वयं आज भी खोज और शोध तथा अविष्कार का विषय है। यहां एक और बात अधिक उल्लेखनीय है कि हमारे प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों या विद्वानों ने आचार्यों या पंडितों ने यह बात आज से हजारों हजार साल पहले खोज ली थी कि किस  प्रकार सूर्य एक नक्षत्र है और नवग्रह उसकी परिक्रमा करते हैं। उन्होंने सूर्य को देवता माना और उसके साथ उसके ग्रहों की पूजा भी की।

हमारे प्राचीनतम ग्रंथों को जिन्हें हम वेद के नाम से जानते हैं, में सूर्य को देवता मानकर उनकी उपासना की गई है तथा ये वेद उक्तियां सूर्य प्रशंसा या उत्पति में लिखी गई। एक वर्ष 68400 दिन का माना जाता है। वजन में यह 15 पृथ्वियां के बराबर का आंका गया है। इसके आसपास तीन साढ़े तीन सौ किलोमीटर का वायुमंडल है। यह ग्रह एकदम ठंडा है।

नेप्चून ग्रह की खोज बर्लिन वेधशाला के दो वैज्ञानिकों ने की जिनके नाम जोहान गाले  और हैनरिश डी अरेस्ट  है। यह ग्रह 164 वर्ष तथा 8 माह में सूर्य का एक चक्कर पूरा करता है।  इसका एक वर्ष लगभग 90,000 दिनों के बराबर का होता है। प्लूटो की खोज लावेल नामक वैज्ञानिक ने प्रारंभ की थी पर वे इसे पूरा नहीं कर पाए। बाद में अन्य वैज्ञानिकों ने इस काम को संभाला। यह खोजा गया कि यह ग्रह 282 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा करता है तथा यह सूर्य से 40000000 किलोमीटर के लगभग दूर है। इसका भारतीय नाम यम है।

सौर मंडल के इन ग्रहों में मंगल के बारे में बड़ी उत्सुकताएं वैज्ञानिकों को हैं जहां जीवन होने की संभावनाएं हैं। उसी प्रकार बृहस्पति के बारे में हम सर्वाधिक जान चुके हैं चूंकि यहां खोज और शोध करना आसान है। इस प्रकार अत: यह काम निरंतर जारी रहता ही है। इस प्रकार सौरमंडल की जानकारी बहुत रोचक, आकर्षक और ज्ञानवर्द्धक है।
– ललित नारायण उपाध्याय

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