पटना। जदयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां देश के विपक्षियों को एकजुट करने में जुटे हैं, वही उनकी ही पार्टी में आंतरिक कलह अब सड़कों पर दिखने लगा है।
पार्टी के विधान पार्षद रामेश्वर महतो ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा पर पार्टी के कमजोर करने का आरोप लगाया तो पार्टी अध्यक्ष ने महतो को ही धूर्त और आधारहीन बताते हुए कहा उनके बयान पर नोटिस नहीं लेता। उमेश कुशवाहा ने कहा कि किसी भी पार्टी में नीति, सिद्धांत और प्रोटोकाल है। किसी की बात अगर प्रदेश अध्यक्ष द्वारा नहीं सुनी जा रही है तो वे राष्ट्रीय अध्यक्ष के यहां जाकर अपनी बात रखते। पार्टी का प्लेटफार्म है।
उन्होंने रामेश्वर महतो पर ही आरोप लगाया कि कभी वे भाजपा की तारीफ करते हैं तो कभी उपेंद्र कुशवाहा का गुणगान करने लगते हैं। पार्टी द्वारा कारवाई करने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पार्टी उनके बयानों पर कोई नोटिस नहीं लेती।
इससे पहले महतो ने प्रदेश अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुशवाहा संकुचित विचार से काम कर रहे हैं, जिससे पार्टी को कभी भला नहीं हो सकता है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की महानता है कि उन्होंने उमेश कुशवाहा को फिर से पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। एमएलसी महतो ने साफ लहजे में कहा कि उमेश कुशवाहा को जिस तरह से पार्टी को मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए वे नहीं कर पा रहे हैं और सिर्फ गुटबाजी में फंसकर रह गए हैं।
उन्होंने कुशवाहा को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें पार्टी के सभी लोगों को साथ लेकर चलना चाहिए, लेकिन वे संकुचित विचार से पार्टी चलाना चाह रहे हैं। उन्होंने कहा कि उमेश कुशवाहा के कार्यों से यही लगता है कि पार्टी मजबूत हो या नहीं हो इससे उनको कोई मतलब नहीं है, वे खुद कैसे मजबूत हों इसमें अधिक दिमाग लगाते हैं। हमें अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर पार्टी की मजबुती के लिए काम करना चाहिए।
एमएलसी ने यहां तक आरोप लगाया कि वे कुछ नेताओं को दरकिनार करना चाहते हैं जिससे उनकी स्वार्थसिद्धि हो सके।