नयी दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार ने संसद में सुरक्षा मुद्दे पर आवाज उठाने वाले सांसदों को निलंबित कर लोकतंत्र का गला घोंट दिया है और लोकशाही को तबाह कर पूरी तरह से तानाशाह की तरह काम कर रही है।
श्रीमती गांधी ने बुधवार को यहां संसद भवन परिसर में कांग्रेस संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि इस सरकार ने लोकतंत्र का गला घोंट दिया है। इससे पहले कभी भी इतने विपक्षी सांसदों को सदन से निलंबित नहीं किया गया। जिन सांसदो को निलंबित किया गया है, वे सभी सदन में इस मुद्दे पर गृहमंत्री अमित शाह का बयान मांग रहे थे । वे केवल वाजिब मांग कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ” विपक्षी सदस्यों ने 13 दिसंबर की असाधारण घटना पर गृहमंत्री से बयान मांगा, क्योंकि उस दिन जो हुआ वह अक्षम्य है और उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर बोला, लेकिन संसद के बाहर बोला, जो सदन की गरिमा और देश के लोगों के प्रति उनकी उपेक्षा का स्पष्ट संकेत है। सोचिए यदि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विपक्ष में होती, तो उसका रवैया इस मामले में क्या होता।”
श्रीमती गांधी ने कहा कि सत्र में जम्मू-कश्मीर से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विधेयक पारित हुए हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे महान देशभक्त को बदनाम करने के लिए इतिहास को विकृत करने और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ने-मरोड़ने वाला अभियान चलाया गया। आश्चर्य है कि इस अभियान में खुद मोदी और शाह ने मोर्चा संभाला।
उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक एक बार विवाह का भी मुद्दा उठाया और कहा कि देश की महिलाओं के हित में महिला आरक्षण को तुरंत क्रियान्वित किया जाना चाहिए। अन्य पिछड़ा वर्गी ( ओबीसी) तथा अन्य समुदाय की महिलाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से जम्मू कश्मीर में शीघ्र चुनाव कराने की मांग की और कहा कि जम्मू कश्मीर में अब सिर्फ परिसीमन से काम नहीं चलेगा और इस दिशा में आगे भी बढ़ना होगा।
कांग्रेस नेता ने सरकार पर देश में एकता की भावना को कम करने का आरोप लगाया और कहा कि विविधता ही वह ताकत है जिसने भारत को दुनिया के देशों के बीच प्रतिष्ठित किया है। जिस तरह से विविध धर्मों, जातियों और नस्लों ने सह-अस्तित्व में रहते हुए हमारे राष्ट्र को गरिमा दी है, वह अनूठी है, लेकिन मोदी सरकार और भाजपा के कार्यों ने इस एकता की भावना को कमजोर कर दिया है। हमारे संविधान पर हमला हो रहा है। आर्थिक असमानताएँ बढ़ रही हैं और आर्थिक विकास के बारे में प्रधानमंत्री के दावों और जमीनी हकीकत के बीच बड़ा अंतर आ गया है।