भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शुक्रवार को एनसीईआरटी परिसर के कला मंडपम में संस्कृति और कला के अनूठे संगम ‘राष्ट्रीय कला उत्सव 2024-25’ का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में पारंपरिक और आधुनिक कला का सुंदर समावेश किया गया। ‘राष्ट्रीय कला उत्सव’ 6 जनवरी तक चलेगा, जिसमें देशभर से आए कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि कला हमारे समाज, हमारी संस्कृति का प्रतिबिंब है। इसे बढ़ावा देना हमारी सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कला एक साधना और कलाकार एक साधक है। कला साध्य भी है और आराध्य भी है।
कला ही समाज को अलंकृत करती है। उन्होंने कलाकारों और सांस्कृतिक संस्थाओं को हर संभव समर्थन देने की बात कही और कला के संरक्षण, संवर्धन पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण 64 कलाओं और 14 विधाओं में निपुण थे। वे ललित कलाओं में पारंगत थे। वे रागी थे, अनुरागी थे, धर्म की स्थापना के लिए धरा पर आए परम योगी थे। यौगिक क्रियाओं के प्रवर्तक श्रीकृष्ण सच्चे अर्थों में योगीराज थे। अनेकता से एकता भारत की विशेषता है। हमें अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर नाज़ करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह उत्सव, भारत सरकार ने वर्ष 2015 से प्रारंभ किया। यह एक अनूठा कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा को विकसित करना और भारतीय कला एवं शिल्प की धरोहर को संरक्षित और यथावत रखना है। यह भारत की सांस्कृतिक परंपरा को विद्यार्थियों में प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 शिक्षा के माध्यम से कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर बल देती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय कला एवं संस्कृति का संवर्धन न केवल राष्ट्र, बल्कि प्रत्येक नागरिक के लिए भी महत्वपूर्ण है। कला एवं संस्कृति विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों और नैतिकता की भावना को विकसित करती है, जिससे वे मशीनी होने की अपेक्षा संवेदनशील मनुष्य बन पाते हैं। कला की कोई भी विधा हो, यह अधिगम का एक सशक्त माध्यम है।
कला चाहे नृत्य हो, गायन हो, वादन हो, चित्रण हो, शिल्पकला या अन्य कोई भी विधा हो अथवा स्थानीय, पारंपरिक खेल-खिलौने हों, ये सभी विधाएं विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक, वैचारिक, सामाजिक, भावनात्मक और व्यावहारिक विकास में वृद्धि करती हैं। स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने देश के विभिन्न अंचलों से आए बाल कलाकारों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि यह कला उत्सव बाल कलाकारों को उनकी प्रतिभा की अभिव्यक्ति का मंच प्रदान करता है। आज हमारे बच्चे ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल, संस्कृति से जुड़कर अपनी मेधा से देश का नाम रोशन कर रहे हैं। बाल कलाकार अपनी कला को और अधिक निखारें। पूरा क्षितिज उनका है, भविष्य उन्हीं का है।
केंद्रीय शिक्षा एवं साक्षरता मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव आनंदराव विष्णु पाटिल ने बताया कि ‘विकसित भारत’ अभियान एवं ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की मूल मंशा के लिए इस कला उत्सव का यह 10वां संस्करण है। इसके जरिए बच्चे अपनी कला को और निखार रहे हैं। एनसीईआरटी नई दिल्ली के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति पूरी तरह भारतीयता से समावेशित है। यह ऐसी है कि छात्रों को कला विषय में विज्ञान का और विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान विषय में कला का बोध होता है। हमने अब तक जो किया, वह ‘विकसित भारत’ के निर्माण को समर्पित है।