नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के जनपद शामली और मुजफ्फरनगर में दुनिया के सबसे लंबे धरने पर बैठे आन्दोलनकारी मास्टर विजय सिंह ने आज दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना देकर महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेज कर गांव चौसाना की 4 हजार बीघे सार्वजनिक भूमि ( अनुमानित कीमत 700 करोड रुपए) से अवैध कब्जा हटवा कर घोटाले प्रकरण सीo बीo आईo द्वारा जांच की मांग की है। भूमाफियाओं व भ्रष्टाचार के खिलाफ पिछले 28 सालों से धरने पर बैठे है।
आपको बता दें कि 8 अप्रैल 2019 को जनपद शामली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा मे ज्ञापन दिए थे जिन पर मुख्यमंत्री जिलाधिकारी शामली को जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिए थे जिलाधिकारी ने एसडीएम ऊन को जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिये थे एसडीएम ने जांच कर रिपोर्ट जिलाधिकारी को दिनांक 20 अक्टूबर 2019 को दे दी थी। इसके उपरांत जिलाधिकारी शामली ने स्वयं गांव चौसाना में जाकर रिपोर्ट का भौतिक सत्यापन किया था जिसमें सैकड़ो करोड़ की हजारों बीघा सार्वजनिक कृषि भूमि पर पूर्व विधायक ठा. जगत सिंह व परिवार का अवैध कब्जा साबित हुआ था। रिपोर्ट में ठा. जगत सिंह को भू माफिया घोषित करने की संस्तुति भी की गई थी ,रिपोर्ट में सभी आरोप सच साबित हुए थे परंतु राजनीतिक हस्तक्षेप व भ्रष्टाचार के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई क्योंकि आरोपी माफिया जिस पार्टी की सरकार आती है उसी पार्टी में चले जाते हैं सीएम योगी के 7 साल के कार्यकाल में मास्टर विजय सिंह अनेकों बार लखनऊ मुख्यमंत्री निवास जाकर सीएम योगी से मुलाकात का समय मांगा, परंतु कोई समय नहीं दिया गया। मेरठ मंडल कमिश्नर एचएल बिरदी ने 1995 में सारे मामले की जांच कर घोटाले की पुष्टि करते हुए रिपोर्ट प्रेषित की थी। आईजी सीबीसीआइडी ए.सी शर्मा (पूर्व डीजीपी उप्र.) ने जांच कर अवैध कब्जे की पुष्टि कर शासन को रिपोर्ट भेजी थी।
दुनिया का सबसे लंबा धरना रिकार्ड विभिन्न बुको में हो चुका दर्ज हो चुका । उनका धरना लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स, एशिया बुक आफ रिकार्ड्स, इंडिया बुक आफ रिकार्ड्स, वर्ल्ड रिकार्ड इंडिया तथा मीरा सेल्स आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हो चुका है। 2012 में कृषि भूमि अवैध कब्जा मुक्त कराने के लिए मा. विजय सिंह पद यात्रा करते हुए लखनऊ पहुंचे थे। तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव से मुलाकात कर भूमि कब्जा मुक्त कराने की मांग की थी, जिस पर जांच कमेटी गठित की गई, लेकिन आरोपियों के सपा में चले जाने के कारण राजनीतिक हस्तक्षेप व भ्रष्टाचार के कारण कोई कार्यवाही नहीं की गई थी।