गाजियाबाद। तेज, कर्कश सायरन की गूंज, बिजली का ब्लैकआउट और हर कोने में सतर्कता की लहर—यह कोई फिल्मी सीन नहीं बल्कि सिविल डिफेंस की गाजियाबाद में आयोजित की जा रही विशेष मॉक ड्रिल की तैयारी है। सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन ललित जसवाल की अगुवाई में यह युद्धाभ्यास बिना युद्ध के, पूरे शहर को आपदा से निपटने की ट्रेनिंग देगा।
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ड्रिल का सबसे अनूठा हिस्सा है सायरन की “भाषा”। चीफ वार्डन ललित जसवाल ने बताया कि सायरन केवल शोर नहीं बल्कि एक चेतावनी कोड है। पहला सायरन- खतरे की आहट – सतर्क हो जाइए। दूसरा सायरन- तुरंत सुरक्षित स्थान पर पहुंचिए। तीसरा सायरन- खतरा टल गया – लेकिन सतर्कता बनाए रखें। यह प्रणाली न केवल युद्धकालीन परिस्थितियों बल्कि प्राकृतिक आपदाओं में भी समय पर प्रतिक्रिया देने में मदद करेगी।
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ड्रिल में “ब्लैकआउट” का भी अभ्यास होगा। हवाई हमले जैसी स्थिति में, रोशनी छुपाकर दुश्मन को दिशा भ्रमित करना जरूरी होता है। नागरिकों को सिखाया जाएगा कि ऐसे समय में घर की खिड़कियां कैसे ढंकी जाएं, अनावश्यक बिजली का उपयोग कैसे रोका जाए, और सामूहिक अनुशासन कैसे बनाए रखा जाए।
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सिविल डिफेंस ने गाजियाबाद के 10 स्कूलों और कई रिहायशी सोसाइटीज को इस अभ्यास के लिए चुना है। स्कूलों में छात्रों को प्राथमिक उपचार, सुरक्षित निकासी, और आपदा के समय आत्म-संरक्षण की विधियाँ सिखाई जाएंगी। वहीं, सोसाइटीज में रहने वाले लोगों को विशेष प्रशिक्षण देकर पूरे समुदाय को जागरूक किया जाएगा।
इस मॉक ड्रिल में सिविल डिफेंस के साथ-साथ फायर ब्रिगेड की टीम भी भाग लेगी। आगजनी, बचाव कार्य और आपातकालीन चिकित्सा सहायता जैसे पहलुओं में विशेषज्ञता के साथ फायर ब्रिगेड इस अभ्यास को और प्रभावशाली बनाएगी। ललित जसवाल ने कहा, “यह एक सामूहिक प्रयास है। जब सभी विभाग और नागरिक एक साथ कदम मिलाते हैं, तभी हम किसी आपदा का डटकर सामना कर सकते हैं।”
इस अभियान पर प्रतिक्रिया देते हुए डिफेंस एक्सपर्ट और 1971 युद्ध के पूर्व सैनिक कर्नल (रिटायर्ड) टीपी त्यागी ने कहा कि इस प्रकार की मॉक ड्रिल बहुत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा, “1971 में हमने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों को बंदी बनाया था, और बांग्लादेश को अलग देश बनाकर पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। अब अगर पाकिस्तान न्यूक्लियर धमकियाँ देता है तो भारत के पास MIRP तकनीक है, जिससे एक साथ 10 अलग-अलग स्थानों पर बम गिराए जा सकते हैं।”
उन्होंने सुझाव दिया कि मॉक ड्रिल के दौरान,घरों में काले शीशे या परदे का प्रयोग हो, गाड़ियों पर काली पट्टी लगाई जाए,जगह-जगह गड्ढे और बंकर बनाए जाएं, लोगों को कान में रुई लगाने की जानकारी दी जाए ताकि तेज धमाकों से बचाव हो।
टीपी त्यागी ने कहा, “पाकिस्तान अब 1971 जैसी लड़ाई लड़ने की स्थिति में नहीं है। मौजूदा हालात में वह तीन दिन से ज्यादा युद्ध नहीं झेल सकता।”