Tuesday, May 7, 2024

अब अवांछित कॉल पर लगेगा जुर्माना, लोकसभा में दूरसंचार विधेयक हुआ पेश, किसी भी नेटवर्क पर कर सकती है सरकार कब्ज़ा

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नयी दिल्ली- लोकसभा में आज दूरसंचार विधेयक 2023 पेश किया गया जिसमें दूरसंचार क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर सुधार के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में किसी भी या सभी संचार सेवा प्रदाता या नेटवर्क को संभालने, प्रबंधित करने या निलंबित करने की सरकार को अनुमति देने और अवांछित मार्केटिंग कॉल करने वालों पर जुर्माना किये जाने के प्रावधान किये गये हैं।

संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे और शोरगुल के बीच लाेकसभा में इस विधेयक को पेश किया। संसद से पारित हाेने के बाद यह विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 की जगह लेगा। सरकार द्वारा इस वर्ष अगस्त में अनुमोदित इस विधेयक में ओटीटी प्लेटफॉर्म या एप इसमें शामिल नहीं है।

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इस विधेयक में कहा गया है कि केंद्र सरकार जन सुरक्षा या आपात की स्थिति में किसी भी टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क पर अस्थायी कब्ज़ा कर सकती है। प्रस्तावित कानून भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्ज़ा) अधिनियम, 1950 की जगह लेगा। सरकार का तर्क है कि इनमें से कुछ कानून 138 साल पुराने हैं। टेलीकम्युनिकेशन में तेजी से उभरती टेक्नोलॉजी को देखते हुए नए कानून की जरूरत है।

इसमें दूरसंचार उपभोक्ताओं की संरक्षा के लिए संचार साथी पहल करने का प्रावधान किया गया है जिसमें बगैर अनुमति के कॉल करने वाले टेलीमार्केटिंग कॉलरों पर जुर्माना किये जाने का भी प्रावधान है। इसके लिए एक ऑनलाइन शिकायत करने की व्यवस्था की जायेगी और उसके माध्यम से शिकायत किये जाने पर कॉलर पर जुर्माना किया जायेगा।

विधेयक में सरकार को उपभोक्ताओं के हित, बाजार में प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने, दूरसंचार नेटवर्क की उपलब्धता या निरंतरता और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रवेश शुल्क, लाइसेंस शुल्क, जुर्माना आदि माफ करने की शक्ति प्रदान करने का प्रावधान भी है।

विधेयक में दूरसंचार कंपनियों के लिए अनुपयोगी स्पेक्ट्रम को सरकार को लौटाने, शेयरिंग, ट्रेडिंग और लीज पर देने की अनुमति भी दिये जाने का प्रावधान है।

इसमें कहा गया है कि जिस भूमि पर टेलीकॉम टावर लगा है यदि कोई व्यक्ति उस भूमि को खरीदता है तो अब टावर पर वह अपना अधिकार नहीं जता सकता है। देश में अभी इस तरह के मामलों को लेकर 27 हजार से मामले अदालतों में लंबित है। वैश्विक स्तर पर सिर्फ भूमि बेची जाती है, टॉवर संबंधित कंपनी की ही संपत्ति रहती है।

इस विधेयक में लाइसेंसिंग से जुड़े सुधार भी किये गये हैं। अभी 100 से अधिक तरह के लाइसेेंस, पंजीकरण, अनुमति और अधिकृत कराये जाने की जरूरत होती है जिसे इस विधेयक में बहुत ही सरल बनाने की बात कही गयी है। इसको आगे क्यूआर कोड आधारित भी किया जा सकेगा।

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