Monday, December 23, 2024

मुजफ्फरनगर दंगे में पीड़ित अपने बयान से मुकरा, अदालत ने सभी को बरी किया, पीड़ित के खिलाफ चलेगा उल्टा मुकदमा

मुजफ्फरनगर। जनपद में वर्ष 2013 के दंगे के दौरान घर में घुसकर हमला और लूट के मामले में वादी कोर्ट में अपने बयानों से मुकर गया। वादी के कोर्ट में बयानों से मुकरने पर कोर्ट ने घटना के छह आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। वहीं, बयान से मुकरने वाले वादी के खिलाफ मुकदमा चलाने के आदेश कोर्ट ने दिए हैं। उसने कोर्ट में शपथपत्र देकर बताया कि कुछ लोगों के बहकावे में आकर उसने मामला दर्ज कराया था।

सात सितंबर 2013 को जनपद में दंगा हो गया था। गांव फुगाना निवासी अख्तर पुत्र गेंदा ने 27 सितंबर 2013 को रिपोर्ट दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि 8 सितंबर को वह अपने परिवार के साथ घर पर मौजूद था। दिन में गांव के कपिल, सचिन पुत्रगण नारायण, जितेन्द्र पुत्र वीरसैन, योगेश पुत्र भूषण और विकास पुत्र वेदु बनारसी तथा विनोद पुत्र मांगा सहित सैकड़ों अज्ञात लोगों ने नारे लगाते हुए उसके घर पर हमला बोल दिया था।

आरोप था कि आक्रोशित लोगों ने जान से मारने की नीयत से तबल और लाठी-डंडों से हमला किया। आरोपियों ने घर का सामान लूटकर आग लगा दी थी। एसआईटी ने मामले की विवेचना कर आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। अभियोजन के अनुसार घटना के मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट नम्बर 15 दिव्या भार्गव की कोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान वादी मुकदमा अपने बयान से मुकर गया।

वादी ने साक्ष्य के दौरान शपथपत्र देकर बताया था कि 2013 में दंगा भड़कने की जानकारी मिली थी। जिसके चलते 8 सितंबर को सुबह ही वह अपने भाइयों के साथ परिवार सहित जौला कैंप में चला गया था। उसके 20 दिन बाद चार लोग आए थे और उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने की बात कहते हुए कोरे कागजों पर हस्ताक्षर और अंगूठा आदि लगवाए थे। कोर्ट में अपने बयानों से मुकरने पर कोर्ट ने वादी पर मुकदमा चलाने के आदेश दिए है। वहीं सभी आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।

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