सहारनपुर- देवबंदी मसलक के इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारूल उलूम देवबंद में महिलाएं भ्रमण कर सकेंगी। इसी साल 17 मई को उनके दारूल उलूम जाने पर रोक लगा दी गई थी।
दारूल उलूम देवबंद के प्रवक्ता अशरफ उस्मानी ने मंगलवार को बताया कि संस्था में महिलाओं का प्रवेश नवंबर माह में शुरू हो जायगा। इसके लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे है. मजलिस-ए-सूरा में यह मामला विचार के लिए भेजा गया जहां सूरा ने महिलाओं को भ्रमण की अनुमति देने का निर्णय लिया। इसके लिए दारूल उलूम में जाने की इच्छुक महिलाओं को पर्दे का पालन करना होगा और वे वहां उचित प्रवेश कार्ड के जरिए ही भ्रमण कर सकेंगी। उन पर वहां फोटोग्राफी करने या रील बनाने पर प्रतिबंध रहेगी।
दारूल उलूम में हजरत पैगम्बर साहब का रूमाल रखा हुआ है। वहां की इमारत बहुत ही प्राचीन है। बेसकीमती पुस्तकों से सजी लाइब्रेरी है। जहां औरंगजेब के हाथों लिखी कुरान शरीफ भी रखी हुई है। इस्लाम धर्म में महिलाओं को पुरूषों के बराबर सम्मान और अधिकार दिए गए हैं। प्रतिदिन बाहर से बड़ी संख्या में लोग दारूल उलूम को देखने आते हैं। दारूल उलूम के साथ ही एशिया की सबसे बड़ी और बेहद खूबसूरत रशीदिया मस्जिद भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र है।
यह मस्जिद आगरा के ताजमहल जैसी ही दिखाई देती है और सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनी हुई है। कुछ माह पूर्व दारूल उलूम में भ्रमण के दौरान महिलाओं द्वारा फोटोग्राफी किए जाने और रील बनाए जाने की शिकायतें मिलने के बाद दारूल उलूम के मोहत्मिम अबुल कासिम नौमानी ने महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। जबकि हमेशा से ही महिलाओं की इस संस्था में बेरोकटोक आवाजाही होती थी। दारूल उलूम के नए फैसले से महिलाओं में खुशी का माहौल है।