लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने मार्च माह में जिलाधिकारी आवास से 40 वर्षों से जमा नहीं हुए किराये की मांग की है। इस मांग के बाद जिला प्रशासन ने किराये की वित्तिय जानकारी मांगी है। साथ ही जिलाधिकारी आवास के बारे में एलडीए को पुष्ट जानकारी मुहैया कराने को कहा गया है।
लखनऊ की मशहूर नूर बख्श की कोठी को एलडीए अपनी सम्पत्ति बताता है। इसी नूर बख्श की कोठी में जिलाधिकारी आवास बना है। इसके कारण एलडीए के ओएसडी राजीव कुमार ने जिलाधिकारी आवास से पुराने किराये की वसूली के लिए नोटिस भेजवाया। जिस पर जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने नाराजगी जाहिर की और एडीएम प्रशासन शुभी सिंह को प्रकरण को देखने के लिए कहा।
एडीएम प्रशासन शुभी सिंह ने कहा कि जिलाधिकारी आवास का मेन्टेनेंस चार्ज लगता है। जिसे नगर निगम या एलडीए जो भी संस्था देखेगी, उसे मेन्टेनेंस चार्ज दिया जायेगा। जिलाधिकारी आवास के किराये संबंधित विषय पर वास्तविक कागजात देखने पड़ेंगे। जिससे ही कुछ स्पष्ट हो पायेगा।
वहीं, एलडीए के अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने कहा कि एलडीए अपनी सम्पत्ति को लेकर किराये की मांग कर सकता है। जिलाधिकारी आवास का किराया बाकी है। जिसके लिए एलडीए ने किराये की मांग की है। आने वाले वक्त में आवास से संबंधित कागजात भी प्रस्तुत कर दिया जायेगा।
जानकारी हो कि जिलाधिकारी आवास में सीवर, बिजली, पानी के लिए अलग अलग टैक्स को नियमित जमा कराने की व्यवस्था रही है। पूर्व में रहे जिलाधिकारियों ने आवासीय सुविधा शुल्क अर्थात मेन्टेनेंस चार्ज भी कार्यदायी संस्था को समय से जमा कराया है। फिर सरोजनी नायडू पार्क वाली नूर बख्श कोठी के मालिकाना हक पर अभी कागजात प्रस्तुत होने बाकी है।