Wednesday, November 20, 2024

ज्ञान और आचरण

मानव स्वभाव से ही ज्ञान की जिज्ञासा में जीता रहता है। इस हेतु वह बहुतेरे यत्न भी करता है। उन्हीं यत्नों और प्रयासों की बदौलत मनुष्य ज्ञान को प्राप्त कर अपना जीवन सफल बना लेता है और अज्ञान के अंधकार से मुक्त हो जाता है।

सच्ची सफलता तो तब मिलती है, जब वह प्राप्त ज्ञान को आत्मसात करे, तब आगे बढ़े। जो ज्ञान उसे प्राप्त हो जाये प्रथमत: उसे आचरण में उतारना आवश्यक है, ताकि वह आपके जीवन का हिस्सा बन जाये और आप उसे विस्मृत न कर सकें।

ज्ञान और आचरण का समन्वय बहुत आवश्यक है, क्योंकि बिना आचरण के ज्ञान व्यर्थ है। इसके विपरीत प्राप्त ज्ञान को यदि आचरण में नहीं उतारा और आगे बढ़ गये तो पीछे की उपलब्धियां क्षीण होती जाएंगी और क्षीण होते-होते शून्य भी हो जाएंगी और वही बात होगी कि एक साधे सब सधै, सब साधे सब जाये। ज्ञान होना तभी सार्थक है, जब वह आचरण में भी हो।

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