सहारनपुर। मदरसा दारुल उलूम वक्फ देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती सलीम अशरफ कासमी ने वक्फ संशोधन बिल का विरोध करने का ऐलान किया है। उन्होंने इस कानून को शरीयत के खिलाफ बताते हुए विरोध दर्ज कराने की अपील की। उन्होंने कहा कि, यह बिल जेपीसी के पास है। उनको सुपुर्द किया गया है।
इस कमेटी ने पूरे मुल्क के मुसलमानों से राय मांगी है। इस्लाम के जानकार लोगों और आवाम से मेरी अपील है कि एक मुहिम और अभियान के तौर पर इस बिल का पुरजोर विरोध करें। यह बिल मुसलमान समाज के हक में नहीं है। गलत इरादे से लाए गए इस बिल का मकसद शरीयत के साथ खिलवाड़ है। ऐसी संपत्ति जिसे दान किया जाए, वसीयत की जाए या स्थाई ट्रस्ट में रखा जाए। हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
यह हमारे पुरखों द्वारा दान दी गई जमीन है। उसके खिलाफ किसी भी तरह का बिल लाना शरीयत के बिल्कुल खिलाफ है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास कुल तीन-चार दिन का समय है। हर गली हर मकान और मुहल्ले जाकर लोगों को इस बिल के बारे में बताईए। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से जो क्यूआर कोड जारी किया गया है, गली-मोहल्ले जाकर उसे स्कैन कराइए, ईमेल पूरा लिखा हुआ मिलेगा और उसे फॉरवर्ड कर दिजिए। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद शरद पवार ने रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के डेलिगेशन से मुलाकात की।
इस दौरान डेलीगेशन ने वक्फ संशोधन बिल-2024 के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा और बिल को खारिज करने की मांग की। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के डेलिगेशन ने शरद पवार से कहा कि वक्फ संशोधन बिल-2024 भारत के संविधान के खिलाफ है। डेलिगेशन ने शरद पवार से मांग की कि उनकी पार्टी और इंडिया गठबंधन सरकार पर दबाव डालें ताकि बिल वापस लिया जा सके। पवार ने मुस्लिम प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि हम किसी भी परिस्थिति में इस बिल को संसद में पारित नहीं होने देंगे। बोर्ड के महासचिव ने पवार को इस आश्वासन के लिए धन्यवाद दिया।