कोलकाता। आरजी कर अस्पताल की घटना के बाद पैदा हुए विवाद के बीच पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग ने 42 डॉक्टरों के तबादले के आदेश को 24 घंटे के भीतर ही रद्द करने का फैसला किया है। शनिवार को राज्य के स्वास्थ्य सचिव नारायणस्वरूप निगम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस तबादले के पीछे कोई और कारण नहीं था और यह पूरी तरह से रूटीन प्रक्रिया का हिस्सा था।
स्वास्थ्य सचिव नारायणस्वरूप निगम ने बताया कि यह तबादला प्रक्रिया आरजी कर अस्पताल में नौ अगस्त को हुई घटना से लगभग दो महीने पहले शुरू हुई थी। उन्होंने कहा, “तबादले की प्रक्रिया काफी पहले शुरू हो गई थी, लेकिन नामों की स्पेलिंग और अन्य महत्वपूर्ण चीजों में सुधार करने के कारण आदेश जारी करने में देरी हुई। हालांकि, अब हमने इस आदेश को रद्द करने का निर्णय लिया है।”
तबादले के आदेश को रद्द करने का कारण बताते हुए स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि जिन डॉक्टरों का तबादला किया जा रहा था, वे विभिन्न स्थानों पर सेवाएं दे रहे हैं। उनके तबादले से स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ सकता है, इसलिए इस फैसले को फिलहाल रद्द कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस फैसले में कोई विवाद नहीं है और इसे अस्थायी रूप से रद्द किया गया है। इस मामले पर अगला फैसला कुछ दिनों में लिया जाएगा।
गौरतलब है कि शुक्रवार को राज्य स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने इस तबादले का आदेश जारी किया था। इस आदेश में ‘राज्यपाल की इच्छानुसार’ जिम्मेदारी सौंपने का संदेश भी था। लेकिन इस आदेश के जारी होते ही विवाद खड़ा हो गया। भाजपा ने आरोप लगाया कि ये डॉक्टर आरजी कर अस्पताल की घटना के विरोध में आवाज उठा रहे थे, इसी कारण ममता बनर्जी सरकार ने यह ‘बदले की कार्रवाई’ की है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने इसे ‘दंडात्मक कदम’ बताया।
दूसरी ओर, ‘यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट एसोसिएशन’ ने भी इस तबादले का विरोध किया है। संगठन ने एक बयान में कहा, “बंगाल के राज्यपाल ने हमारे विरोध का समर्थन करने वाले सदस्यों का अन्यायपूर्ण रूप से तबादला किया है। इस दंडात्मक कदम से हमारे न्याय और सुरक्षा के लिए की जा रही मांग को दबाया नहीं जा सकता। हम अपनी लड़ाई में एकजुट और दृढ़ हैं।” वहीं, ‘एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स’ ने भी इस तबादले का विरोध किया।
स्वास्थ्य विभाग ने इस विरोध के बीच अपने फैसले में बदलाव का ऐलान किया है।