लखनऊ।”यूपी में का बा” गाकर अपनी अलग पहचान बनाने वाली नेहा सिंह राठौर ने बड़ा दावा किया है जिससे एक बार फिर उनको लेकर चर्चाएं तेज हो गई है।
आखिरी सांस तक लड़ूंगी व गाऊंगी : नेहा सिंह राठौर
इस बीच नेहा सिंह राठौर अपनी सभी बातों को पूरी मजबूती के साथ जनता के सामने रख रही हैं। हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में नेहा सिंह राठौर ने कहा कि मैं भोजपुरी भाषा की बेटी हूं। भोजपुरी ने मुझे जन्म दिया है। बिहार प्रदेश व भारत की धरती का मेरे ऊपर कर्ज है। मैंने गरीबी देखी है, गरीबी को जिया है। इसलिए मैं गरीबों की आवाज उठाती हूं। नेहा सिंह राठौर जोर देकर कहती हैं कि मैं आखिरी सांस तक गरीब जनता के हकों व अधिकारों के लिए लड़ती रहूंगी। साथ ही अपने जीवन के अंतिम सांस तक गाने लिखती रहूंगी और गाती भी रहूंगी।
हर बार ट्रोल हुई हूं
इंटरव्यू में नेहा सिंह राठौर कहती हैं कि पहली बार ”यूपी में का बा” गाया, तो मुझे इतना ट्रोल किया गया कि अंदर तक हिल गई। लोगों ने ऐसी-ऐसी गालियां दी कि बता नहीं सकती। सोशल मीडिया पर मुझे घर वालों को ब्लॉक करना पड़ा, क्योंकि कोई भाई अथवा मां-बाप यह नहीं सह पाएगा कि उसकी बहन-बेटी को कोई वैश्या बोले।
वे बताती हैं कि उसी वक्त मेरी मंगनी हुई थी। जिस तरह से मुझे ट्रोल किया जा रहा था, मैं डर गई कि मेरी शादी न टूट जाए। हिमांशू के साथ फोटो शेयर की तो लोग कहने लगे भैंसे से शादी कर रही है। इसका पति सांड है।
लोगों ने यहां तक लिखा कि तुम्हारे चेहरे पर फुंसियां हैं, अपनी शक्ल देखो..। मेरी मानसिक स्थिति ऐसी हो गई कि मैं शीशे में अपना चेहरा देखने लगी। सोच में पड़ गई कि ये सब फुंसियां ठीक कैसे होंगी। फिर लगा ये ऐसे लोग हैं कि कोई विश्व सुंदरी भी होगी तो उसमें कमियां निकाल देंगे।
कोविड में सास की मौत हुई, तो लोग कहने लगे कि ये कुलच्छनी है। शादी से पहले सास को खा गई। मैं बहुत स्ट्रेस में आ गई। शुक्र है कि हिमांशु और मेरे ससुर ने कभी इन बातों पर गौर नहीं किया। ससुर ने हमेशा कहा कि जो तुम्हें ठीक लगता है वो करो।
कैसे बनी नेहा सिंह राठौर
नेहा सिंह राठौर कैसे बनी ? यह सिर्फ मैं जानती हूं। बहुत दर्द भरी कहानी है मेरी। हर पांचवें दिन मेरे सामने कोई न कोई समस्या खड़ी हो जाती है। मां-बाप को मेरा गाना-बजाना कभी पसंद नहीं रहा। मां चाहती थी कि बीएड करके मास्टरनी (टीचर) बन जाऊं या चूल्हा-चौका करूं।
किसी सरकारी नौकरी करने वाले से मेरी शादी हो जाए। पिता आज भी कहते हैं कि गाना-बजाना छोड़ो, नहीं चाहिए पैसा, हमें समाज में इज्जत चाहिए, लेकिन मैं जानती हूं कि मैं जो कर रही हूं ठीक कर रही हूं।
बिहार के कैमूर-भभुआ में पैदा हुई। पापा लखनऊ में प्राइवेट नौकरी करते थे। गांव में भाई-बहन और मां के साथ रहती थी। पापा सीधे थे, लेकिन मां मुझमें और भाई में फर्क करती थी। दादी भी भाई के खाने में घी डालती थीं और मुझे मना कर देती थीं। कहती थीं कि तुम्हें ससुराल जाना है, घी खाकर यहां अखाड़ा लडऩा है क्या..? मुझे उस वक्त बहुत बुरा लगता था।
शुरुआती पढ़ाई के बाद मैं बिहार से कानपुर आ गई, क्योंकि वहां ग्रेजुएशन करने में 6 साल लग जाते थे। पढऩे-लिखने में शुरू से ही तेज थी। टीचर कहती थी कि तुम कलेक्टर बनोगी। मुझे बचपन से गाने का शौक था। मां के साथ शादियों में जाती थी। वहां मां भोजपुरी में गीत गाती थीं, मैं भी उनका साथ देती थी।
2017 की बात है। मैं ग्रेजुएशन कर चुकी थी। भाई फेसबुक चलाता था। उसकी ही आईडी से मैं भी फेसबुक देखती थी। एक दिन मैंने देखा कि लोग सोशल मीडिया पर उल्टे-सुल्टे गाने पोस्ट करते हैं और उन्हें लाइक भी कम ही मिलते हैं। मैं भाई का मोबाइल लेकर गाने रिकॉर्ड करती थी और फिर उसे फेसबुक पर अपलोड करती थी।
मुझे लगता था कि इससे अच्छा तो मैं गाती हूं। मेरे गाने को लोग ज्यादा लाइक करेंगे, लेकिन मेरे पास फोन नहीं था। भाई से बोलती तो वो मना कर देता था। इसके बाद मैं चाचा के फोन में गाना रिकॉर्ड करने लगी। एक दिन जिद करके मैंने मामा से अपना फेसबुक अकाउंट बनवा लिया।
2018 की बात है बुआ के यहां कोलकाता गई थी। इसी तरह गुनगुना रही थी तो बुआ बोली, गाना है तो ढंग से गाया करो। उनकी बात लग गई और तय किया कि अब फेसबुक पर अपने गाने पोस्ट करूंगीं। धीरे-धीरे एक-एक करके गाने फेसबुक पर पोस्ट करने लगी।
शुरुआत में कम लाइक्स मिलते थे। 300-400 लोग देखते थे, लेकिन मेरी कोशिश जारी रही। मेरा लिखा एक गीत था ‘हमरा प्रेम के निसानी (निशानी) दिखाई द, पिया शौचालय बनाई द..।Ó इसे लोगों ने बहुत पसंद किया। इससे मुझे हिम्मत मिली।
अब मुझे एक फोन की जरूरत थी। मां से कहा कि मुझे मोबाइल दिला दो, लेकिन उन्हें लगता था कि मैं लड़कों से बात करने के लिए फोन मांग रही हूं। वो कहती थीं जब बतियाना ही है तो शादी हो जाए तो अपने पति से बतियाना (बात करना)। एक बार भाई ने नया फोन लिया। उसका पुराना फोन ऐसे ही रखा रहता था, लेकिन मुझे नहीं देता था। परिवार वाले भी हमेशा मुझ पर नजर गड़ाए रहते थे। इन सबके बाद भी जब कभी मेरे हाथ फोन लग जाता, तो कोई ना कोई गीत फेसबुक पर अपलोड कर देती थी।
हिमांशु से हुआ प्यार और शादी
नेहा आगे बताती हैं कि 2019 की बात है। मैं दिल्ली के प्रगति मैदान में बुक फेयर में गई थी। वहां बुक स्टॉल पर एक लड़का मिला हिमांशु। उससे बातचीत हुई और हमने अपने नंबर एक-दूसरे को शेयर किए। उससे फोन पर बातें होने लगीं।
एक दिन उसने प्रपोज किया, तब मैंने मना कर दिया। जब मां को पता चला कि मैं एक लड़के से बात करती हूं, तो उन्होंने, भाई से मेरा फोन तोड़वा दिया। भाई ने फोन पर हिमांशु को गालियां दीं। बहुत बुरा-भला कहा।
हिमांशु ने मेरी मौसी की बेटी को फोन किया कि नेहा के घरवालों ने उसका फोन तोड़ दिया है। मैं नेहा से बात नहीं करूंगा, लेकिन उसे फोन मिलना चाहिए। कम से कम वो गाना गा सके। मौसी की बेटी ने भाई को समझाया कि देखो उसे फोन दे दो।
मैं भी एक नंबर की जिद्दी थी। तय कर लिया था चाहे कुछ हो जाए, अपना काम नहीं छोड़ूंगी। एक दिन बहुत सारे फोन खरीदूंगी। लड़कियां मेकअप करके सुंदर दिखना चाहती हैं, उनकी कई इच्छाएं होती हैं, लेकिन मेरी इच्छा सिर्फ एक फोन की थी।
2020 में बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त एक मीडिया कंपनी से गाने के लिए मुझे डेढ़ लाख रुपए मिले। मैंने सबसे पहले एक फोन खरीदा। उस वक्त मुझे इतनी खुशी हुई थी कि बता नहीं सकती। कुछ दिन बाद मैंने उसी भाई को एपल का फोन गिफ्ट किया, जिसने मेरा मोबाइल तोड़ा था।
चुनाव के दौरान मैंने ‘बिहार में का बा’ गाया, जिससे मुझे काफी शोहरत मिली। इस गीत के जवाब में बिहार सरकार को भी गाना बनवाना पड़ा। सब लोग जानना चाहते थे कि कौन है वो लड़की, जिसके गाने का जवाब सरकार को देना पड़ गया।
हालांकि मैं ट्रोल भी खूब हुई। किसी ने मुझे दलाल कहा तो किसी ने आरजेडी की एजेंट। मुझे अश्लील गालियां दी गईं। ट्रोलिंग के बाद पापा बहुत नाराज हुए, उन्होंने कहा कि अगर गाना है तो परंपरागत गीत गाओ, पॉलिटिकल सटायर नहीं, लेकिन मैं उनकी सुनती कहां हूं। मैं जानती हूं कि मैं सही काम कर रही हूं।
हिमांशु में एक ही कमी है कि वह सरकारी नौकरी नहीं करता है। बस इसी बात से घरवाले उससे मेरी शादी कराना नहीं चाहते थे।