Monday, February 24, 2025

संकीर्ण राजनीतिक दृष्टिकोण से लगाया जा रहा भाषा थोपने का आरोप : जयंत चौधरी

नई दिल्ली। तमिलनाडु में राज्य सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के त्रिभाषा प्रावधान को लागू करने से इनकार कर रही है। इसके चलते यहां यह विवाद बढ़ता जा रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री का कहना है कि उन पर हिंदी भाषा थोपी जा रही है। इसका जवाब अब शिक्षा राज्यमंत्री चौधरी जयंत सिंह ने दिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति मातृभाषा व क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देती है। रविवार रात शिक्षा राज्यमंत्री ने अपने एक संदेश में कहा लोगों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पढ़ा भी नहीं है, लेकिन भाषा थोपने का आरोप लगा रहे हैं।

वे लोग केवल अपने कठोर, संकीर्ण राजनीतिक दृष्टिकोण को थोपने के लिए ऐसा कर रहे हैं। इससे पहले डीएमके अध्यक्ष व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा था कि वह अपनी दो-भाषा नीति से पीछे नहीं हटेंगे। दरअसल तमिलनाडु दो भाषा नीति को लागू करता है। इस विषय पर रविवार रात केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि भाषा हमारी पहचान की भावना का एक हिस्सा है और यह हमें समुदाय और समाज के सदस्यों के रूप में भी जोड़ती है। भाषा को किसी और पर थोपा नहीं जा सकता। यह बातचीत करने, विचारों का आदान-प्रदान करने और एक आम समझ बनाने के साथ-साथ विविधता और बहुलता की सराहना करने का एक माध्यम है। जयंत ने कहा है, “यह उन लोगों के लिए है जिन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पढ़ा भी नहीं है, लेकिन भाषा थोपने का आरोप लगा रहे हैं। वे केवल अपने कठोर, संकीर्ण राजनीतिक दृष्टिकोण को थोपने के लिए ऐसा कर रहे हैं। शिक्षा नीति में मातृभाषा के इस्तेमाल पर ज्यादा जोर दिया गया है। एनईपी के मुताबिक शिक्षा व कक्षा में बातचीत की भाषा स्थानीय भाषा या मातृभाषा होगी।

” गौरतलब है कि तमिलनाडु ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन में भाषा थोपने और धन जारी नहीं करने का आरोप लगाया था। इससे पहले केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा है कि तमिल सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है, किंतु यदि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से तमिलनाडु में छात्रों को बहुभाषी शिक्षा मिलती है, तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं है। शिक्षा मंत्री के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी द्वारा परिकल्पित यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषा पर जोर दे रही है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री का कहना था कि तमिल हमारी सभ्यता की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। तमिलनाडु में कोई छात्र शिक्षा में बहुभाषी पहलू सीखता है तो इसमें क्या गलत है। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार यह कोई भी भारतीय भाषा तमिल, अंग्रेजी और अन्य भाषा हो सकती है। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हिंदी या कोई अन्य भाषा किसी पर थोपी नहीं जा रही है।

शिक्षा मंत्री का कहना था कि तमिलनाडु में कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं। ग़ौरतलब है कि तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री और उदयनिधि स्टालिन ने भी केंद्र सरकार पर तमिलनाडु में हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय काशी तमिल संगमम आयोजित कर रहा है। इसका एक उद्देश्य ही तमिल भाषा, संस्कृति व सभ्यता को बढ़ावा देना व इससे देश के अन्य हिस्सों को रूबरू करवाना है। यह अब तक का तीसरा ‘काशी तमिल संगमम’ है । तमिलनाडु में जहां आईआईटी मद्रास ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की तैयारी की है, वहीं वाराणसी में इस आयोजन की मेजबानी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) कर रहा।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय