Sunday, January 26, 2025

नेपाल से लेकर उत्तर भारत तक जब डोलने लगी धरती!

नेपाल में धरती से 5 किमी नीचे भूकंप के केंद्र बिंदु ने 3 अक्टूबर की दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर पहले 4.6 तीव्रता व एक मिनट के ही अंतराल में फिर 6.2 तीव्रता ने सबको हिलाकर रख दिया।सम्पूर्ण नेपाल, उत्तर भारत में जयपुर, दिल्ली, लखनऊ, देहरादून आदि क्षेत्रों में धरती डोलती देखकर लोग घरों,दफ्तरों व बाजारों में दुकानों से बाहर निकल आए।

उत्तराखंड समेत नेपाल और भारत के अन्य क्षेत्रों में धरती के एक दिन में मात्र एक मिनट के अंतराल पर दो बार डोलने से दहशत मच गई। भूकंप के इन तेज झटकों से लोग अभी दहशत में है।बीते साल भी 8 और 9 नवंबर की रात 1:57 बजे आए भूकंप का मैग्नीट्यूड 6.3 था और इसका असर भारत के अलावा नेपाल और चीन में भी देखा गया था”। यानी भारत के साथ ही नेपाल और चीन में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।

भूकंप का केंद्र तब भी नेपाल रहा था। दिल्ली के साथ ही नोएडा और गुरुग्राम में भी कई सेकेंड तक भीषण झटके महसूस किए गए। इसके कारण लोग अपनी सोसायटी व बस्ती से बाहर निकल आए। इस दौरान घर के फैन और झूमर भी भूकंप के असर के कारण तेजी से हिलने लगे।भूकंप का केंद्र जमीन से 5 किमी की गहराई में था।

भूकंप पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। यह पृथ्वी के स्थलमण्डल में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है। भूकम्प बहुत हिंसात्मक हो सकते हैं और कुछ ही क्षणों में लोगों को गिराकर चोट पहुँचाने से लेकर पूरी आबादी को ध्वस्त कर सकने की इसमें क्षमता होती है। भूकंप का मापन भूकम्पमापी यंत्र से किया जाता है, जिसे सीस्मोग्राफ कहते है।

3 या उस से कम रिक्टर परिमाण की तीव्रता का भूकंप अक्सर अगोचर होता है जबकि 7 रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण बन जाता है।भूकंप के झटकों की तीव्रता का मापन  मरकैली पैमाने पर किया जाता है।पृथ्वी की सतह पर, भूकंप अपने आप को, भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर के प्रकट करता है।

भूकंप के झटके कभी-कभी भूस्खलन और ज्वालामुखी को भी पैदा कर सकते हैं। भूकंप अक्सर भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं। सन 2021 में 11 सितंबर को जोशीमठ  से 31 किलोमीटर पश्चिम दक्षिण पश्चिम में सुबह 5:58 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इस भूकंप की रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.6 थी। उत्तराखंड में इस भूकंप का प्रभाव चमोली, पौड़ी, अल्?मोड़ा आदि जिलों में रहा था।इससे पूर्व  24 जुलाई सन 2021 को उत्तरकाशी से 23 किलोमीटर दूर करीब 1 बजकर 28 मिनट पर भूकंप आया था। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.4 मापी गई थी। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी के साथ डुंडा, मनेरी, मानपुर, चिन्यालीसौड़, बड़कोट, पुरोला व मोरी से भी भूकंप के झटके महसूस किये गए थे।

हरिद्वार जिले में वर्ष 2020 में एक दिसम्बर को नौ बजकर 42 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.9 मैग्नीट्यड मापी गई थी जिसकी गहराई लगभग 10 किलोमीटर तक थी। इस भूकंप से कोई क्षति तो नहीं हुई थी लेकिन यह भूकंप भविष्य में किसी बड़े भूकंप का संकेत अवश्य माना गया था।उत्तराखंड  भूकंप के दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र है। यहां एक साल में  कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए जाते हैं।

25 अगस्त सन 2020 को भी उत्तरकाशी में भूकंप आया था। उस समय भूकंप का केंद्र टिहरी गढ़वाल था। रिक्टर पैमाने पर उसकी तीव्रता 3.4 मापी गई थी। इससे पहले को चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में 21 अप्रैल सन 2020 को भूकंप के झटके महसूस हुए थे। जिसका केंद्र चमोली जिले में था, रिक्टर पैमाने पर उस भूकंप की तीव्रता 3.3 थी। भूकंप के इन झटको ने लोगों के मन में बेचैनी बढ़ा दी है।देवभूमि उत्तराखंड से लेकर गुजरात तक भूकंप का खतरा लगातार बना हुआ है।

14 जून सन 2020 की शाम गुजरात के भचाऊ,राजकोट, अहमदाबाद में 5.5 तीव्रता के भूकंप ने सबकी नींद उड़ा दी थी।सन 2015 में नेपाल केन्द्रित भंयकर भूकम्प के कारण नेपाल और उत्तर भारत में ढाई हजार से अधिक मौते भूकंप से हो गई थी और अरबो रूपये की सम्पत्ति नष्ट हो गई थी।सबसे अधिक क्षति नेपाल और नेपाल से सटे बिहार में हुई थी। उस समय सात दशमलव नौ रियेक्टर पैमाने के  अधिक तीव्रता के भूकम्प से जो कि हिरोशिमा बम विस्फोट से पांच सौ चार गुना ताकतवर था,से उत्तराखण्ड में भी दहशत फैल गई थी।

हिरोशिमा बम विस्फोट से साढे बारह किलोटन आफ टीएनटी एनर्जी रिलीज हुई थी जबकि इस भंयकर भूकम्प से उनास्सी लाख टन आफ टीएनटी एनर्जी रिलीज हुई है जिससे नेपाल और विहार,उत्तर प्रदेश के साथ साथ कई राज्यों में भारी नुकसान हुआ था। उत्तराखण्ड में भी उस समय कई जगह भूकम्प के झटके महसूस किये गए थे लेकिन उत्तराखंड में भूकम्प से अधिक नुकसान नही हुआ था,लेकिन इससे पूर्व उत्तराखंड भूकंप की भयंकर त्रासदी झेल चुका है।उत्तरकाशी, पिथौरागढ़,अल्मोड़ा, द्वारहाट, चमोली जिले भूकंप के निशाने पर है।दरअसल उत्तराखण्ड भूकम्प के मुहाने पर खड़ा है, यहां कभी भी भूकंप से धरती डोल सकती है जिससे उत्तराखण्ड कभी भी तबाह हो सकता है।

भू वैज्ञानिको की माने तो उत्तराखण्ड कभी भी भूकम्प आपदा से प्रभावित हो सकता है। भूकम्प की दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील उत्तराखण्ड सच पुछिए तो मौत के मुहाने पर खडा है। उत्तरकाशी में आए भूकम्प और धारचूला व लोहाधाट जैसी जगहों पर कई बार आ चुके भूकम्प की त्रासदी झेल चुके उत्तराखण्ड न सिर्फ अपने लिए बल्कि पडोसी राज्यों के लिए भी तबाही का सबब बन सकता है। भूकम्प का सबसे बडा खतरा टिहरी बांध से है .अगर कभी इतनी तीव्रता का भूकम्प आया जो टिहरी बांध के लिए खतरा बन गया तो न उत्तराखण्ड बचेगा और न ही उ0प्र0 और दिल्ली बच पाएगी। वैज्ञानिक मानते है कि उत्तराखण्ड भारत में भूकम्प आपदा के मामले में सबसे ज्यादा सबसे अधिक खतरे में है।

उत्तराखण्ड में हर 11 साल के अन्तराल पर एक बडा भूकम्प आता है। इस अन्तराल के हिसाब से उत्तराखण्ड में बडा भूकम्प आना सम्भावित है। जिसका संकेत हाल का भूकंप हो सकता है।इसलिए हमें उत्तराखण्ड में बडे भूकम्प के लिए तैयार रहना चाहिए। जिसके लिए सावधानी ही बचाव सबसे बडा फार्मूला है। उनका कहना था कि  पशु पक्षियों के व्यवहार में बदलाव से भूकम्प का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

फिर भी कोई सटीक ऐसा पैमाना नही है जिससे भूकम्प का पहले से पता लगाया जा सकता हो लेकिन अगर भूकम्परोधी भवन हो और भूकम्प आगे पर बचाव के उपाय जनसामान्य जान जाए तो भूकम्प से होने वाले जानमाल के नुकसान को कम किया जा सकता है। वही भूकम्प को लेकर दुनिया के कई देशों में शोधकार्य चल रहे है।आई आई टी रूडकी के भूकम्प अभियान्त्रिकी विभाग एवं भूविज्ञान विभाग में भी भूकम्प पूर्वानुमान पर काम किया जा रहा है।

भूकम्प पर शोध कार्य कर रहे प्रोफेसर डा0 दयाशंकर का कहना है कि कुछ पैरामीटर और प्रीकर्सर के आधार पर भूकम्प की भविष्यवाणी की जा सकती है। उनका कहना है कि शार्ट टाइम पीरियड व लांग टाइम पीरियड पर आए भूकम्प आकंडो का अध्ययन करके भूकम्प की यह भविष्यवाणी तक की जा सकती है कि किस क्षेत्र में किस मैग्नीटयूड का भूकम्प आ सकता है। साथ ही भूगर्भ व वातावरण में होने वाले परिवर्तन भी भूकम्प की भविष्यवाणी का आधार बनते है।

भूकम्प वैज्ञानिक डा दयाशंकर के मुताबिक 40 से लेकर 60 ऐसे पैरामीटर है जिनके अध्ययन के आधार पर भूकम्प की भविष्यवाणी सम्भव बताई गई है। भूकम्प के एक अन्य वैज्ञानिक ए के सरार्फ का अध्ययन है कि जिस स्थान पर भूकम्प आता है, प्राय वहां के तापमान में वृद्धि हो जाती है। यानि अगर कही तापमान अचानक बढने लगे तो यह भूकम्प आने का संकेत हो सकता है। चीन देश भूकम्प की भविष्यवाणी में सबसे आगे है। चीन ने वर्ष 1975 में 4 फरवरी को आए भूकम्प की पूर्व में ही भविष्यवाणी कर दी थी जिससे 7.3 मैग्नीटयूड के विनाशकारी भूकम्प से सब लोग पहले ही सचेत हो गए थे और भूकम्प से होने वाले जन नुकसान को कम कर लिया गया था।

भूकम्प वैज्ञानिको के अनुसार हिमालयी क्षेत्र में पहले से ही तीन बडी भूकम्पीय दरारें सक्रिय है जिनमें मेन बाउन्डृी थ्रस्ट समूचे उत्तराखण्ड को प्रभावित करती है। साथ ही इसका प्रभाव हिमाचल से लेकर कश्मीर तक और फिर पाकिस्तान तक पडता है। वही मेन सेन्टृल थ्रस्ट भारत नेपाल बार्डर के निकट धारचूला से कश्मीर तक अपना प्रभाव बनाती है। इस थ्रस्ट की चपेट में हिमाचल का कुछ क्षेत्र आता है जबकि मेन सेन्टृल थ्रस्ट का इंडियन सूचर जोन कारगिल होते हुए पाकिस्तान तक अपना प्रभाव दिखाता है।

भूकम्प वैज्ञानिक प्रो एच आर वासन का कहना है कि जिस तरह से पूर्वोत्तर राज्यों में दो साल पूर्व भूकम्प से भारी तबाही हुई उसी प्रकार उत्तराखण्ड का अल्मोडा क्षेत्र भी कभी भी भूकम्प आपदा का शिकार हो सकता है। जिसके लिए अभी से बचाव की आवश्यकता है। उत्तराखण्ड का भूकम्प से खास रिश्ता रहा है। भूकम्प के उत्तराखण्ड के भूकम्प इतिहास पर नजर डाले तो 2 जुलाई 1832 के 6 तीव्रता के भूकम्प ने उत्तराखण्ड क्षेत्र की नींद उडा दी थी। इसके बाद 30 मई 1833 व 14 मई 1835 के लोहाधाट में आए भूकम्प से उत्तराखण्ड हिल गया था।

इसी तरह धारचूला में 28 अक्टूबर 1916,5 मार्च 1935,28 सितम्बर 1958,27 जून 1966,24 अगस्त 1968,31 मई 1979,29 जुलाई 1980 तथा 4 अप्रेल 1911 के भूकम्प उत्तराखण्ड में विनाशलीला के कारण बने है। भूकम्प वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तराखण्ड में भूकम्प का खतरा टला नही है बल्कि कभी भी देवभूमि उत्तराखण्ड ही नही समूचा हिमालय भूकम्प से डोल सकता है और भारी विनाश का कारण बन सकता है।इसलिए  भूकंप से बचाव की तकनीक अपनाकर ही भवन निर्माण करें।तभी हम भूकंप से किसी हद तक सुरक्षित रह सकते हैं अन्यथा धरती हिलती रहेगी और हम असुरक्षा के साये में जीते रहेंगे।
-डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,735FansLike
5,484FollowersFollow
140,071SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय

error: Content is protected !!