जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक जोगिंदर सिंह अवाना राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) में शामिल हो गए हैं। अवाना दिल्ली में केंद्रीय मंत्री और रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी की मौजूदगी में रालोद में शामिल हुए और इसके साथ ही उनके राजनीतिक सफर में एक नया अध्याय जुड़ गया। भरतपुर क्षेत्र में अपने मजबूत जमीनी संबंधों और प्रभाव के लिए जाने जाने वाले अवाना पहली बार 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनावों के दौरान सुर्खियों में आए थे।
अवाना ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर नदबई निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। उन्होंने भाजपा की कृष्णेंद्र कौर (दीपा) को 4,000 से अधिक मतों के अंतर से हराकर विजय हासिल की थी। उस चुनाव में उन्हें 50,976 वोट मिले थे। अपनी जीत के बाद अवाना कांग्रेस में शामिल हो गए थे। राष्ट्रीय लोकदल में उनके जाने को राजस्थान में आगामी राजनीतिक गठबंधन से पहले एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, खासकर गुर्जर मतदाताओं के बीच उनके प्रभाव को देखते हुए। इस बदलाव को और भी महत्वपूर्ण बनाता है क्योंकि आरएलडी (रालोद) की पहले से ही राजस्थान विधानसभा में मौजूदगी है।
अवाना के शामिल होने से रालोद ने पूर्वी राजस्थान, विशेषकर भरतपुर डिवीजन में अपना आधार और मजबूत कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, अवाना ने जयंत चौधरी के आवास पर व्यक्तिगत मुलाकात के दौरान रालोद की सदस्यता ग्रहण की, जिससे पार्टी नेतृत्व के साथ उनके घनिष्ठ संबंध का संकेत मिलता है। उनके पार्टी में शामिल होने से क्षेत्र में रालोद की संभावनाओं को बढ़ावा मिलने की संभावना है और इससे राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य में और फेरबदल भी हो सकता है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि अवाना के इस कदम से मतदाताओं की भावनाएं प्रभावित हो सकती हैं, खासकर गुर्जर समुदाय के बीच, जो पूर्वी राजस्थान के कई निर्वाचन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विधायक के रूप में उनके अनुभव और स्थानीय मुद्दों की उनकी गहरी समझ से भविष्य के चुनावों से पहले राज्य में रालोद की उपस्थिति को मजबूती मिलने की उम्मीद है।