भोपाल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि न्याय इतना महंगा न हो कि वह आम आदमी की पहुंच से दूर हो जाए। इसलिए सस्ता और सुलभ न्याय दिलाने के लिए संस्था और अधिवक्ताओं के समूह को आगे आना चाहिए। न्यायपालिका में सरल, सुलभ व त्वरित न्याय दिलाने की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति बुधवार को जबलपुर में 460 करोड़ की लागत से बनने वाले मप्र हाईकोर्ट के नए भवन के शिलान्यास समारोह को संबोधित कर रही थीं। ट्रिपल आईटीडीएम में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का भवन 134 वर्ष पुराना है। तकनीकी रूप से हाईकोर्ट भवन को सर्वसुविधायुक्त और सक्षम बनाना समय की मांग है।
उन्होंने कहा कि विवादों के वैकल्पिक समाधान सस्ते व सुलभ कैसे हों, इस पर विचार करें। अदालतों में लंबित प्रकरणों के कारण तथा छोटे-मोटे अपराध के कारण जो जेल में बंद हैं, उन पर विचार करें और पंच परमेश्वर की धारणा अनुसार विवादों का निपटारा करें। मध्यस्थता से विवादों के निपटारे को समाज में व्यापक समर्थन मिलता है, इससे लिटीगेशन भी कम होते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि टेक्नालॉजी से आज देश प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। न्याय क्षेत्र में भी प्रगति हुई है। इसमें ई-कोर्ट व्यवस्था विश्वसनीय साबित हुई है। न्याय प्रक्रिया को सुगम व सरल बनाने के लिए टेक्नालॉजी के प्रयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए पिछले सप्ताह संसद में 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का अधिनियम पारित हुआ है। न्याय क्षेत्र में भी महिलाओं की सामूहिक भागीदारी हो, क्योंकि महिलाओं में न्याय का नैसर्गिक भाव होता है। न्याय में पुस्तकीय ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान का होना बहुत जरूरी है। वर्ष 1976 के एडीएम वर्सेज शिवकांत शुक्ला के एक प्रकरण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मौलिक अधिकारों के पक्ष में दिए निर्णय ने जबलपुर का नाम इतिहास में अमिट है।
हाईकोर्ट भवन के शिलान्यास के अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि कोर्ट न्याय का मंदिर होता है, जहां निष्ठा के साथ लोकतांत्रिक विश्वास को मजबूत बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत ही ऐसा देश है, जहां नि:शुल्क कानूनी सलाह की व्यवस्था है। सुराज का आधार न्याय ही होता है। अंग्रेजी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी निर्णय उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास करें। जेलों में विचाराधीन व्यक्ति जो सामान्यत: गरीब परिवार के होते हैं, उन्हें प्राथमिकता दें और कार्य संस्कृति और नवाचारों को आगे बढ़ाएं। पूर्ण सुविधायुक्त न्याय का मंदिर बने जहां कोई निर्दोष को दंड न मिले।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संस्कारधानी के साथ न्यायधानी मध्यप्रदेश के नागरिकों की ओर से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि 134 वर्ष पुरानी भवन के साथ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के एनेक्सी भवन का शिलान्यास किया जा रहा है। भवन में सभी आवश्यक व्यवस्थाओं को ध्यान में रखा गया है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता का भरोसा न्याय तंत्र की व्यवस्था पर भी निर्भर करता है। न्याय तंत्र ठीक है, तब लोकतंत्र में सुलभ, सुगम, समदर्शी, संवेदनशील और आसानी से शीघ्र न्याय मिलता है। यह लोकतंत्र का मूल है कि शीघ्रता से न्याय कैसे मिले।
उन्होंने जल्दी न्याय दिलाने के लिए ऑनलाइन जैसी नई व्यवस्था पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में लोक अदालत की स्वस्थ परंपरा रही है, जिससे आपसी सुलह से न्याय मिल जाता है। इस दिशा में भी प्रभावी कदम उठाने को कहा। उन्होंने 89 ब्लॉकों में पेसा कानून के अंतर्गत शांति व विवाद निवारण समिति में आपसी विवादों के शानदार निपटारे का जिक्र करते हुए पंच परमेश्वर की धारणा को बताया। उन्होंने कोर्ट में लंबित प्रकरणों की संख्या कम करने और मासूमों पर हो रहे दुराचार पर सख्ती से कार्रवाई करने पर जोर दिया।
शिलान्यास समारोह में मुख्य न्यायाधिपति रवि मलिमठ ने हाईकोर्ट एनेक्सी नई बिल्डिंग के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश मेरा राज्य है और मैं चाहता हूं कि न्याय दिलाने की पद्धति यहां सबसे अच्छी हो। उन्होंने उपस्थित हाईकोर्ट परिवार से कहा कि इसके लिए हर घड़ी, हर पल मेहनत करना पड़ेगा ताकि भविष्य में अच्छा परिणाम देखने को मिले।
समारोह में केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, आयुष मंत्री राम किशोर कांवरे, महापौर जगत बहादुर अन्नू, विधायक अशोक रोहाणी सहित अन्य जन-प्रतिनिधि व प्रशासन व पुलिस के अधिकारी उपस्थित रहे।