आज पूरा विश्व धीरे-धीरे ही सही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(एआइ) के युग में प्रवेश कर रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज के इस युग में व्यवसाय और सरकारी संस्थाएँ ग्राहकों के अनुभवों को बेहतर बनाने, प्रतिस्पर्धात्मक लाभ बढ़ाने और समुदायों में सुरक्षा और संरक्षा में सुधार करने के लिए मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) जैसे कम्प्यूट-इंटेंसिव अनुप्रयोगों की ओर तेज़ी से बढ़ रही हैं।इन दिनों चैटजीपीटी, गूगल जेमिनी, मेटा एआई और डीपसीक जैसे एआइ चैटबॉट के बीच ग्रोक एआइ(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) इंटरनेट की दुनिया में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। एआइ का यह(ग्रोक) एक नया-नवेला प्लेटफॉर्म है, और इसे इन दिनों भारत में भी बहुत पसंद किया जा रहा है।
वास्तव में,ग्रोक एक नया, सरल प्रोसेसिंग आर्किटेक्चर पेश कर रहा है, जिसे विशेष रूप से मशीन लर्निंग अनुप्रयोगों और अन्य कम्प्यूट-गहन कार्यभार की प्रदर्शन आवश्यकताओं के लिए डिज़ाइन किया गया है। पाठकों को बताता चलूं कि ग्रोक को एक्स एआइ नामक एक कंपनी ने विकसित किया है, जो कि संयुक्त राज्य अमेरिका(यूएसए) में है। इस चैटबॉट को एलन मस्क के एआइ रीसर्च ऑर्गनाइजेशन (एक्स एआइ) की ओर से बनाया गया है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि सॉफ़्टवेयर-प्रथम मानसिकता से प्रेरित, ग्रोक की चिप वास्तुकला एक नया प्रसंस्करण प्रतिमान प्रदान करती है, जिसमें निष्पादन और डेटा प्रवाह का नियंत्रण हार्डवेयर से कंपाइलर में स्थानांतरित हो जाता है।
सभी निष्पादन योजनाएँ सॉफ़्टवेयर में होती हैं, जिससे अतिरिक्त प्रसंस्करण क्षमताओं के लिए मूल्यवान सिलिकॉन स्थान खाली हो जाता है। यह दृष्टिकोण ग्रोग को पारंपरिक, हार्डवेयर-केंद्रित वास्तुशिल्प मॉडल की बाधाओं को मौलिक रूप से बायपास करने की अनुमति देता है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार ग्रोक की सरलीकृत वास्तुकला चिप से बाहरी सर्किटरी को हटा देती है ताकि प्रति वर्ग मिलीमीटर अधिक प्रदर्शन के साथ अधिक कुशल सिलिकॉन डिज़ाइन प्राप्त किया जा सके। इससे कैशिंग, कोर-टू-कोर संचार, सट्टा और आउट-ऑफ-ऑर्डर निष्पादन की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। कुल क्रॉस-चिप बैंडविड्थ और गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले कुल ट्रांजिस्टर के उच्च प्रतिशत को बढ़ाकर उच्च कंप्यूट घनत्व प्राप्त किया जाता है।
ग्रोक सिस्टम आर्किटेक्चर की सरलता हाथ अनुकूलन, प्रोफाइलिंग और विशेष डिवाइस ज्ञान की आवश्यकता को समाप्त करती है जो पारंपरिक हार्डवेयर-केंद्रित डिज़ाइन दृष्टिकोणों पर हावी है। इसके बजाय ग्रोक कंपाइलर पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे सॉफ़्टवेयर आवश्यकताओं को हार्डवेयर विनिर्देश को चलाने में सक्षम बनाया जाता है। ग्रोक उत्पाद अगली पीढ़ी की कम्प्यूट तकनीकों के निर्माण के लिए आवश्यक विविध, वास्तविक दुनिया के कम्प्यूटेशन सेट को जल्दी से अनुकूलित करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
मशीन लर्निंग की तैनाती और निष्पादन को सरल बनाकर, ग्रोक एआई अनुप्रयोगों और अंतर्दृष्टि के लाभों को बहुत व्यापक दर्शकों तक विस्तारित करना संभव बनाता है। संपूर्ण प्रणाली – सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर – ग्रोक की तकनीक का उपयोग करने वाले सभी लोगों के लिए अनुभव को काफी सरल और बेहतर बनाता है।ग्रोक एआई अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए डीप लर्निंग इंफरेंस प्रोसेसिंग के लिए आदर्श है, लेकिन यह समझना महत्वपूर्ण है कि ग्रोक चिप एक सामान्य-उद्देश्य, ट्यूरिंग-पूर्ण, कंप्यूट आर्किटेक्चर है। यह किसी भी उच्च-प्रदर्शन, कम विलंबता, कंप्यूट-गहन कार्यभार के लिए एक आदर्श प्लेटफ़ॉर्म है।
पाठकों को बताता चलूं कि इसको बनाने के पीछे का उद्देश्य ये है कि ये लोगों के पूछे गए सवालों का जवाब देने और बाकी अन्य कामों को आसान बनाएगा।यदि कोई भी यूजर ग्रोक से कोई भी सवाल करना चाहता है, तो उसे एक्स पर ञ्चग्रोक को टैग करके पूछ सकते हैं। इसके अलावा, ग्रोक एआइ की आधिकारिक वेबसाइट ग्रोक डाट कॉम पर जाकर भी कोई भी व्यक्ति ग्रोक से अपने कोई भी सवाल पूछ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि ग्रोक ३ एआइ मॉडल, अपने पिछले जनरेशन(ग्रोक २ एआइ मॉडल) से दस गुना तेज और एक बहुत ही पावरफुल एआइ चैटबाट मॉडल है।
दूसरे शब्दों में कहें तो यह सुपीरियर रीजनिंग और बड़े प्रीट्रेनिंग नॉलेज का ब्लेंड कहा जा सकता है। ये चैटबॉट कोडिंग, मैथमेटिक्स, इमेज क्रिएशन, इंस्ट्रक्शन-ड्रिवन टास्क्स और रीजनिंग जैसे कई काम कर सकता है। ये प्रॉब्लम्स सॉल्व करने के साथ-साथ गेम्स भी बना सकता है। सच तो यह है कि यह तकनीकी रूप से बहुत ही सक्षम, संवाद-कला में अद्वितीय(बेबाकी से जबाब देने वाला) मॉडल है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह मानव जैसे तर्क(लोजिक) और ह्यूमर के साथ जवाब देता है। यहां तक कि यह स्लैंग और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने से भी परहेज नहीं कर रहा है। पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही में ग्रोक द्वारा अभद्र भाषा के इस्तेमाल की हरकत के कारण बात इतनी ऊपर तक पहुंच गई कि आईटी मंत्रालय ने ग्रोक एआइ को बनाने वाली कंपनी एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) को जवाब तलब किया है।
ग्रोक अन्य चैटबॉट से काफी अलग है। वास्तव में, यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा कि ग्रोक को एक्स पर मौजूद डेटा से प्रशिक्षित किया गया है, जिसमें सोशल मीडिया पोस्ट, बातचीत और ट्रेंड्स शामिल हैं। इससे यह इंटरनेट पर ट्रेंडिंग लैंग्वेज और स्लैंग जैसी जानकारियों को समझता है और उसी अंदाज़ में जवाब देता है।सच तो यह है कि इसे इस तरह से डिजाइन/निर्माण किया गया है कि यह यूजर्स के साथ मजाकिया और संवादात्मक तरीके से बात करे। दूसरे शब्दों में कहें तो, यह मजाकिया (ह्यूमर) और बग़ावत वाले लहजे में जबाब देता है।
इसे हम कुछ यूं समझ सकते हैं। मतलब कि अगर यूजर सीधा सवाल पूछता है, तो जवाब भी सीधा होता है, लेकिन अगर यूज़र अनौपचारिक या तीखी भाषा इस्तेमाल करता है, तो ग्रोक भी उसी लहजे में जवाब दे सकता है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार ग्रोक, यूजर्स के सवालों का जवाब देने के लिए दो मोड्स का इस्तेमाल करता है। इसमें पहला ‘रेगुलर मोड’ है, जिसमें यह संयमित और सामान्य भाषा में जवाब देता है। वहीं ‘अनहिंज्ड मोड’ में यह बिना फ़िल्टर के जवाब देता है, जो कभी-कभी चौंकाने(आपत्तिजनक/अनफिल्टर्ड) वाला हो सकता है। वास्तव में, यह इसका अनहिंज्ड मोड ही वजह है कि ग्रोक यूजर्स को रिप्लाई में कई बार अपशब्द(अनफिल्टर्ड लैंग्वेज)तक कह देता है।
ग्रोक अपनी सर्वांगीण क्षमताओं के कारण यूजर्स के बीच इन दिनों खास चर्चा का विषय बना हुआ है। एक्स एआई ने ग्रोक को इस विचार के साथ विकसित किया है कि यह मानवता के लिए सहायक सिद्ध हो सके। कंपनी का मिशन है कि वह ब्रहमांड के मूलभूत सवालों जैसे कि जीवन का उद्देश्य, ब्रह्मांड की उत्पत्ति, और अंतरिक्ष में हमारी स्थिति को समझने में मदद करे। वास्तव में,ग्रोक एआइ एक बड़ा भाषा मॉडल है, जिसे टेक्स्ट बनाने, बदलने या उसका विश्लेषण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह इंटरनेट सर्च कार्यक्षमता और छवि निर्माण सहित उन्नत जनरेटिव एआई क्षमताएँ भी प्रदान करता है, जो इसे विभिन्न कार्यों के लिए एक बहुमुखी उपकरण बनाता है।ग्रोक का एक अनूठा और मौलिक लाभ यह है कि इसे एक्स प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से दुनिया का वास्तविक समय का ज्ञान है। यह उन मसालेदार सवालों के भी जवाब देने में सक्षम है, जिन्हें अधिकांश अन्य एआइ सिस्टम द्वारा खारिज कर दिया जाता है।ग्रोक वर्तमान घटनाओं के बारे में वास्तविक समय के उत्तर देने के लिए एक्स का लाभ उठाता है। ग्रोक एक्स एआइ के ऑरोरा, जो एक अलग वीडियो मॉडल है, का उपयोग करके छवियां उत्पन्न करता है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि ऑरोरा एक ऑटोरिग्रैसिव इमेज जेनरेशन मॉडल है।ऑटोरिग्रैसिव सांख्यिकीय तकनीक को संदर्भित करता है, जिसका उपयोग मॉडल यह अनुमान लगाने के लिए करता है कि अनुक्रम में आगे कौन सी सामग्री आने की सबसे अधिक संभावना है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार ग्रोक और चैटजीपीटी या लामा जैसे अन्य जनरेटिव एआई उत्पादों के बीच एक बड़ा अंतर यह है कि ग्रोक पूरी तरह से एक्स सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के भीतर काम करता है। ग्रोक उत्पादकता से संबंधित सवालों के जवाब दे सकता है, टेक्स्ट का विश्लेषण कर सकता है और गणित और कोडिंग समस्याओं को हल कर सकता है। यह कई अन्य कार्य भी कर सकता है जो जनरेटिव एआई व्यवसाय के लिए कर सकता है। हालाँकि, इसका डेटा एक्स प्लेटफ़ॉर्म के भीतर ही रहता है।
वास्तव में ग्रोक का लक्ष्य उपयोगकर्ताओं को एक बाहरी, नया दृष्टिकोण प्रदान करना है, जो सामान्य मानवीय सोच से परे हो। ग्रोक की खास बात यह है कि यह जटिल सवालों के जवाब में भी स्पष्टता और संक्षिप्तता बनाए रखता है। जैसा कि ऊपर बता चुका हूं कि इसकी शैली संवादात्मक शैली है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि ग्रोक की जानकारी लगातार अपडेट होती रहती है, जिससे यह नवीनतम घटनाओं और खोजों के बारे में भी बता सकता है। इसकी बहुभाषी क्षमता के कारण यह हिंदी सहित कई भाषाओं में आसानी से संवाद कर सकता है, जिससे यह वैश्विक उपयोगकर्ताओं के लिए सुलभ है। भारत में भी यह इसीलिए लोकप्रिय हो रहा है, क्यों कि यहां अधिकतर हिंदी का प्रयोग किया जाता है। ग्रोक उपयोगकर्ताओं द्वारा अपलोड की गई सामग्री, जैसे कि चित्र, कोई पीडीएफ और कोई टेक्स्ट फाइल्स, आदि को आसानी से समझ सकता है। ग्रोक न केवल नवीनतम वैज्ञानिक अनुमानों के आधार पर जवाब देने में सक्षम है, अपितु यह जवाबों को रोचक तरीके से प्रस्तुत करने की अभूतपूर्व क्षमताएं रखता है।यह असामान्य(एब्नार्मल), फिलासीफिकल (दार्शनिक) सवालों तक के जवाब देने में सक्षम है।
बहरहाल कहना ग़लत नहीं होगा कि हालांकि, ग्रोक एक बेहद शक्तिशाली ए आइ है, लेकिन इसकी अपनी कुछ सीमाएँ भी हैं। उदाहरण के लिए, यह स्वतंत्र रूप से नैतिक निर्णय नहीं ले सकता है। वास्तव में सच तो यह है कि मशीन में इंसान की भांति स्वाभाविक बुद्धिमत्ता और ज्ञान का अभाव होता है। एक इंसान अपनी बुद्धिमत्ता, ज्ञान, और समझ से संज्ञान में होता है। इंसान नई सांदर्भिक स्थितियों का सामना करने के लिए अपने अनुभव और सीख से सीधे निर्णय ले सकता है, वहीं मशीन कितनी ही आधुनिक क्यों न हो जाए, मशीन आखिर मशीन ही होती है।साथ ही, पाठकों को बताता चलूं कि ग्रोक केवल वही चित्र संपादित कर सकता है, जो उसने पहले उत्पन्न किए हों। हाल फिलहाल,ग्रोक के बारे में यह बात कही जा सकती है कि यह लगातार उन्नत किया जा रहा है।आने वाले समय में यह अधिक भाषाओं तक अपनी पहुंच बना सकेगा, और अधिक अच्छे से चीजों का विश्लेषण कर सकेगा, टेक्स्ट, पीडीएफ को और अधिक बेहतरी से समझ सकेगा, ऐसी उम्मीदें की जा सकतीं हैं।आने वाले समय में यह मानवीय भावनाओं को भी और अधिक बेहतरी से समझ सकेगा, लेकिन यह मानव का हूबहू विकल्प नहीं हो सकता है।आने वाले समय में, शिक्षा, अनुसंधान, और यहाँ तक कि व्यक्तिगत सहायता के क्षेत्र तक में भी यह क्रांति ला सकता है।
यहां यह भी कहना ग़लत नहीं होगा कि ग्रोक आज ग्रोथ लालबुझक्कड़ की तरह लोगों के सवालों का धड़ाधड़ जवाब दे रहा है, लेकिन यह कोई अजूबा नहीं है। दरअसल, आज सोशल मीडिया पर हम सभी ने जाने अनजाने में बहुत सा डाटा शेयर कर दिया है और ग्रोक वही सब रिकार्डेड बातें/मैटीरियल एआइ एल्गोरिद्म की सहायता से हमें अविलम्ब बता रहा है। सच तो यह है कि आज हम भारतीयों की नहीं अपितु संपूर्ण विश्व की महत्वपूर्ण जानकारियां तकनीक में एडवांस लोगों के पास उपलब्ध हैं। अंत में यही कहूंगा कि यह ठीक है आज हम तकनीक के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ते चले जा रहे हैं, लेकिन तकनीक का सही इस्तेमाल किया जाना बहुत आवश्यक है।सुनील कुमार महला
वास्तव में ग्रोक का लक्ष्य उपयोगकर्ताओं को एक बाहरी, नया दृष्टिकोण प्रदान करना है, जो सामान्य मानवीय सोच से परे हो। ग्रोक की खास बात यह है कि यह जटिल सवालों के जवाब में भी स्पष्टता और संक्षिप्तता बनाए रखता है। जैसा कि ऊपर बता चुका हूं कि इसकी शैली संवादात्मक शैली है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि ग्रोक की जानकारी लगातार अपडेट होती रहती है, जिससे यह नवीनतम घटनाओं और खोजों के बारे में भी बता सकता है। इसकी बहुभाषी क्षमता के कारण यह हिंदी सहित कई भाषाओं में आसानी से संवाद कर सकता है, जिससे यह वैश्विक उपयोगकर्ताओं के लिए सुलभ है। भारत में भी यह इसीलिए लोकप्रिय हो रहा है, क्यों कि यहां अधिकतर हिंदी का प्रयोग किया जाता है। ग्रोक उपयोगकर्ताओं द्वारा अपलोड की गई सामग्री, जैसे कि चित्र, कोई पीडीएफ और कोई टेक्स्ट फाइल्स, आदि को आसानी से समझ सकता है। ग्रोक न केवल नवीनतम वैज्ञानिक अनुमानों के आधार पर जवाब देने में सक्षम है, अपितु यह जवाबों को रोचक तरीके से प्रस्तुत करने की अभूतपूर्व क्षमताएं रखता है।यह असामान्य(एब्नार्मल), फिलासीफिकल (दार्शनिक) सवालों तक के जवाब देने में सक्षम है।
बहरहाल कहना ग़लत नहीं होगा कि हालांकि, ग्रोक एक बेहद शक्तिशाली ए आइ है, लेकिन इसकी अपनी कुछ सीमाएँ भी हैं। उदाहरण के लिए, यह स्वतंत्र रूप से नैतिक निर्णय नहीं ले सकता है। वास्तव में सच तो यह है कि मशीन में इंसान की भांति स्वाभाविक बुद्धिमत्ता और ज्ञान का अभाव होता है। एक इंसान अपनी बुद्धिमत्ता, ज्ञान, और समझ से संज्ञान में होता है। इंसान नई सांदर्भिक स्थितियों का सामना करने के लिए अपने अनुभव और सीख से सीधे निर्णय ले सकता है, वहीं मशीन कितनी ही आधुनिक क्यों न हो जाए, मशीन आखिर मशीन ही होती है।साथ ही, पाठकों को बताता चलूं कि ग्रोक केवल वही चित्र संपादित कर सकता है, जो उसने पहले उत्पन्न किए हों। हाल फिलहाल,ग्रोक के बारे में यह बात कही जा सकती है कि यह लगातार उन्नत किया जा रहा है।आने वाले समय में यह अधिक भाषाओं तक अपनी पहुंच बना सकेगा, और अधिक अच्छे से चीजों का विश्लेषण कर सकेगा, टेक्स्ट, पीडीएफ को और अधिक बेहतरी से समझ सकेगा, ऐसी उम्मीदें की जा सकतीं हैं।आने वाले समय में यह मानवीय भावनाओं को भी और अधिक बेहतरी से समझ सकेगा, लेकिन यह मानव का हूबहू विकल्प नहीं हो सकता है।आने वाले समय में, शिक्षा, अनुसंधान, और यहाँ तक कि व्यक्तिगत सहायता के क्षेत्र तक में भी यह क्रांति ला सकता है।
यहां यह भी कहना ग़लत नहीं होगा कि ग्रोक आज ग्रोथ लालबुझक्कड़ की तरह लोगों के सवालों का धड़ाधड़ जवाब दे रहा है, लेकिन यह कोई अजूबा नहीं है। दरअसल, आज सोशल मीडिया पर हम सभी ने जाने अनजाने में बहुत सा डाटा शेयर कर दिया है और ग्रोक वही सब रिकार्डेड बातें/मैटीरियल एआइ एल्गोरिद्म की सहायता से हमें अविलम्ब बता रहा है। सच तो यह है कि आज हम भारतीयों की नहीं अपितु संपूर्ण विश्व की महत्वपूर्ण जानकारियां तकनीक में एडवांस लोगों के पास उपलब्ध हैं। अंत में यही कहूंगा कि यह ठीक है आज हम तकनीक के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ते चले जा रहे हैं, लेकिन तकनीक का सही इस्तेमाल किया जाना बहुत आवश्यक है।सुनील कुमार महला