Saturday, April 26, 2025

महबूबा मुफ्ती ने शिवलिंग पर चढ़ाया जल, देवबंद के उलेमा बोले- यह शरीयत के है खिलाफ

सहारनपुर। जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने शिवलिंग पर जल चढ़ाया, जिसके बाद उलेमा नाराज हो गए हैं। पूर्व सीएम के द्वारा जल चढ़ाए जाने पर इत्तेहाद उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उलेमा मसूद अहमद कासमी की इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से महबूबा मुफ्ती ने शिवलिंग पर जल चढ़ाकर पूजा-अर्चना की, वह गलत है। शरीयत के खिलाफ है। मुसलमानों को इससे बचना चाहिए। इसी में मुसलमानों और मुल्क की भलाई है। मुसलमानों को हमेशा अपने धर्म पर चलना चाहिए। इस्लाम में हमें यही सीख दी जाती है।

इत्तेहाद उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुफ्ती असद कासमी ने कहा, ”हमारा धर्म क्या अनुमति देता है? हमारे धर्म में क्या प्रतिबंधित है? यह भारत का हर मुसलमान जानता है। महबूबा मुफ्ती भी इसे जानती हैं। उन्होंने ऐसा क्यों किया? इसके बारे में वे ही बता सकती हैं। महबूबा मुफ्ती ने जो किया है, वह उनके धर्म को छीन लेगा। उन्होंने जो किया है, वह इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है।”

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PDP चीफ महबूबा मुफ्ती 14 मार्च को पुंछ के नवग्रह मंदिर पहुंची थीं। वहां उन्होंने शिवलिंग पर जल चढ़ाया था। उन्होंने मंदिर में लगी यशपाल शर्मा की मूर्ति पर फूल भी चढ़ाए थे। इसकी तस्वीरें सामने आने के बाद इस पर सियासत गरमा गई है।

भाजपा ने महबूबा के मंदिर जाने को ड्रामा बताया है। पार्टी ने कहा कि कभी महबूबा ने अमरनाथ धाम के लिए जमीन देने से इनकार कर दिया था। इससे पहले महबूबा 2017 में गांदरबल के खीर भवानी मंदिर में भी जा चुकी हैं। तब वे जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री थीं।

वहीं, महबूबा मुफ्ती ने अपनी सफाई में कहा है, ”यह मंदिर पीडीपी के बड़े नेता यशपाल शर्मा ने बनवाया था। उनका बेटा चाहता था कि मैं मंदिर के अंदर जाऊं। जब मैं अंदर गई, तो किसी ने मुझे जल से भरा बर्तन थमा दिया। अगर मैं उसे लौटा देती तो गलत होता। इसलिए मैंने वह जल चढ़ा दिया।”

देवबंद के मौलाना असद कासमी ने महबूबा के मंदिर जाने और वहां शिवलिंग पर जल चढ़ाने का विरोध किया है। कासमी ने कहा- महबूबा ने जो किया, वह गलत है। यह इस्लाम के खिलाफ है।

जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम मौलाना कारी इसहाक गोरा का कहना है, इस्लाम में सिर्फ नाम रख लेना काफी नहीं होता। उसके लिए इस्लाम के कायदे कानूनों को भी मानना पड़ता है। सच्चा और पक्का मुसलमान अच्छे से जानता है कि उसके किस कार्य को करने से वो इस्लाम खारिज हो जाता है। इसी तरह महबूबा मुफ्ती ने मंदिर में जाकर पूर्जा अर्चना की है। अगर वह खुद को पक्की सच्ची मुसलमान समझती हैं तो उनको मालूम होना चाहिए कि वह इस्लाम में रही हैं या नहीं।

 

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