Sunday, May 12, 2024

उत्तर प्रदेश के जेल अधीक्षकों से हर माह समय पूर्व रिहाई वाले कैदियों की जानकारी लेने के निर्देश

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में दोषी कैदियों की समय पूर्व रिहाई के मामले पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकार को निर्देश दिया कि वो हर जिले की जेलों के जेल अधीक्षक से हर महीने जानकारी एकत्र करेंगे कि जेल में बंद ऐसे कौन दोषी कैदी हैं, जिनकी समय पूर्व रिहाई की जा सकती है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।

कोर्ट ने राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकार को ये भी पता लगाने को कहा कि कौन से मामले में यह छूट राज्य की ओर से दी जा रही है तथा नीति के तहत पारदर्शी और प्रभावी तरीके से समय पूर्व रिहाई का लाभ दिया जा रहा है। कोर्ट ने राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकार को निर्देश दिया कि वो पहली अप्रैल, पहली अगस्त और पहली दिसंबर को इस पर निगरानी के लिए बैठक करेगा। ये बैठक कोर्ट के आदेश का सही से पालन करने के लिए राज्य के गृह विभाग के इंचार्ज के साथ जेल महानिदेशक करेंगे।

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वो कानूनी नियमों के तहत समय से पूर्व रिहाई पर अदालत के निर्देशों के तहत कार्य करेगा और मामलों का तीन महीने में निपटारा किया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि ऐसे दोषियों की आनलाइन सूची तैयार की जाएगी, जिससे इसकी जानकारी आसानी से मिल सके कि कौन से दोषी कैदी हैं, जो समय से पूर्व रिहाई के योग्य है।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में उम्रकैद की सजा में बंद दोषियों की समय से पूर्व रिहाई के मामले में नोटिस जारी किया। कोर्ट ने इन राज्य सरकारों से कहा कि वे इस बात का जवाब दें कि वे दोषी कैदियों के समय से पूर्व रिहाई के लिए किस तरह से प्रक्रिया अपना रहे हैं।

कोर्ट ने 5 जनवरी को उत्तर प्रदेश के जेल महानिदेशक को व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर बताने को कहा था कि लंबे अरसे से जेल में बंद सजायफ्ता कैदियों की समय से पहले रिहाई के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वो राज्य के सभी जेलों में जाकर ऐसे कैदियों का पता लगाए, जिनकी समय से पहले रिहाई हो सकती है। सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बिना कैदी की तरफ से आवेदन मिले भी रिहाई पर विचार किया जा सकता है।

कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के जेल महानिदेशक को निर्देश दिया था कि वो व्यक्तिगत हलफनामा में ये बताएं कि रशीदुल जफर बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले के मुताबिक क्या कदम उठा रहे हैं। कोर्ट ने ये भी बताने का निर्देश दिया था कि वो हर जिले में समय पूर्व रिहा हो सकने वाले कैदियों की संख्या बताएं। कोर्ट ने राज्य सरकार के अगस्त 2018 के उस नीति का जिक्र किया था, जिसमें उम्रकैद की सजा पाए कैदियों को हर गणतंत्र दिवस के दिन समय पूर्व रिहा करने का प्रावधान किया गया है। इस नीति में समय पूर्व रिहा होने वाले कैदियों का वर्गीकरण किया गया है।

Related Articles

STAY CONNECTED

74,237FansLike
5,309FollowersFollow
47,101SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय