मुजफ़्फरनगर। गत 2 अक्टूबर 1994 को दिल्ली देहरादून हाइवे पर रामपुर तिराहा पर उत्तराखंड समर्थकों पर पुलिस फायरिंग व महिलाओं पर अत्याचार के मामले में आज सीबीआई के आईओ एके शर्मा के बयान दर्ज हुए, लेकिन बचाव पक्ष की ओर से जिरह नहीं हो सकी।
एडीजे 7 शक्ति सिंह ने जिरह के लिए 6 अक्टूबर नियत की है। बता दें कि आज वकीलों के नो वर्क के कारण जिरह नहीं हुई। मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा कांड में सीबीआई के विवेचक अजय कुमार की गवाही कराई गई। साक्ष्य पर जिरह के लिए छह अक्तूबर की तिथि तय की गई है।
अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने सुनवाई की। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह, उत्तराखंड़ संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और रजनीश चौहान ने बताया कि सरकार बनाम मिलाप सिंह और राधामोहन की पत्रावलियों की सुनवाई हुई।
सीबीआई के विवेचक अजय कुमार साक्ष्य के लिए अदालत में पेश हुए। उन्होंने अपनी गवाही दी। छह अक्तूबर को भी सीबीआई के विवेचक के साक्ष्य जारी रहेेंगे। बचाव पक्ष उनसे जिरह करेगा। उल्लेखनीय है कि लगभग तीस साल पहले एक अक्टूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया।
आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिस पार्टी और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे।