नोएडा। नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) के 200 करोड़ रुपये के एफडी मामले में हुई धोखाधड़ी की घटना में प्राधिकरण के मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी (सीएफएओ) मनोज कुमार सिंह को निलंबन का नोटिस दिया गया है। बुधवार को नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी लोकेश एम की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस में तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है। जवाब से संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में उनके निलंबन की संस्तुति शासन से की जाएगी।
बताया गया कि मामले में प्रथम दृष्टया कई अनियमितताएं पाई गईं हैं। जांच में पता चला है कि बैंक ऑफ इंडिया को बिना नियम के बिड में शामिल कराया गया। बताया जा रहा है कि सीएफएओ ने अपने स्तर पर बैंक ऑफ इंडिया को बोली के लिए बुलाया था। प्राधिकरण के सूत्रों का कहना है कि आमतौर पर इस तरह की बिड में उन्हीं बैंकों को बुलाया जाता है, जहां पहले से प्राधिकरण का खाता खुला हुआ है। लेकिन इस मामले में नियमों को ताक पर रखकर बैंक ऑफ इंडिया को बोली के लिए बुलाया गया।
प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि बिड के दौरान कुछ बैंकों की ओर से सवाल भी उठाए गए थे। उन्होंने बैंक ऑफ इंडिया को बुलाने पर आपत्ति जाहिर की थी। यहां सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि बैंक को बिड में शामिल कराया गया, जिस बैंक में प्राधिकरण का खाता भी नहीं है। आशंका जताई जा रही है कि इसमें कुछ अन्य लोगों की भी मिलीभगत हो सकती है।
नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति मामले की जांच कर रही है। जल्द ही इसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। जांच समिति में एसीईओ प्रभाष कुमार के अलावा एक सदस्य और शामिल हैं। समिति ने बैंक अधिकारियों के बयान दर्ज किए हैं। इसमें भी कई प्रकार की खामियां मिली हैं। कमेटी ने जांच के क्रम में बिडिंग की फाइल कब्जे में ले ली है।
नोएडा प्राधिकरण की ओर से बताया गया कि बैंक ऑफ इंडिया ने पूरे 200 करोड़ रुपये वापस कर दिए हैं। प्राधिकरण के खाते में रकम जमा हो गई है। प्राधिकरण की ओर से इस मामले में बैंक से ब्याज की मांग भी की गई थी। बैंक की ओर से आश्वासन दिया गया है कि 200 करोड़ का रुपये का ब्याज भी प्राधिकरण को दिया जाएगा।
वही पुलिस की जांच में आरोपी सीसीटीवी में भी दिखे हैं। आरोपी बाकायदा पास बनवाकर प्राधिकरण में दाखिल हुए और वित्त विभाग के अधिकारियों से मिलने पहुंचे थे। हालांकि वह किसी अधिकारी से मिलने के लिए गए थे इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है। जांच के बाद यह स्पष्ट होगा कि वह किससे मिले थे।
वही पुलिस की जांच में आरोपी सीसीटीवी में भी दिखे हैं। आरोपी बाकायदा पास बनवाकर प्राधिकरण में दाखिल हुए और वित्त विभाग के अधिकारियों से मिलने पहुंचे थे। हालांकि वह किसी अधिकारी से मिलने के लिए गए थे इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है। जांच के बाद यह स्पष्ट होगा कि वह किससे मिले थे।
मालूम हो कि नोएडा प्राधिकरण की ओर से 26 जून को 200 करोड़ की एफडी कराने के लिए बैंक ऑफ इंडिया को पैसे दिए गए थे। इसी बीच कुछ जालसाजों ने फर्जीवाड़ा करते हुए प्राधिकरण के 3.8 करोड़ रुपये अपने खाते में जमा करा लिए। जालसाज प्राधिकरण में अपने आप को बैंककर्मी और बैंक में खुद को प्राधिकरण का अधिकारी बताते थे। मामले का खुलासा होने के बाद बैंक और प्राधिकरण सतर्क हो गए। अन्यथा 9 करोड़ रुपये और ट्रांसपर कर लिए जाते। जालसाजों की नजर पूरे 200 करोड़ रुपये पर थी। इस मामले में सेक्टर-58 थाने में नोएडा प्राधिकरण की ओर से मामला दर्ज कराया गया है। अब तक पांच आरोपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए हैं। इस घटना का मास्टर माइंड मनु पोला अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।