Monday, November 25, 2024

राष्ट्र निर्माता-अध्यापक

भारतीय संस्कृति में प्राचीनकाल से ही गुरु के प्रति आदर और सम्मान की भावना रही है। समाज के लिये गुरु सदा पूज्य रहा है। गुरु ज्ञान देता है, मार्गदर्शक है, पूरे समाज को आध्यात्मिक, शारीरिक और सामाजिक प्रगति के लिये जागरूक करता है। गुरु ही सच्चे अर्थों में राष्ट्र निर्माता है। गुरु द्वारा तैयार किये गये शिष्य ही देश की भावी आशायें हैं। इन्हीं को कल राष्ट्र नेता, वैज्ञानिक डॉक्टर और इंजीनियर बन कर देश की प्रगति में योगदान देना है। तभी तो आचार्य को, गुरु को, अध्यापक को समाज में सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। यहां तक कि गुरु को ईश्वर से भी ऊंचा स्थान कवियों ने दिया है-
गुरु गोबिन्द दोऊ खड़े, काके लागो पांय।
बलिहारी गुरु आपणे गोविन्द दियो मिलाय
यद्यपि मानव जीवन का लक्ष्य धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष है और चरम लक्ष्य ईश्वर तथा मोक्ष की प्राप्ति है। परन्तु इस लक्ष्य को प्राप्त करने का मार्ग भी तो गुरु ही प्रशस्त करता है। गुरू की उपमा कुम्हार से की गई है और शिष्यों की कच्ची मिट्टी से। कच्ची मिट्टी से जितना आकार का चाहे बर्तन बनाया जा सकता है। हां इतना अवश्य है कि बच्चा प्यार-प्यार में, खेल-खेल में जिस रुचि व उत्साह, सहज व स्वाभाविक ढंग से शिक्षा ग्रहण कर सकता है वैसा डांट-फटकार से नहीं। परन्तु यह भी उल्लेखनीय है कि अधिक लाड़ से बच्चे बिगड़ जाते है, इसलिए लाडऩ के साथ-साथ ताडऩ भी आवश्यक है, क्योंकि लाडऩ प्रारम्भ में अमृत के समान सुखदायक लगता है और परिणाम में विष के तुल्य हानिकारक। ताडऩ प्रारम्भ में विष के समान कटु लगता है परन्तु परिणाम में अमृत के समान सुखदायक, लेकिन ताडऩा बच्चे को हानि पहुंचाने या चोट पहुंचाने अथवा ईष्र्या व घृणा के भाव से नहीं होनी चाहिये अपितु अध्यापक के हृदय में अन्दर से प्यार और बाहर भय दिखाने मात्र के लिये होना चाहिए जैसे कुम्हार गीली मिट्टी से बने बर्तन को उचित आकार देने के लिए बाहर से थपकी की मार देते हैं और अन्दर की तरफ दूसरे हाथ से उसे सहारा देते रहते हैं ताकि बर्तन टूट न जाये। अध्यापक के हृदय में बच्चे के प्रति आत्मीयता, लगाव, प्रेम और सहानुभूति होनी आवश्यक है तभी तो वह अपने मस्तिष्क में समाया ज्ञान का अगाध भण्डार बच्चों के मन-मस्तिष्क में उड़ेल सकेगा।
आचार्य शब्द का तात्पर्य विद्वान होने के साथ-साथ आचरणवान, चरित्रवान होना भी है। यदि आचार्य का आचरण अच्छा नहीं हो तथा उनमें नैतिकता का अभाव हो तो उनके पढ़ाये विद्यार्थी कभी भी चरित्रवान नहीं हो सकते। अत: आचार्य सर्वप्रथम आचार-व्यवहार अनुकरणीय बनायें तभी बच्चों पर उनका अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। शिक्षक छात्र को जो भाषण के द्वारा शिक्षा देता है उसका बच्चे पर उतना प्रभाव नहीं पड़ता जितना उनके आचरण का होता है। बच्चा उनके हर आचरण को बड़ी पैनी दृष्टि से देखता है तब जाकर उसे अपने आचरण में उतारता है। अध्यापक यदि छात्रों के सामने बीड़ी सिगरेट पीता है, गाली गलौच, गुस्से की भाषा का प्रयोग करता है, झूठ बोलता है और बच्चों को इन दुर्गणों को छोडऩे की सीख देता है तो बच्चों पर अध्यापक की इस सीख का तनिक भी प्रभाव नहीं पड़ेगा।
हमारे शास्त्रों ने भी कहा है- मातृमान पितृमान आचार्यमान पुरुषों वेद। बच्चे का पहला गुरु मां, दूसरा गुरु पिता और तीसरा आचार्य आचार्या जब उत्तम विद्वान होंगे तभी बच्चे भी पूर्ण ज्ञानवान हो सकेंगे और उनका सम्पूर्ण विकास होगा।
विद्यार्थी भी जब तक अध्यापकों को अपना आदर्श नहीं समझेंगे, उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव नहीं रखेंगे, सेवा-समर्पण की भावना नहीं रखेंगे, तब तक वे अच्छे विद्यार्थी नहीं बन सकेंगे और ना ही योग्य व विद्वान बन सकेंगे।
अध्यापक छात्रों को अपनी संतान समझ कर उन्हें शिक्षा दें उनके पारस्परिक सम्बन्ध मधुर व प्रेमपूर्ण हों तभी सुशिक्षा प्राप्त हो सकती है।
अक्षरज्ञान और पाठ्यक्रम की पढ़ाई के साथ-साथ आज आवश्यकता है छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान कराने की। उनका माता-पिता, पड़ौसियों के साथ कैसा व्यवहार हो, समाज और राष्ट्र के प्रति उनका क्या कर्तव्य है, मानवता के प्रति उनका क्या दायित्व है आदि की शिक्षा उन्हें अवश्य दी जानी चाहिये। अध्यापक यदि अपने इस गुरुतर कार्य को निष्ठापूर्वक पूरा करें तो उनके पढ़ाये छात्र जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्त करेंगे और राष्ट्र को प्रगति के शिखर पर ले जाने में सक्षम होंगे। हमारे राष्ट्रपति स्व. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी एक उच्च दार्शनिक विद्वान और अध्यापक थे।
उनके जन्मदिन 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में सारे राष्ट्र में मनाया जाता है और राष्ट्र निर्माता शिक्षकों के प्रति सम्मान की भावना प्रदर्शित करने के लिये भारत के अनेक अध्यापकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
(डॉ. मनमोहन सिंह-विभूति फीचर्स)

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय