नयी दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बावजूद मणिपुर भीषण हिंसा की चपेट में है और राज्य में जनजीवन पूरी तरह से चरमरा गया है इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनता का विश्वास बहाल करने के लिए वहां के हालात पर चुप्पी तोड़कर जल्द से जल्द मणिपुर का दौरा करना चाहिए।
कांग्रेस संचार विभाग की प्रभारी जयराम रमेश, महासचिव मुकुल वासनिक मणिपुर के प्रभारी भक्त चरण दास ने सोमवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शाह की यात्रा का हिंसा ग्रस्त मणिपुर पर कोई असर नहीं हुआ है इसलिए मोदी को अब खुद मणिपुर की यात्रा कर लोगों को विश्वास में लेना चाहिए। उनका कहना था कि केंद्र को हिंसाग्रस्त मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सभी प्रयास करने चाहिए।
उन्होंने कहा किसी ने मोदी की यात्रा के अलावा मणिपुर के हालात को काबू करने और स्थिति को समझने के लिए सभी प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और प्रभावितों से मिलने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को भी मणिपुर भेजने की अनुमति दी जानी चाहिए।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि शाह के मणिपुर के तीन दिन के दौरे कोई असर हिंसाग्रस्त मणिपुर पर नहीं हुआ है। केंद्र की तरफ से उन्होंने मणिपुर में शांति के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की लेकिन उनकी यात्रा के दो सप्ताह बाद भी मणिपुर जल रहा है। उन सभी क्षेत्रों में हिंसा और आगजनी जारी है जहां जातीय हिंसा से प्रभावित दो समुदाय रहते हैं। कई जिलों में क्रॉस फायरिंग भी हो रही है।
कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि कि मणिपुर में हिंसा किस कदर जारी है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग दो और 37 पर अब भी यातायात नहीं चल रहा है। इन दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों के ब्लॉक होने से आवश्यक वस्तुओं की गंभीर कमी हो गई है। विस्थापितों की संख्या एक लाख से अधिक हो गयी है। विस्थापितों के लिए 349 राहत शिविर भी बनाए गए हैं जहां 50 हज़ार से अधिक लोगों को रखा गया है।
उन्होंने कहा कि मणिपुर हिंसा में बड़े स्तर पर जान माल का नुकसान हुआ है। आधिकारिक रूप से मरने वालों की संख्या 100 से अधिक है और कई लोग अब भी लापता हैं। वे कहां हैं, इसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है। कई मृतक अभी भी सरकारी अस्पतालों के शवगृह में हैं और उनके शव परिजनों को नहीं सौंपे गए हैं। इंटरनेट पर प्रतिबंध 15 जून तक बढ़ा दिया गया है। राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई से मणिपुर के लोगों में विश्वास पैदा नहीं हुआ है। केंद्रीय गृहमंत्री की कड़ी चेतावनी के बावजूद बहुत कम मात्रा में लूटे गए हथियार और गोला-बारूद वापस किए गए हैं।
कांग्रेस नेताओं ने मणिपुर की हिंसा को अभूतपूर्व बताया और कहा कि तीन मई से जिस तरह की जातीय हिंसा शुरू हुई वैसा मणिपुर के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। पूरा मणिपुर हिंसा के कारण जल गया है और असंख्य लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हुए।
उन्होंने कहा कि गत तीन मई को भड़की हिंसा की भयावहता को देखते हुए चार मई को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाक़ात कर सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की और फिर 09 एवं 10 मई को पार्टी के मणिपुर के प्रभारी भक्तचरण दास ने राज्य का दौरा किया।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हिंसा के कारणों का पता लगाने और इसकी व्यापकता का मूल्यांकन करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष ने 17 मई को हालात की कारणों का पता लगाने के लिए तीन सदस्यीय ‘फैक्ट फाइंडिंग टीम’ का गठन किया और फिर 18 – 19 मई को टीम के सदस्य मुकुल वासनिक, डॉ अजय कुमार और सुदीप रॉय ने मणिपुर का दौरा किया लेकिन प्रशासन ने उन्हें इंफाल में कांग्रेस कार्यालय से आगे नहीं जाने दिया। फिर 30 मई को कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में 8 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने 12 मांगों के साथ राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा।
उन्होंने कहा है कि मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए कांग्रेस ने एक जिम्मेदार विरोधी दल की भूमिका निभाई लेकिन मोदी सरकार इसमें लगातार लापरवाह बनी हुई है।