कैराना। एनजीटी व सरकारी गाइड लाइन को ठेंगा दिखाकर यमुना की बहती धारा के बीचों बीच खनन माफियाओं द्वारा रात के अंधेरे में भारी भरकम मशीनों से खनन किया जा रहा है। ग्रामीण किसानों द्वारा कई बार शिकायतें करने के बाद भी प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। पीड़ित किसान सर्द रातों में रातभर जागकर खनन माफियाओं से अपनी भूमि को बचाने के लिए पहरा दे रहे हैं। अधिकारी इस अवैध धंधे पर पर्दादारी की जुस्तजू में लगे हुए हैं।
कैराना क्षेत्र में नियमानुसार खनन करने के लिए सरकार द्वारा पांच वर्षों के लिए गांव मंडावर, नगलाराई व मामोर में खनन पट्टे आवंटित कर रखे हैं। आवंटन के समय खनन ठेकेदारों को बकायदा अधिकारियों द्वारा शासन व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की गाइड लाइन का पाठ पढ़ाया जाता है और नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की चेतवानी भी दी जाती है,लेकिन आवंटन के बाद जहां खनन ठेकेदार नियमों का पालन करना भूल जाते हैं,वहीं कल तक कानून का पाठ पढ़ाने वाले अधिकारी भी कार्रवाई करने से परहेज करने लगते हैं। आखिर क्यों? सरकार से प्रतिमाह मोटी तनख्वाह पाने वाले अधिकारी अपनी ही सरकार को लाखों की राजस्व हानि पहुंचवाने में अगर कहें तो अहम भूमिका निभा रहें हैं। क्या खनन ठेकेदार बिना किसी शह के अवैध खनन कर सकता है। यह एक गंभीर विषय है,जिस पर हर कोई खामोशी इख्तियार किए हुए है। सांठगांठ के इस खेल की जड़ें बहुत गहरी हैं,जिसने न जाने कितने छोटे किसानों को उजाड़ कर रख दिए है। खनन माफियाओं के इशारों पर अन्नदाताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। सर्द रातों में रात भर जागकर उन्हें अपनी फसलों व भूमि को बचाने के लिए पहरा देना पड रहा है और खनन माफिया रात के अंधेरे में भारी भरकम मशीनों को बहती धारा के बीच उतारकर खुलेआम अवैध रेत खनन कर रहा है, जो सरासर एनजीटी के नियमों का उल्लंघन है,नियमों का पालन आखिर कराए कौन?
साहब! यह कैसी छापेमारी
ग्रामीण किसानों द्वारा अवैध खनन की शिकायत पर स्थानीय प्रशासन तत्परता के साथ दल बल को साथ लेकर खनन पाईंट पर छापेमारी करने को पहुंच जाते हैं। यह अपने आप में एक अनोखी सी छापेमारी है, जहां होता सब कुछ है, मगर समय पर अधिकारियों की आंखें शायद धोखा खा जाती हैं,जिन्हें खामियां नजर नही आती। अगर बात मंडावर खनन पाईंट की करें तो यहां कमोबेश आधार दर्ज बार प्रशासनिक अमला छापेमारी को पहुंच चुका है,लेकिन कार्रवाई सिफर ही है। न तो आजतक रात के समय में हो रहा अवैध खनन बंद कराया जा सका और न ही यमुना की जलधारा को मोड़ने के लिए बनाई गई रेत की दीवार प्रशासनिक अधिकारी हटवा पाए। अधिकारी खनन माफियाओं के आगे नतमस्तक नजर आते हैं।अब तो मंडावर खनन पांइट पर जलधारा को प्रभावित कर अस्थाई रास्ता भी बना दिया गया है। यही हाल दूसरे खनन पाईंट का भी है। अधिकारियों को नियमों का पालन कराने से ज्यादा खनन माफियाओं की चिंता हैं, तो फिर ऐसे में कार्रवाई की आस लगाए रखना फिजूल है।
प्लास्टिक के कट्टों से रोकी यमुना की धारा
मंडावर खनन पॉइंट पर नियमों की इस कदर अनदेखी की गई है कि कोई सोच भी नहीं सकता। खनन माफियाओं का दुस्साहस देखिए,जिन्होंने पालस्टिक के कट्टों में बालू भरकर उन्हें आड़ के तौर पर इस्तेमाल करते हुए यमुना की बहती धारा मोड दिया है। जलधारा को प्रभावित करने का अधिकार किसने दिया है। इस संबंध में ग्रामीण लगातार शिकायत कर रहे हैं, इसके बावजूद भी अभी तक प्रशासन जागा नही है।