Sunday, November 3, 2024

देश में 62 प्रतिशत सैनिक स्कूल सौंप दिए बीजेपी नेताओं को, खड़गे ने लिखी मुर्मू को चिट्ठी

नयी दिल्ली- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार सैनिक स्कूलों का निजीकरण कर सैन्य सेवा के लिए स्थापित परंपरा को ध्वस्त कर रही है, इसलिए इस संबंध में जारी प्रक्रिया को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।

श्री खडगे ने बुधवार को कहा कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) से मिली जानकारी के अनुसार अब तक करीब 62 फीसदी सैनिक स्कूलों के निजीकरण की प्रक्रिया चल रही है और इनमें ज्यादातर विद्यालयों का संचालन निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) मोड पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के स्वामित्व में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश मे सशस्त्र बलों को हमेशा विभिन्न राजनीतिक दलों की विचारधारा से दूर रखा गया है और इस परंपरा को बनाये रखने के लिए सैनिक स्कूलों के निजीकरण की प्रक्रिया को वापस लिया जाना चाहिए।

श्री खडगे ने लिखा, “आप जानती हैं कि भारतीय लोकतंत्र ने पारंपरिक रूप से हमारे सशस्त्र बलों को किसी भी पक्षपातपूर्ण राजनीति से दूर रखा है। देश की सरकारों ने सशस्त्र बलों और उसके सहयोगी संस्थानों को हमेशा राजनीतिक दलों की विचारधाराओं की छाया से दूर रखा है।”

उन्होंने कहा, ” सैनिक स्कूलों के निजीकरण के संदर्भ में सरकार ने एक आरटीआई के उत्तर में बताया है कि सार्वजनिक निजी भागीदारी-पीपीपी के तहत सैनिक स्कूलों का निजीकरण किया जा रहा है और अब तक लगभग 62 फीसदी सैनिक स्कूलों का निजीकरण किया जा चुका है। ये सभी स्कूल अब भाजपा-आरएसएस नेताओं के स्वामित्व में संचालित हो रहे है। इनमें 33 सैनिक स्कूल ऐसे हैं जो पूरी तरह से सरकारी वित्त पोषित थे और रक्षा मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय थे, जिन्हें सैनिक स्कूल सोसाइटी-एसएसएस के तत्वावधान में संचालित किया जा रहा था।”

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, “2021 में केंद्र सरकार ने सैनिक स्कूलों के निजीकरण की पहल की और इस क्रम में सबसे पहले 100 नए स्कूलों में से 40 के लिए समझौता ज्ञापन-एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। हस्ताक्षर उन स्कूलों से हुआ जहां केंद्र सरकार ‘फीस का 50 प्रतिशत वार्षिक शुल्क सहायता उपलब्ध कराती है।’ कक्षा 6 से कक्षा 12 तक प्रति वर्ष योग्यता-सह-साधन के आधार पर 50 फीसदी छात्रों को शुल्क माफी दी जाती है। इस तरह एक स्कूल में 12वीं कक्षा तक विभिन्न प्रोत्साहनों योजनाओं के तहत प्रति वर्ष अधिकतम 1.2 करोड़ रुपये की सहायता दी जाती है।”

उन्होंने कहा, “राष्ट्र हित में कांग्रेस निजीकरण नीति को पूरी तरह से वापस लेने और अब तक हुए सभी एमओयू को रद्द करने की मांग करती है ताकि सैनिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए राष्ट्र की सेवा के परंपरागत चरित्र, दृष्टि और सम्मान को बनाये रखा जा सके।”

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