Wednesday, November 27, 2024

दुनिया भर में बढ़ रहे जेएन1 के मामले, लोगों में कोविड लहर का डर

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के नये ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट जेएन1 के मामले भारत समेत विश्व स्तर पर बढ़ रहे हैं। इसलिए कई लोगों के बीच 2024 की शुरुआत में संभावित कोविड लहर का डर है जो एक बार फिर जिंदगी को पटरी से उतार सकता है।

भारत में कोविड-19 के 743 नये मामले दर्ज किए गए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इसी के साथ देश में कुल एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 3,997 हो गई। भारत में अब तक जेएन1 के कुल 162 मामले सामने आए हैं। जिसमें केरल में सबसे अधिक 83 मामले दर्ज किए गए हैं।

इसी के साथ जनवरी 2020 से अब तक भारत में कोरोना वायरस के मामलों की कुल संख्या 4,50,12,484 हो गई है। जबकि बीते 24 घंटे में 7 लोगों की मौत के बाद कुल मरने वालों संख्या 5,33,358 हो गई है।

विश्व स्तर पर अमेरिका, कुछ यूरोपीय देश, सिंगापुर और चीन से जेएन1 के मामले सामने आए हैं। डब्ल्यूएचओ में कोविड​​-19 तकनीकी प्रमुख मारिया वैन केरखोव ने शनिवार को कहा, ”सीमित संख्या में रिपोर्ट करने वाले देशों से, पिछले महीने में कोविड-19 अस्पताल में भर्ती होने और आईसीयू में मरीजों के प्रवेश में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

उन्होंने आगे कहा कि सीएआरएस-सीओवी-2, इन्फ्लूएंजा और अन्य श्वसन रोगी लगातार बढ़ रहे हैं। खुद को संक्रमण से बचाने के उपाय करने चाहिए। मारिया वैन केरखोव ने कहा कि जेएन1 की पहचान में बढ़ोतरी जारी है। लेकिन जो बात मायने रखती है वह यह है कि कोविड-19 के मामले सभी देशों में बढ़ रहे हैं।

उन्होंने अपने एक्स अकाउंट से पोस्ट किया, ”आप खुद को संक्रमण और गंभीर बीमारी से बचा सकते हैं। जोखिम के आधार पर हर 6-12 महीनों में मास्क, वेंटिलेट, टेस्ट, इलाज, वैक्सीन की डोज को बढ़ावा दें।”

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की पूर्व महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार, जेएन1 कोविड-19 वैरिएंट अन्य वैरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जेएन1 को इसके तेजी से बढ़ते प्रसार को देखते हुए एक अलग रूप में बांटा है। लेकिन कहा है कि यह कम वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।

मुंबई में संक्रामक रोग यूनिसन मेडिकेयर एंड रिसर्च सेंटर के सलाहकार डॉ. ईश्वर गिलाडा के अनुसार, जब तक जेएन1 ‘चिंता का विषय’ नहीं बन जाता। तब तक इससे आम आदमी को परेशान नहीं होना चाहिए।

उन्होंने बताया कि भारत ने कई शक्तिशाली देशों की तुलना में कोविड-19 महामारी का बेहतर प्रबंधन किया है। भारत में कोविड-19 के खिलाफ सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन किया गया है। जिसमें 75 प्रतिशत आबादी को पूरी तरह से वैक्सीन की डोज दी है और 35 प्रतिशत आबादी को बूस्टर (तीसरी डोज) मिली है।

ओमिक्रॉन वैरिएंट द्वारा मुख्य रूप से बीए.2 सब-वैरिएंट के साथ संचालित तीसरी लहर ने अधिकांश आबादी को कम से कम रुग्णता और मृत्यु दर से संक्रमित किया।

उन्होंने आगे कहा कि वास्तव में बीए.2, बीए.4 और बीए.5 के साथ-साथ बीए.2.86 (पिरोला) जैसे बीए.2 के वंश के संक्रमण से भारत के लिए एक रक्षक था। अब हम पहले से कहीं अधिक बेहतर तैयार हैं। इतना ही नहीं, भारत अफ्रीका और अन्य जगहों पर 50 से अधिक देशों को तैयारियों, दवाओं और टीकों से सहायता प्रदान करता है।

हालांकि, जेएन1 अगस्त 2023 में लक्ज़मबर्ग में पहचाना गया। यह वर्तमान में 40 से अधिक देशों में मौजूद है और इससे अधिक संख्या में लोग संक्रमित नहीं हुए हैं और न ही मरीजों की मौत हुई है।

डॉ गिलाडा ने कहा कि जेएन1 की मौजूदगी से ऑक्सीजन, बेड, आईसीयू बेड या वेंटिलेटर की मांग नहीं बढ़ी है। विशेषज्ञ वरिष्ठ नागरिकों और गंभीर मरीजों वाले लोगों के साथ-साथ भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने वाले लोगों से मास्क पहनने का अनुरोध करते हैं।

प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विकास चोपड़ा ने आईएएनएस को बताया, ”कुछ मरीजों को गंभीर परिणामों और कोविड से मृत्यु दर में वृद्धि का खतरा बढ़ जाता है।”

उच्च मृत्यु जोखिम से जुड़े सामान्य मरीजों में हृदय संबंधी रोग जैसे- हाई ब्लडप्रेशर, कोरोनरी धमनी रोग, पुरानी श्वसन स्थितियां जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), मधुमेह, मोटापा और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली शामिल हैं।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय