गाजियाबाद। शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज अपने रक्तपत्र को लेकर समर्थन और आशीर्वाद मांगने श्रीदूधेश्वरनाथ मठ पहुंचे। जहां उन्होंने अपने साथियों के साथ देवाधिदेव भगवान महादेव शिव का जलाभिषेक करके श्रीमहंत नारायण गिरी के श्रीचरणों में प्रणाम करके उनसे समर्थन और आशीर्वाद मांगा। उन्होंने यह रक्तपत्र डॉ उदिता त्यागी से अपने रक्त से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए लिखवाया है। यह रक्तपत्र एक लाख हस्ताक्षरों के साथ डॉ. उदिता त्यागी व अन्य साथी योगी आदित्यनाथ को उनके जनता दरबार में देकर आयेंगे।
श्रीदुधेश्वरनाथ मठ में दिल्ली संत महामंडल की सम्पूर्ण कार्यकारिणी ने इस अभियान का स्वागत व समर्थन किया और हर तरह के सहयोग का आश्वासन दिया। दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष वर्तमान में श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज हैं। इस अवसर पर उनके साथ दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय महामंत्री महामंडलेश्वर नवलकिशोर दास महाराज, कोषाध्यक्ष श्रीमहंत धीरेन्द्र पुरी महाराज, महामंडलेश्वर शिवचंद्रानंद गिरी, महंत मंगलदास, आचार्य अच्युतानंद तथा अन्य संत उपस्थित थे।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज के साथ डॉ उदिता त्यागी,अनिल यादव,विनोद सर्वोदय,महेश आहूजा,मोहित बजरंगी सहित उनके अन्य साथी भी उपस्थित थे। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज की प्रतिनिधि के रूप में डॉ उदिता त्यागी इस अभियान का समन्वय कर रही हैं। वो भारत के सभी हिंदू संगठनों को प्रेरित करके इस अभियान को आंदोलन के रूप में बदलने का प्रयास करेंगी। इस अभियान के विषय में जानकर श्रीमहंत नारायण गिरी जी महाराज ने महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज व उनके साथियों को बहुत आशीर्वाद दिया।
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श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज ने कहा कि शस्त्र सनातन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। हमारा कोई देवी देवता कभी भी शस्त्र के बिना नहीं रहता।इस्लामिक गुलामी आने से पहले प्रत्येक सनातनी को शस्त्र रखने का ना केवल अधिकार था बल्कि शस्त्रविहीन व्यक्ति समाज में सम्मानित नहीं समझा जाता था। शस्त्र रखना तो प्रत्येक सनातनी का मूल अधिकार होना चाहिए। ऐसे समय में जबकि हम बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं के जघन्य नरसंहार को देख रहे हैं,शस्त्र की ओर लौटना हम सबके लिए अति अनिवार्य हो गया।
उन्होंने अपने कश्मीर प्रवास के दिनों को स्मरण करते हुए कहा कि अगर कश्मीरी हिंदुओं के पास शस्त्र होते तो उनकी ऐसी अभूतपूर्व दुर्गति ना होती।
उन्होंने इस अभियान के लिए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज व उनके साथियों को साधुवाद देते हुए कहा कि हमने यति नरसिंहानंद गिरी को श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया ही इसलिए हैं कि वो धर्म की लड़ाई लड़े। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा सहित सम्पूर्ण संत समाज हर तरह से महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज के साथ है।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने कहा कि हिंदुओ को समझना चाहिए कि शस्त्रविहीन हिन्दू समाज सम्पूर्ण मानवता का कोढ़ बन जाएगा।शस्त्रविहीन हिन्दू इस्लाम के जिहादियों के हाथों अपनी महिलाओं का सामूहिक बलात्कार देखकर मरेगा।कुछ हिंदू अपनी इस अभूतपूर्व दुर्गति के साथ धर्म बदल कर मुसलमान बन जायेगे और वो इसका बदला सम्पूर्ण मानवता से लेंगे।ऐसा अरब में मोहम्मद के समय से ही शुरू हो गया था। मोहम्मद ने अपने परिवारिक भाई अबू सूफियान को अपने अत्याचारों से डराकर इस्लाम स्वीकार करवाया था।
बाद में अबू सूफियान और उसके परिवार ने इसका बदला मोहम्मद के अनुयायियों से लिया और मोहम्मद के सारे साथियों का एक एक करके कत्ल करवा दिया।तभी से इस्लाम में खूनखराबे की यह परम्परा स्थापित हो गई।विश्व का कोई भी कमजोर व्यक्ति जब अपनी कमजोरी के कारण इस्लाम को स्वीकार करता है तो वह इस अत्याचार के कारण सारे विश्व और मानवता से घृणा करने लगता है। यहीं इस्लाम के इस भयंकर रक्तपात का मनोवैज्ञानिक कारण है। यह घृणा इस्लाम का मूल स्वभाव बन चुकी है। इसीलिए अगर भारत के हिंदू इस्लाम स्वीकार करने को मजबूर हुए तो वो सम्पूर्ण मानवता का कोढ़ बन जायेगे।