नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के बंगले से कैश मिलने पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि जनता के दबाव की वजह से इस मामले से पर्दा उठ पाया, नहीं तो इसे रफा-दफा कर दिया गया होता।
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प्रियंका चतुर्वेदी ने रविवार को कहा, “यह काफी गंभीर मामला है। जिस तरीके से पूरे केस को रफा-दफा करने और उस पर पर्दा डालने की कोशिश की गई। यह केस जनता के दबाव की वजह से सामने आ पाया। इसी वजह से सुप्रीम कोर्ट को मजबूर होना पड़ा, नहीं तो यह केस दबा दिया जाता। मुझे लगता है कि ज्यूडिशल रिफॉर्म को लेकर जो आपसी सहमति बननी चाहिए। जिस तरह से राज्य सरकार को बनाने और गिराने में संविधान के साथ खिलवाड़ हो रहा है, उसे लेकर आंखों पर पट्टी डाली गई। बहुत सारे विवादित जजमेंट को लेकर अनदेखी की जा रही है।”
उन्होंने आगे कहा, “जब जनता ने इसका विरोध किया, तब जाकर कमेटी बनी है। स्पष्ट हो गया है कि 15 तारीख से इस मामले को लेकर खबर चल रही थी और अब जाकर जांच शुरू हुई और कार्रवाई की गई। आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर आम देशवासी या किसी राजनेता के घर पर कैश मिलता तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती और उन्हें जेल में डाल दिया जाता। यही नहीं, उनके खिलाफ सीबीआई या आईटी की रेड भी पड़ती। मैं जजों से यही कहना चाहती हूं कि जब वे जजमेंट देते हैं तो देश के संविधान का ख्याल रखें, जो सच्चाई है वह जनता के सामने आनी चाहिए।” प्रियंका चतुर्वेदी ने सुशांत सिंह राजपूत की क्लोजर रिपोर्ट पर कहा, “पांच साल बाद रिपोर्ट आई है और इसमें कोई बड़ा खुलासा नहीं है।
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मुंबई पुलिस की जांच पर सवाल उठाए गए हैं और कहा गया कि छुपाने की कोशिश की गई। इसके अलावा, ईडी ने झूठ फैलाने का काम किया और एक लड़की को जेल में भी डाला गया। वे भूल गए थे कि वे जांच अधिकारी हैं। मैं उम्मीद करती हूं कि रिया चक्रवर्ती उन्हें माफी देने के बजाय गंदगी फैलाने वाले लोगों को खत्म करने का काम करेंगी। भले ही रिपोर्ट पांच साल बाद आई है, मगर इस रिपोर्ट में मुंबई पुलिस की कार्रवाई को सही ठहराया गया है।”