लखनऊ। भारत में वैदिककाल से महिलाओं को पूरा सम्मान मिला है। इनकी शक्ति के रूप में आरधना की जाती रही है। वार्तमान में यूपी सरकार कुछ कार्यों में इन्हे आत्मनिर्भर बनाया है। महिलाओं के इस हुनर से नवरात्रि में मां का दरबार सजा है। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पाद नवरात्रि पर मां के दरबार की शोभा बढ़ा रहे हैं। महिलाओं ने धूप, अगरबत्ती, हवन सामग्री, गाय के गोबर के दीप, चुनरी, माला, आसनी, प्रसाद व व्रत से जुड़ी खाद्य सामग्रियां भी बनाई हैं। इसमें यूपी के सभी जिलों की महिलाओं ने उत्पाद तैयार किए हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर रोजगार से जोड़ने की यह योजना काफी कारगर साबित हो रही है।
राज्य आजीविका मिशन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश के लगभग सभी जनपदों में नवरात्रि से जुड़े उत्पादों का समूह द्वारा न सिर्फ निर्माण किया गया, बल्कि प्रमुख बाजारों में दुकानें लगाकर बिक्री का कार्य भी किया जा रहा है। इससे समूह की महिलाओं को अच्छी आय भी हो रही है। समूह के उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री भी काफी बड़े पैमाने पर हो रही है। राज्य के साथ-साथ देश के प्रत्येक कोने से इन समूहों को ऑनलाइन आर्डर प्राप्त हो रहे हैं।
नवरात्रि में मां के नौ रूपों की पूजा होती है। गौ माता के संरक्षण को बल देने के लिए गौ उत्पादों पर विशेष जोर दिया जा रहा है। धूप, अगरबत्ती, हवन सामग्री, मूर्ति, छोटे-छोटे गमले भी तैयार किए गए। बहराइच, बस्ती, कानपुर, लखनऊ, चित्रकूट आदि शहरों की महिलाओं ने विशेष रूप से क्ले मूर्ति का निर्माण किया है। वहीं गोबर से बनी देवी-देवताओं की मूर्तियां भी तैयार की गईं। इन्हें मुजफ्फरनगर, हरदोई, झांसी, प्रयागराज आदि जगहों पर विशेष रूप से तैयार किया गया।
नवरात्रि में मां को चुनरी चढ़ाने की परंपरा है। अलीगढ़, आजमगढ़, झांसी, वाराणसी, मिजार्पुर व चित्रकूट आदि जिलों की महिलाओं ने विशेष रूप से चुनरी तैयार की है। यह चुनरी विंध्यधाम से लेकर देवीपाटन और यूपी के अन्य शहरों के मंदिरों में भी मां को अर्पित की जाएंगी। बागपत, हरदोई, सोनभद्र, लखीमपुर खीरी, प्रयागराज का दोना पत्तल, हाथरस, महराजगंज, कानपुर नगर, हमीरपुर, गाजियाबाद, उन्नाव आदि से दोना-पत्तल आदि का निर्माण किया गया। समूहों को मिले ऑर्डर महिलाओं को रोजगार व आत्मनिर्भर बना रहे हैं। पर्व-त्योहारों पर मिले यह ऑर्डर महिलाओं को सम्मान भी दिला रहे हैं। साथ ही उचित दामों पर यह उत्पाद प्राप्त हो रहे हैं।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक सी. इन्दुमती ने बताया कि हवन सामग्री को भी गाय के गोबर से छोटी-छोटी लकड़ियां बनाकर इस्तेमाल करने के लिए बिक्री की जा रही है। नवरात्रि में मां के नौ रूपों को छठ पूजा के साथ-साथ गौ माता के संरक्षण को बल देने के लिए गौ उत्पादों पर विशेष जोर दिया जा रहा है, धूप अगरबत्ती हवन सामग्री, मूर्ति छोटे-छोटे गमले आदि गाय के गोबर से बनाया जा रहा है।
यूपी में उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत 72.69 लाख से अधिक ग्रामीण महिलाओं को छह लाख 93 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा गया है। इन समूहों के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य होता है। नवरात्रि में समूह की महिलाओं के द्वारा किए गए कार्यों से करोड़ों के कारोबार होने का अनुमान है।