Thursday, September 19, 2024

जेल में निर्दोष शिक्षक ने बिता दिये ज़िंदगी के साढ़े सात वर्ष,आखिरकार हुए आजाद

कन्नौज -उत्तर प्रदेश की कन्नौज जिला कारागार में दहेज हत्या के एक मामले में सजा काट रहे एक शिक्षक को साढ़े सात साल बाद आखिरकार न्यायालय ने आरोपों की पुष्टि न होने पर तत्काल रिहा करने के आदेश दिये हैं ।

जनपद न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने विगत साढ़े सात वर्षों से ज़िला कारागार में दहेज हत्या के मामले में निरुद्ध ज़िले के सौरिख थाना क्षेत्र के नादेमयू में प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक एसपी नारायण को उन पर लगाये गये आरोपों की पुष्टि न हो पाने के कारण दोषमुक्त करते हुए तत्काल रिहा करने के आदेश दिये हैं।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

ज़िले के सौरिख थाना क्षेत्र के नादेमऊ में शिक्षक एसपी नारायण अपनी पत्नी संध्या के साथ रहते थे। दोनों की एक पुत्री भी थी, 13 अप्रैल 2016 को एसपी नारायण की पत्नी संध्या की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। संध्या की मृत्यु हो जाने की सूचना मिलने पर पहुँची सावित्री देवी ने एसपी नारायण व उसके परिजनों पर दहेज हत्या का आरोप लगाते हुए मुक़दमा पंजीकृत करा दिया।

मामले में पुलिस ने मौक़े से ही एसपी नारायण को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया और इसी मामले में उसके भाई गुड्डन उर्फ़ अभिलाष निवासी जगनपुरा थाना अजीतमल ज़िला औरैया को भी जेल भेजा गया। गुड्डन की जमानत हो गई लेकिन एसपी नारायण की ज़मानत नहीं हो सकी। इस दौरान उसके घरवाले भी धीरे धीरे दूर होते चले गये और किसी ने पैरवी करने के लिए अधिवक्ता भी नहीं किया। जिस कारण एसपी नारायन जेल में ही निरुद्ध रहा।

जनवरी 2023 में जेल में निरुद्ध एसपी नारायण ने निःशुल्क विधिक सहायता के लिए जेल से कोर्ट में अनुरोध किया। ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा चीफ़ लीगल एड डिफ़ेंस काउंसिल को एसपी नारायण के मुक़दमे की पैरवी हेतु नियुक्त किया गया। मामले में सह अभियुक्त गुड्डन की भी पैरवी चीफ़ लीगल एड डिफ़ेंस काउंसिल ने की।

मामले के विचारण के दौरान अभियोजन ने गवाहों को प्रस्तुत किया। अभियोजन की ओर से प्रस्तुत गवाहों के बयानों में भिन्नता मिली। विचारण के दौरान यह भी तथ्य आया कि घटना के समय एसपी नारायण स्कूल में था और घर पर कोई नहीं था। चीफ़ डिफ़ेंस काउंसिल ने बताया कि ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण की पूर्णकालिक सचिव लवली जायसवाल के निर्देशन में आरोपियों की ओर से निःशुल्क पैरवी की और अपना पक्ष रखा। विचारण के दौरान अभियोजन आरोपों को साबित नहीं कर सका।
जनपद न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने विचारण के दौरान मिले साक्ष्यों व गवाहों के बयानों के आधार पर शिक्षक व उसके भाई को दोषमुक्त करार दिया।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,334FansLike
5,410FollowersFollow
107,418SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय