कानपुर। उत्तर प्रदेश के बिकरू हत्याकांड के आरोपी की विधवा खुशी दुबे ने कहा है कि वह कभी भी बिकरू गांव नहीं जाना चाहेंगी, जहां उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई। इस हत्याकांड में आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे।
खुशी दुबे हत्याकांड के आरोपियों में से एक अमर दुबे की विधवा हैं, जो घटना के तीन दिन बाद मुठभेड़ में मारा गया था। बिकरू नरसंहार 3 जुलाई 2020 को चौबेपुर में हुआ था जब पुलिस की एक टीम गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई थी।
दुबे और उसके लोगों ने पुलिस टीम पर गोलीबारी की, जिसमें से आठ की मौके पर ही मौत हो गई थी। पुलिस ने एक हफ्ते के अंदर बैक-टू-बैक एनकाउंटर में सभी छह आरोपियों को मार गिराया।
अमर दुबे उनमें से एक था। हत्याकांड से तीन दिन पहले ही खुशी की शादी हुई थी। इसके बाद पुलिस ने बिकरू हत्याकांड में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से शामिल 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
गिरफ्तारी के समय खुशी नाबालिग थी। वह कई महीनों तक जेल में रही और जनवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद खुशी को रिहा कर दिया गया। कोर्ट के निर्देश के मुताबिक खुशी को हर हफ्ते चौबेपुर थाने में हाजिरी लगाने जाना होगा। वह अपनी हाजिरी लगाने गई थीं तभी मीडिया ने उनसे पूछा कि क्या वह बिकरू जाएंगी।
खुशी ने कहा कि मैं जीवन भर उस गांव में नहीं जाना चाहूंगी जिसने मुझसे सब कुछ छीन लिया। ख़ुशी अब अपने माता-पिता के साथ रह रही है और अपनी शिक्षा जारी रखने और कानून की पढ़ाई करने की योजना बना रही है।