क्या म.प्र. की पुलिस इतनी बर्बर है कि वह तमाम नियम-कानून को ताक पर रख कर थाने के अंदर निर्दयता से लोगों के साथ मार- पीट करती है? प्रदेश में यह सवाल अब इसलिए तेजी से उठ रहा है क्योंकि म.प्र. सरकार के एक मंत्री ने यहां की पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। म.प्र. में गृह विभाग की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने पास रखी है, यानि प्रदेश का पुलिस महकमा मुख्यमंत्री के पास है। सवाल यह भी है कि आखिर क्यों एक मंत्री को मध्य प्रदेश की पुलिस को असंवेदनशील साबित करने के प्रयास करने पड़ रहे है।
मामला कुछ ऐसा है कि म.प्र. के स्वास्थ्य राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के पुत्र अभिज्ञान पटेल का 30 मार्च को प्रदेश की राजधानी भोपाल में राह चलते एक युवक और एक दंपती से विवाद हो गया। नौबत मारपीट तक पहुंच गई थी।
मामला भोपाल के शाहपुरा पुलिस थाने तक पहुंचा। पुलिस इस मामले में अभिज्ञान पटेल और उसके मित्रों को थाने ले आई थी। जब मंत्री नरेन्द्र पटेल को पता चला तो वे थाने पहुंच गए और इसके बाद आला अफसरों ने शाहपुरा थाने के चार पुलिसकर्मी निलंबित कर दिये। इस बीच थाने में जमकर हंगामा हुआ।
मंत्री और उनके बेटे के थाने से जाते ही पुलिस ने आधी रात को अभिज्ञान पटेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। हालांकि इस एफआईआर में पुलिस ने मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का नाम नहीं आए इसलिए उनके बेटे के नाम के आगे पिता का नाम नहीं लिखा, साथ ही अभिज्ञान के घर का पता भी नहीं लिखा। जबकि अपने बेटे को छुड़ाने के लिए नरेंद्र पटेल स्वयं थाने तक पहुंचे थे।
घटना के अगले दिन यह मामला भोपाल से लेकर दिल्ली तक सुर्खियों में रहा। लोकसभा चुनाव के कारण पार्टी ने भी विचार किया कि मंत्री के इस आचरण से कहीं भाजपा को नुकसान नहीं हो जाए। नतीजे में भोपाल और दिल्ली के नेताओं ने मंत्री के आचरण पर नाराजगी जताई। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने इस मामले पर साफ कहा कि गुंडागर्दी करने का अधिकार किसी के पास नहीं है।
यहां तक तो मंत्री नरेंद्र पटेल चुप रहे लेकिन जब उनके बेटे को लेकर इतना कुछ हुआ तो अब सफाई देने की बारी उनकी थी। उन्होंने सफाई में पुलिस की बर्बरता उजागर कर दी, साथ ही यह भी वे सामने ले आए कि मध्य प्रदेश की पुलिस थाने में किस अंदाज में पेश आती है। मंत्री नरेंद्र पटेल के पुत्र के कुछ फोटो सार्वजनिक हुए। इन फोटो में उनके हाथ, पीठ और जांघ पर लाल निशान दिखाई दे रहे है। अभिज्ञान पटेल की ओर से सामने आए फोटो ने पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया। दरअसल मंत्री नरेंद्र पटेल के कहने पर पुलिसकर्मियों को इसलिए निलंबित किया गया क्योंकि उन्होंने अभिज्ञान को कमरे में बंद कर पट्टा, लात और घूंसों से जमकर पीटा था। इसी शिकायत पर भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने पुलिसकर्मियों को निलंबित किया था।
अब सवाल यह उठता है कि एक मंत्री के बेटे को पुलिस ने जिस बेरहमी से मारा, वह आम जनता के साथ कैसा व्यवहार करती होगी? म.प्र. में पुलिस संवेदनशीलता के साथ काम करे, उसकी छवि में सुधार हो, यह नसीहत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मुख्यमंत्री बनने के बाद पुलिस मुख्यालय में पुलिस के आला अफसरों की पहली बैठक में ही दी थी, लेकिन उनकी ही सरकार के एक मंत्री के बेटे के साथ जो हुआ उसने प्रदेश पुलिस की छवि पर कई प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं।
– पवन वर्मा – विनायक फीचर्स