नयी दिल्ली- सुधांशु त्रिवेदी ने भाजपा की ओर से बिल का समर्थन किया। इस दौरान सुधांशु ने आप और कांग्रेस पर जहां जुबानी तीर छोड़े तो वहीं शेरी शायरी के जरिए माहौल को हल्का रखा। शुरूआत में दिल्ली सेवा विधेयक पर आप को समर्थन देने पर उन्होंने कांग्रेस के सिंघवी की चुटकी ली।
इस दौरान उन्होंने वसीम बरेलवी की पंक्तियां पढ़ीं। ‘शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं।’ दिल्ली सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए भाजपा सांसद ने एक लोकोक्ति भी पढ़ी। ‘माले मुफ्त दिले बेरहम।’ आगे जोड़ा, ‘दिल्ली पे सितम करोड़ों हजम’।
दिल्ली के मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के रेनोवेशन में कथित अनियमितता का आरोप लगाते हुए भाजपा नेता ने वसीम बरेलवी की लाइन पढ़ी। ‘अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएं कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएं कैसे। घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत बअद का है पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएं कैसे।।’
कांग्रेस और आप के साथ आने को लेकर भाजपा सांसद ने तंज कसा। इसके साथ ही उन्होंने नुसरत फ़तेह अली खान के मशहूर गाने की पंक्ति पढ़ी। ‘सोचता हूँ कि वो कितने मासूम थे क्या से क्या हो गए देखते-देखते मैंने पत्थर से जिनको बनाया सनम वो खुदा हो गए देखते देखते..!’
सुधांशु त्रिवेदी ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि बिल का आप का समर्थन कर कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव ले आई जिससे उसको लीड मिल गई। इस दौरान उन्होंने लाइनें पढ़ीं। ‘न तुम ही मिले, न मयस्सर तुम्हारी दीद हुई , अब तुम ही बताओ, ये मोहर्रम हुई कि ईद हुई !’