त्याग, समर्पण और अटूट विश्वास ही दाम्पत्य का मूल आधार है और यही मानव जीवन को खुशहाल भी बनाता है, लेकिन तकनीकी दौर में सोशल मीडिया से बढ़ते प्यार के बीच पति-पत्नी के बीच तकरार आम हो चली है और उनके बीच का प्यार इसी में कहीं खोता जा रहा है, जो दाम्पत्य जीवन को बिगाड़ रहा है। नतीजन, पति-पत्नी के बीच तलाक के मामले बढऩे लगे हैं। अगर समय रहते नहीं चेते तो हालत बद से बदतर होंगे और भावी पीढ़ी को इसके दुष्परिणाम झेलने ही पड़ेंगे।
तकनीकी दौर में हर हाथ में पहुंचे मोबाइल ने व्यक्ति का नजरिया ही बदल दिया है। लोगों के बीच सम्पर्क व संवाद घटा है तो परिवार व रिश्तेदारी में भी आना-जाना कम हुआ है। अपनों के बीच व्यक्ति को अपनों की सुध नहीं है, लेकिन वह सोशल मीडिया पर सक्रिय रहकर अनजानों के बीच लाइक व कमेंट के गेम में खोया हुआ है। परिणामस्वरूप लोगों के मिलने-जुलने, सोचने-समझने और एक-दूसरे से बातचीत के तौर-तरीके बदल गए हैं। इससे रोमांटिक और वैवाहिक रिश्तों में खटास के अलावा परिवार टूट रहे हैं। बीते 3 साल में सोशल मीडिया के प्रभाव से वैवाहिक समस्याएं, बेवफाई, संघर्ष, ईर्ष्या , तनाव और तलाक जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। एडजुआ लीगल्स गूगल एनॉलिटिक 2025 की रिपोर्ट के अनुसार
दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, लखनऊ, हैदराबाद और कोलकाता जैसे शहरों में हाल के वर्षों में तलाक के आवेदनों में तीन गुना वृद्धि देखी गई है। कंप्यूटर्स इन ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में भी राज्य-दर-राज्य तलाक दरों की तुलना प्रति व्यक्ति फेसबुक खातों से की गई। अध्ययन में सोशल मीडिया के उपयोग को विवाह की गुणवत्ता में कमी का बड़ा कारण माना गया है। फेसबुक पर 20 फीसदी लोग बढ़े तो महानगरों में तलाक दर 2.18 से 4.32 व्यक्ति बढ़ गई है। अध्ययन में यह भी पाया गया है कि सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करने वाले हर दिन सोशल मीडिया का उपयोग करने वालों की तुलना में अपने वैवाहिक जीवन में 11 फीसदी अधिक खुश हैं।
यू.के. में एक अध्ययन में पाया गया कि तलाक लेने वाले 3 में से 1 जोड़े ने स्वीकार किया कि वो फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नेपचैट को अपने पति या पत्नी से ज्यादा समय देता है। मिसौरी विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में फेसबुक से शुरू हुए संघर्ष को बेवफाई, ब्रेकअप और तलाक का कारण माना गया। दुनिया में सबसे ज्यादा तलाक दर मालदीव में 5.52 प्रति हजार जबकि सबसे कम श्रीलंका में 0.15 प्रति हजार है। भारत में यह प्रति हजार एक व्यक्ति से भी कम है। अध्ययन में कहा गया है कि रोमांटिक साथी के सोशल मीडिया इंटरैक्शन के बारे में संदेह अक्सर सही होता है। दस में से एक वयस्क अपने पार्टनर से दूसरे के मैसेज और पोस्ट छिपाने की बात स्वीकार की है। लिव इन में रहने वाले 8 प्रतिशत वयस्क एक या अधिक गुप्त सोशल मीडिया और बैंक अकाउंट रखने की बात स्वीकार करते हैं। वहीं, तीन में से एक तलाक अब ऑनलाइन संबंधों के कारण हो रहा है।
लोग अक्सर अपने साथी के फेसबुक अकाउंट पर कुछ खोजने के बाद अपने रिश्ते को लेकर असहज महसूस करते हैं। इससे अक्सर रिश्ते में निगरानी, ईष्र्या और संघर्ष बढ़ जाता है। शोध मे पाया गया कि कोई व्यक्ति अपने जितना ही अपने साथी की फेसबुक गतिविधि की जांच करता है, वह उतना ही ईष्र्या और अविश्वास से भरता जाता है।
व्यस्त जीवनशैली तनाव पैदा करती है, क्योंकि यहां रिश्तों के लिए बहुत कम समय बचता है। लंबे समय तक काम करना, नौकरी का दबाव, वित्तीय चुनौतियां और पारिवारिक जिम्मेदारियों में कमी अक्सर अलगाव का कारण बनती हैं। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलूरु जैसे मेट्रो शहरों में तलाक के सर्वाधिक मामले दर्ज किए जाते हैं, जो वैवाहिक जीवन पर हावी शहरीकरण को उजागर करते हैं।
व्यस्त जीवनशैली तनाव पैदा करती है, क्योंकि यहां रिश्तों के लिए बहुत कम समय बचता है। लंबे समय तक काम करना, नौकरी का दबाव, वित्तीय चुनौतियां और पारिवारिक जिम्मेदारियों में कमी अक्सर अलगाव का कारण बनती हैं। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलूरु जैसे मेट्रो शहरों में तलाक के सर्वाधिक मामले दर्ज किए जाते हैं, जो वैवाहिक जीवन पर हावी शहरीकरण को उजागर करते हैं।
एडजुआ लीगल्स गूगल एनॉलिटिक 2025 के मुताबिक 25 से 34 वर्ष के बीच तलाक के मामले सर्वाधिक 35.1 फीसदी हैं तो 18 से 24 के बीच 27.6 फीसदी तलाक होते हैं। यह आंकड़ा 35 से 44 वर्ष के बीच 16.2 तथा 45 से 54 वर्ष के बीच 10 फीसदी है। 55 से 64 वर्ष के बीच 7 तो 65 वर्ष से अधिक आयु के 5 फीसदी तलाक होते हैं।
एडजुआ लीगल्स गूगल एनॉलिटिक 2025 के मुताबिक देश में तलाक के संभावित कारणों में कमिटमेंट में कमी के कारण 75 फीसदी, बेवफाई के कारण 59.6 फीसदी, संघर्ष और बहस के कारण 57.7 फीसदी, कम उम्र में शादी होने के कारण 45.1 फीसदी, वित्तीय समस्याओं के कारण 36.7 फीसदी, मादक द्रव्यों का सेवन करने के कारण 34.6 फीसदी तथा घरेलू हिंसा के कारण 23.5 फीसदी तलाक होते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक सितम्बर, 2024 तक देश में सर्वाधिक तलाक दर वाले राज्यों में महाराष्ट्र है, जहां प्रति हजार व्यक्ति तलाक के 18.7 मामले हैं तो कर्नाटक में 11.7, पश्चिम बंगाल 8.2, दिल्ली में 7.7, तमिलनाडु में 7.1, तेलंगाना में 6.7, केरल में 6.3 तथा राजस्थान में 2.5 हैं।
एडजुआ लीगल्स गूगल एनॉलिटिक 2025 के मुताबिक देश में तलाक के संभावित कारणों में कमिटमेंट में कमी के कारण 75 फीसदी, बेवफाई के कारण 59.6 फीसदी, संघर्ष और बहस के कारण 57.7 फीसदी, कम उम्र में शादी होने के कारण 45.1 फीसदी, वित्तीय समस्याओं के कारण 36.7 फीसदी, मादक द्रव्यों का सेवन करने के कारण 34.6 फीसदी तथा घरेलू हिंसा के कारण 23.5 फीसदी तलाक होते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक सितम्बर, 2024 तक देश में सर्वाधिक तलाक दर वाले राज्यों में महाराष्ट्र है, जहां प्रति हजार व्यक्ति तलाक के 18.7 मामले हैं तो कर्नाटक में 11.7, पश्चिम बंगाल 8.2, दिल्ली में 7.7, तमिलनाडु में 7.1, तेलंगाना में 6.7, केरल में 6.3 तथा राजस्थान में 2.5 हैं।
-राजेश खण्डेलवाल-