जीवन में संतुलन और सामंजस्य बनाए रखने के लिए सेक्स संतुष्टि अहम है। यह सेक्स जीवन ही है जो पति पत्नी को करीब लाता है और उन्हें इस कदर जोड़े रखता है कि वे एक दूसरे की जरूरत, आदत और जिन्दगी बन जाते हैं।
शादी के शुरूआती दौर में सेक्स में जो नयापन होता है, वक्त के बहाव के साथ जिन्दगी की जद्दोजहद में नीरस ठंडा और ऊबाऊ होने लगता है। कई बातें ऐसी होती हैं जिनका सेक्स लाइफ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे फ्रिजिडिटी आने लगती है। इसका असर दांपत्य के रिश्ते पर गहरा पड़ता है। कई बार शादी टूटने तक की नौबत आ जाती है।
विशेषज्ञों की मानें तो सेक्स मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है। यह इंसान को कुदरत से मिला एक हसीन तोहफा है जो स्त्री पुरूष को आकर्षण में बांधे रखता है।
यह इच्छा का मामला है:- सेक्स कब कितनी बार करें, इसका न कोई बंधा नियम है न कोई तय फार्मूला। पति पत्नी दोनों की इच्छा पर ही यह निर्भर करता है लेकिन इतना जरूर है कि इच्छा को दबाते हुए इसे लंबे समय तक न टालें क्योंकि यह तो तय बात है कि इससे पति पत्नी के आपसी रिश्ते मजबूत होते हैं और उनमें प्रगाढ़ता आती है।
एक दूजे के मूड का अनुमान लगाएं:- अब साथ रहते-रहते आप पार्टनर की भाव भंगिमाओं से ही उनके मूड का अनुमान लगाना तो सीख गए होंगे। मूड अच्छा है तो कोई प्रॉब्लम ही नहीं।
हां खराब मूड को पटरी पर लाने के लिए टैक्टफुल होने की जरूरत है। ‘गो टू हैल’ कहने से काम नहीं चलेगा। टच थेरेपी अपनाएं। प्यार भरे मीठे स्पर्श में जादू होता है।
सैक्सी लगें, सैक्सी बातें करें:-
सैक्सी लगने के लिए अत्यधिक बनाव सिंगार या दामी कपड़ों की जरूरत नहीं होती। थोड़ा थोड़ा चुलबुलापन और थोड़ा मस्ती का मूड आपकी उम्र ही कम नहीं करता बल्कि सेक्स लाइफ को ऊष्मा से भर देता है। मजेदार बातों का पिटारा हमेशा फुल रखें। पति स्वयं चाहे कितने ही गंभीर हों, पत्नी उन्हें हंसमुख चुलबुली ही अच्छी लगती है।
सेक्स में फोरप्ले की भूमिका भी अहम है। उसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। अपने पार्टनर को अपनी पसंद नापसंद बेझिझक होकर बताएं। इसी तरह उनकी पसंद जान लें। तभी अंतरंग पलों का लुत्फ उठा सकेंगे। कभी रोमांटिक मूड में सेक्स क्विकीज भी ट्राई करें। इससे प्यार भी बढ़ेगा और नयापन भी महसूस होगा।
रिश्ते को स्पेस भी दें:- पति पत्नी के बीच कुछ भी गोपनीय नहीं रहता, यह उक्ति पूर्ण सत्य नहीं है। थोड़ी स्पेस तो इस रिश्ते की भी जरूरत है। कुछ स्त्रियां बिंदास टाइप होती हैं तो कुछ शर्मीली किस्म की होती हैं। यह अपना-अपना स्वभाव है। इसका मान रखें और किसी जि़द से उन्हें आहत न करें।
सेकंड हनीमून का बढ़ता रिवाज:- बढऩे लगा है सेकंड हनीमून का रिवाज। यह बेहद जरूरी हो गया था। काम का दबाव और मेट्रोज की तनावपूर्ण जिंदगी जीवन का सत्त निचोड़ लेती है। दांपत्य में वक्त की कमी रिश्तों पर कहर ढाती है। संवादहीनता की स्थिति कपल्स में दूरियां उत्पन्न कर देती हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए ही सेकंड हनीमून का कांसेप्ट जोर पकडऩे लगा है। इससे नीरसता दूर होती है बशर्ते आप कुछ नियमों का पालन करें। ऑफिस की बातें, घर की टेंशन अपने साथ बैग में ठूंसकर न ले जाएं।
नये सिरे से रोमांस करें जैसे आप हाल ही में मिले हों। सोच को फिर शुरूआती मोड़ पर ले जाएं। डूब जाएं आकंठ प्रिय के प्यार में। एंडोर्फिंस को अपना कमाल दिखाने दें। प्यार की ये घडिय़ां अनमोल हैं। इन्हें सहेज कर रखने योग्य बना लें।
फ्लॉप सेक्सुएल लाइफ होने से हताशा, निराशा व चिड़चिड़ापन आ जाता है। इनसे जुड़ी साइकोसोमेटिक बीमारियां मुख्यरूप से हाई ब्लडप्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम घेर सकती हैं जब कि एक्टिव सेटिस्फेक्टरी सेक्स लाइफ एलिक्सिर बन के लंबी उम्र प्रदान करती है।
यह आपको तनाव रहित रखती है। वेट कंट्रोल करती है। आपके इम्यून सिस्टम को ब्लैक बेल्ट स्टेट्स प्रदान करती है। आपकी याददाश्त और आई क्यू के लिए बढिय़ा है। संक्षेप में आपके तन मन के लिए ए वन है।
– उषा जैन ‘शीरीं’