मुंबई। अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर सोमवार को एक वीडियो शेयर कर प्रशंसकों को जानकारी दी। ममता ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा देने की बात बताई। ममता कुलकर्णी ने कहा, ‘मैं महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे रही हूं। मैं साध्वी थी और आगे भी साध्वी ही रहूंगी।
“ बता दें, ममता कुलकर्णी को हाल ही में किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई थी, लेकिन इस फैसले पर कई धार्मिक गुरुओं ने आपत्ति जताई थी। लिहाजा इसे लेकर विवाद बढ़ता जा रहा था। ममता ने वीडियो में आगे कहा, “कुछ लोगों को मेरे महामंडलेश्वर बनने से समस्या हो रही थी। वह शंकराचार्य हों या कोई और उन्हें मुझसे दिक्कत थी। मैं इस विवाद में ना चाहकर भी फंस गई। भगवान भी आभूषण पहनते हैं, नारायण तो सर्वसंपन्न हैं।
संन्यास की अपनी एक अलग परिभाषा होती है।” अभिनेत्री का कहना है कि वह पिछले 25 सालों से संन्यास को धारण की हैं। उन्होंने कहा, “मैंने 25 साल घोर तपस्या की है। मैं बॉलीवुड से 25 साल दूर रही और मैंने मेकअप भी छोड़ दिया। लेकिन मेरे महामंडलेश्वर बनने पर सवाल उठाए जा रहे हैं और इसे लेकर काफी विरोध देखा गया।“ ममता ने कहा, ‘इन लोगों को ब्रह्म विद्या का कोई ज्ञान नहीं है। जो असली साधना करने वाले होते हैं, वह इस तरह के विवादों से दूर रहते हैं।” इससे पहले खबर आई थी कि अभिनेत्री से महामंडलेश्वर का पद वापस ले लिया गया है। इसके पीछे की वजह अभिनेत्री का सिनेमा से पुराना नाता और उनका आपराधिक अतीत बताया गया था।
इंटरनेट पर वायरल एक दस्तावेज के अनुसार, अखाड़े के प्रमुख ऋषि अजय दास ने लिखा था, “किन्नर अखाड़े के संस्थापक होने के नाते मैं आज आपको सूचित करता हूं कि मैं किन्नर अखाड़े के 2015-16 के उज्जैन कुंभ में मेरे द्वारा नियुक्त आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को आचार्य महामंडलेश्वर किन्नर अखाड़े के पद से मुक्त करता हूं।” उन्होंने पत्र में आगे लिखा, “जल्द ही उन्हें लिखित रूप से अवगत करा दिया जाएगा, क्योंकि धार्मिक प्रचार-प्रसार एवं धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ किन्नर समुदाय के उत्थान आदि के लिए जिस पद के लिए उनकी नियुक्ति की गई थी, उससे वह सदैव भटकते रही हैं। मेरी सहमति के बिना 2019 के प्रयागराज कुंभ में जूना अखाड़े के साथ लिखित अनुबंध किया, जो न केवल अनैतिक है, बल्कि एक प्रकार का धोखा भी है।
” जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़े के बीच संस्थापक की सहमति और हस्ताक्षर के बिना हुआ अनुबंध वैध नहीं है। अनुबंध में जूना अखाड़े ने किन्नर अखाड़े को संबोधित किया है, जिसका मतलब है कि उन्होंने किन्नर अखाड़े को 14 अखाड़ों के रूप में स्वीकार किया है। तो इसका मतलब यह है कि सनातन धर्म में 13 नहीं बल्कि 14 अखाड़े मान्य हैं, यह अनुबंध से स्वयं सिद्ध होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि अभिनेत्री को महामंडलेश्वर नियुक्त करने वाली आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने न केवल असंवैधानिक कार्य किया, बल्कि सनातन धर्म और देश हित को भी नजरअंदाज किया।