नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस के कार्यकाल को लेकर अक्सर 70 सालों पर पूछे जाने वाले सवालों के सोमवार को सदन में जवाब दिये और उन्होंने सरकार को राजनीति का तरीका बदलने की सलाह दी।
संसद के विशेष सत्र की शुरूआत और नये संसद भवन में मंगलवार से कार्यवाही शुरू किये जाने से पहले आज वर्तमान संसद भवन में चर्चा के दौरान खड़गे ने कविता के माध्यम से अपने वक्तव्य की शुरूआत की। उन्होंने कविता पढ़ी:
बदलना है तो अब हालात बदलो,
ऐसे नाम बदलने से क्यों होता है?
देना है तो युवाओं को रोजगार दो
सबको बेरोजगार करके क्यो होता है?
दिल थोड़ा करके देखो
लोगों को मारने से क्या होता है?
कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी छोड़ दो
बात बात पर डराने से क्या होता है?
खड़गे ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत को बहुत कम आंका था, लेकिन देश लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में विजयी होकर उभरा। उन्होंने कहा “ जब हमने 1950 में लोकतंत्र को अपनाया तो कई विदेशी लोगों ने सोचा कि यहां लोकतंत्र असफल हो जायेगा क्योंकि यहां साक्षरता बहुत कम है।”
विपक्ष के नेता ने ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का जिक्र किया और कहा, “श्री चर्चिल ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर अंग्रेज भारत से चले जायेंगे जो यहां न्यायपालिका, स्वास्थ्य सेवायें, रेलवे और उनके द्वारा शुरू किये गये काम पूरी तरह से तबाह हो जायेंगे। सिस्टम नष्ट हो जायेगा। उन्होंने हमें बहुत कम आंका । हमने लोकतंत्र को बरकरार रख उन लोगों को गलत साबित कर दिया। हमने इसे मजबूत किया और सुरक्षित भी रखा और आप पूछते हो हमने 70 सालों में क्या किया।”
उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य संजय सिंह और राघव चढ्ढा के निलंबन को समाप्त कर उन दोनों सदस्यों को सदन में आने की अनुमति देने की अपील करते हुये कहा कि यह भवन संविधान सभा के साथ ही आजाद भारत के सभी बड़े निर्णय लिये जाने का गवाह है। जब राष्ट्र का बुनियाद रखा गया था तब ऐसी नींव रखी गयी ताकि उस पर मजबूत इमारत बन सके। पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबा साहब अंबेडकर सहित बड़े बड़े विद्वान इसी इमारत में बैठक कर संविधान बनाये थे। 140 खंभों वाली यह इमारत गुलामी के नहीं बल्कि भारतीय वस्तुकला का नमूना है।
उन्होंने मणिपुर मुद्दे को उठाते हुये कहा कि यह राज्य मई से जल रहा है। आज भी एक व्यक्ति की हत्या हुयी है। उन्होंने सदन में नियम 267 के तहत चर्चा कराये जाने के मामले को भी उठाया और कहा कि इसके तहत सात बार चर्चा हो चुकी है और प्रश्नकाल स्थगित कर 10 बार महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करायी जा चुकी है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलते हुये कहा कि मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में 30 बार संसद में बयान दिये और अटल बिहारी वाजपेयी ने 21 बार बयान दिये, लेकिन मोदी ने कस्टमरी बयान को छोड़कर सिर्फ दो बार बयान दिये हैं।
खड़गे ने महत्वपूर्ण विधेयकों को बगैर किसी समिति के पास भेजे पारित कराये जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुये कहा कि 1952 से 57 के बीच संसद की 667 बैठकें हुयी, 319 विधेयक पारित कराये गये। संसद का मुख्य काम कानून बनाना और लोगों को सशक्त बनाना है। राज्यसभा और लोकसभा में एक से बढ़कर एक सदस्य आज भी हैं और पहले भी थे। सभी को बोलने की आजादी मिलनी चाहिए। कानून को स्थायी समिति को नहीं भेजा जाता है जबकि इसे भेजा जाना चाहिए। समितियों को भेजने जाने वाले विधेयकों का 2009-14 के दौरान 71 प्रतिशत था जो 2014-19 के दौरान 47 प्रतिशत और 2019 के बाद अब तक गिरकर यह 13 प्रतिशत पर आ गया है। बुलेट ट्रेन से तेज गति से कानून बना रहे हैं। कानून की गुणवत्ता कमतर होती जा रही है। तीन कृषि कानून को वापस लेना पड़ा। ऐसे करने से किसान भी नराज हैं।
उन्होंने बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी बढ़ती रही तो लोकतंत्र भी नहीं रहेगा।
विपक्ष के नेता ने सभापति जगदीप धनखड़ पर भी टिप्पणी करते हुये कहा “ मेरी छोटी गलती की भी बहुत बड़ी सजा देते है। वे बड़ी गलतियां करते हैं तों भी आप माफ कर देते हैं।”
इस पर सभापति ने खड़गे से कहा, “आज आप मुझ पर ही आरोप लगाये जा रहे हैं।” उन्होंने सदस्यों से अपील करते हुये कहा “कब तक हम पूर्व प्रचलन को लेकर कहते रहें। आपकी भागीदारी हो सकती है लेकिन वहां आप होते नहीं हैं। अक्सर बहिष्कार कर जाते हैं। इस पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कुछ कहने की कोशिश की तो धनखड़ ने कहा कि जयराम रमेश आप क्यों सुपर एलओपी बन रहे हैं। यह ऐतिहासिक असवर है जब हम 75 वर्षाें के अनुभव पर चर्चा कर रहे हैं तो आप दूसरे मुद्दे उठा रहे हैं। जब भागीदारी का मौका होता है तो आप बहिष्कार कर जाते हैं। जब कुछ होता है तो दो दो सदस्य विपक्ष के नेता को बचाने आ जाते हैं। यह विपक्ष के नेता का अपमान नहीं है। वह अपने आप में सक्षम हैं।
इसके बाद खड़गे ने फिर से अपनी बात कहने से पहले सभापति काे धन्यवाद कहा जिसपर धनखड़ ने कहा, “अच्छा हुआ आपने थैंक्यू तो कहा।” इसके बाद खड़गे इस विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक लाये जाने की अपील करते हुये कहा कि अभी राज्यसभा में 10 प्रतिशत, लोकसभा में 14 प्रतिशत और विधानसभाओं में 10 प्रतिशत महिला प्रतिनिधि हैं। पहली सरकार में पांच प्रतिशत महिलायें थी। उन्होंने ब्रिटेन और अमेरिका का उदाहरण देते हुये कहा कि कभी वहां भी दो से तीन प्रतिशत महिलायें होती थी, लेकिन आज अमेरिका में 28 प्रतिशत और ब्रिटेन में 33 प्रतिशत महिलायें प्रतिनिधि हैं।
इसीबीच सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि खड़गे जी-20 की बैठक पर भी कुछ कहिये। इस पर खड़गे ने कहा कि राष्ट्र से बढ़कर कुछ नहीं है। वे जी-20 की 10 बैठकों में श्रम मंत्री के तौर पर भाग ले चुके हैं। इसके बाद खड़गे ने अपने वक्तव्य का समापन भी एक कविता से ही किया।
इस पर धनखड़ ने कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी-20 की बैठक ऐतिहासिक रही है क्योंकि इसमें अफ्रीका संघ को इसमें शामिल किया गया है। इसके साथ ही पूरी दुनिया के नेताओं ने इसे सफलतम बैठक बताया है।