Tuesday, May 13, 2025

भाजपा-कांग्रेस की तरह सपा भी दलितों-बहुजनों की सच्ची हितैषी कभी नहीं हो सकती – मायावती

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट के माध्यम से समाजवादी पार्टी (सपा) पर कांग्रेस और भाजपा की तरह दलितों और बहुजनों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। उन्होंने सपा की कथित जातिवादी नीतियों और विश्वासघात की घटनाओं का जिक्र करते हुए बसपा के समतामूलक समाज स्थापित करने के मिशन को रेखांकित किया।

 

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मायावती ने पोस्ट में लिखा, “कांग्रेस, भाजपा आदि की तरह सपा भी बहुजनों में से खासकर दलितों को इनका संवैधानिक हक देकर इनका वास्तविक हित, कल्याण व उत्थान करना तो दूर, इनकी गरीबी, जातिवादी शोषण व अन्याय-अत्याचार आदि खत्म करने के प्रति कोई सहानुभूति/इच्छाशक्ति नहीं है, जिस कारण वे लोग मुख्यधारा से कोसों दूर हैं।” मायावती ने आगे कहा कि सपा द्वारा बीएसपी से विश्वासघात किया गया, उसके नेतृत्व पर 2 जून को जानलेवा हमला, प्रमोशन में आरक्षण का बिल संसद में फाड़ना, इनके संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बनाए गए नए जिले, पार्क, शिक्षण व मेडिकल कॉलेजों का नाम बदलना आदि ऐसे घोर जातिवादी कृत्य हैं, जिसको माफ करना असंभव है।

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मायावती ने कहा कि इन पार्टियों के विपरीत बीएसपी अपने अनवरत प्रयासों से यहां जातिवादी व्यवस्था को खत्म करके समतामूलक समाज अर्थात सर्वसमाज में भाईचारा बनाने के अपने मिशन में काफी हद तक सफल रही है। लेकिन सपा अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए उसको बिगाड़ने में हर प्रकार से लगी हुई है। लोग जरूर सावधान रहें। स्पष्ट है कि कांग्रेस व भाजपा आदि की तरह ही सपा भी अपनी नीयत व नीति में खोट/द्वेष के कारण कभी भी दलितों-बहुजनों की सच्ची हितैषी नहीं हो सकती है, किंतु इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर लगातार छलावा करती रहेगी, जबकि बीएसपी ‘बहुजन समाज’ को शासक वर्ग बनाने को समर्पित व संघर्षरत है।

 

 

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इससे पहले 17 अप्रैल को भी मायावती ने ‘एक्स’ पोस्ट पर लिखा था, “अन्य पार्टियों की तरह आए दिन सपा द्वारा भी पार्टी के ख़ासकर दलित लोगों को आगे करके तनाव व हिंसा का माहौल पैदा करने वाले आ रहे इनके अति विवादित बयानबाजी, आरोप-प्रत्यारोप व कार्यक्रम आदि का जो दौर चल रहा है यह इनकी घोर संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति ही प्रतीत होती है। सपा भी दलितों के वोटों के स्वार्थ की खातिर यहां किसी भी हद तक जा सकती है। अतः दलितों के साथ-साथ अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज आदि को भी इनके किसी भी उग्र बहकावे में नहीं आकर इन्हें इस पार्टी के भी राजनीतिक हथकण्डों का शिकार होने से जरूर बचना चाहिए।”

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