नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को राज्य की जातीय हिंसा में कथित तौर पर फंसाने वाले लीक ऑडियो क्लिप के मौजूदा सीएफएसएल विश्लेषण पर असंतोष व्यक्त करते नई फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) रिपोर्ट प्रस्तुत करने का सोमवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की एक पीठ ने यह निर्देश दिया।
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पीठ ने यह निर्देश कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। यह मामला पूर्व सीएम की आवाज वाले विवादास्पद ऑडियो टेप की अदालत की निगरानी में जांच की मांग से संबंधित है।
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सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीएफएसएल रिपोर्ट वाला एक सीलबंद लिफाफा पेश किया और अदालत से आग्रह किया कि स्थिति को और न बढ़ाया जाए। उन्होंने (मेहता) ने कहा,“जांच जारी रहने दें… शांति कायम है।” उन्होंने सुझाव दिया कि उच्च न्यायालय भी रिपोर्ट की जांच कर सकता है।
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संबंधित मामले के दस्तावेजों को पढ़ने के बाद हालांकि, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने असंतोष व्यक्त किया। उन्होंने टिप्पणी की,“श्री मेहता, आपको कार्यालयों से बात करनी होगी… यह एफएसएल रिपोर्ट क्या है?” श्री मेहता ने स्वीकार किया कि उन्होंने संबंधित दस्तावेज नहीं पढ़े है।
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इस पर मुख्य न्यायाधीश ने निर्देश दिया,“सामग्री पढ़ें और फिर संबंधित कार्यालयों से बात करें… कृपया जांच करें और एक नई रिपोर्ट दें।” इसके बाद अदालत ने आदेश पारित करते हुए कहा,“एसजी (मेहता) ने हमारे सामने सीलबंद लिफाफे में एफएसएल रिपोर्ट की एक प्रति सूचीबद्ध की। सीलबंद लिफाफा खोला गया और हमने रिपोर्ट देखी। एसजी पुनः जांच के बाद नई एफएसएल रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश प्राप्त करेंगे। 21 जुलाई, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में पुनः सूचीबद्ध करें।” इस बीच, एसजी ने कहा है कि जांच जारी रहेगी।
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याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आपत्ति जताई कि जांच अभी भी राज्य पुलिस द्वारा की जा रही है। उन्होंने पहले से चल रही जांच पर रोक लगाने के लिए दबाव डाला और दोहराया कि मामले में पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ गंभीर आरोप शामिल हैं।
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मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति खन्ना ने जांच रोकने से इनकार करते हुए कहा, “श्री भूषण, हम उस पर रोक नहीं लगा रहे हैं। हमने रिपोर्ट देखी है।” उन्होंने याचिकाकर्ता को आश्वस्त किया,“मणिपुर में अब राष्ट्रपति शासन लागू है, इसलिए पक्षपात की चिंता दूर होनी चाहिए।”