हमीरपुर। सुमेरपुर थानाक्षेत्र के एक गांव में सत्रह वर्ष पूर्व चार लोगों ने घर में घुसकर दलित युवती के साथ सामूहिक गैंगरेप किया था। बुधवार को विशेष न्यायाधीश (एससी व एसटी) एसके खरवार ने तीन आरोपितों को आजीवन कारावास व 67-67 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है।
विशेष लोक अभियोजक (एससी व एसटी) विजय सिंह ने बताया कि सुमेरपुर थाने में 4 फरवरी 2007 को एक गांव के दलित ने तहरीर देकर बताया कि वह सुमेरपुर थानाक्षेत्र के एक गांव का निवासी है। उसका परिवार गांव में रहता है जबकि वह चंडीगढ़ में रहकर राजगिरि का काम करता है। 2 फरवरी 2007 की देर रात 12 बजे जब उसकी पत्नी व बच्चे घर में सो रहे थे। तभी गांव में रहने वाला शंभू कुशवाहा जो कि पतारा (कुरारा) का निवासी है, अपने तीन साथियों के साथ असलहों से लैश होकर छत के रास्ते उसके घर के अंदर कूदा। आहट पर उसकी पत्नी व बच्चे जाग गए। पत्नी ने जब दरवाजा खोलकर बाहर देखने का प्रयास किया तो सभी अंदर घुस आये और उसकी पत्नी को तमंचे की नोक पर बंधक बनाकर चारों ने उसकी पुत्री के साथ गैंगरेप किया।
इसके बाद मुख्य दरवाजा खोलकर चले गए। 3 फरवरी को पत्नी ने फोन से सूचना दी। पुलिस ने शंभू कुशवाहा व तीन अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। जांच में सीओ सदर जोगेंद्र लाल ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी। जिसके बाद पीड़िता के पिता ने डीजीपी की शरण ली तो उनके निर्देश पर एसपी ने सीओ मौदहा एके सिंह व सीओ राठ पीएन त्रिपाठी से विवेचना कराई। जिन्होंने चार के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया। बुधवार को विशेष न्यायाधीश (एससी व एसटी) एसके खरवार ने गैंगरेप में शंभू कुशवाहा, भागवली उर्फ अजय पाल व बब्लू को आजीवन कारावास व 67-67 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। पीड़िता को बतौर प्रतिकर एक लाख रुपये देने का आदेश किया। चौथे आरोपित गौरीशंकर की दौरान मुकदमा सुनवाई मौत हो चुकी है।