कोलकाता। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि “समय आ गया है कि देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी अब इंडिया गठबंधन में बड़े भाई तरह अपनी शर्तें थोपना बंद कर दे।”
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव के नतीजों पर हालांकि कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन राज्य में पार्टी के कुछ प्रवक्ताओं ने कांग्रेस पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
सबसे पहले राज्य तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की विफलता को इंडिया गठबंधन की विफलता के रूप में नहीं देखा जा सकता।
उन्होंने रविवार की दोपहर में कहा, ”यह भाजपा की सफलता से ज्यादा कांग्रेस की विफलता है। मुझे नहीं लगता कि इन तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों का 2024 में पश्चिम बंगाल पर कोई असर पड़ेगा। पश्चिम बंगाल में फैक्टर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। वास्तव में, राज्य में महिलाओं के लिए मासिक भुगतान जैसी कई कल्याणकारी योजनाओं को भाजपा ने इन राज्यों के लिए अपने चुनावी वादों में दोहराया था। इसलिए यह बेहतर है कि इंडिया गठबंधन 2024 में मुख्य चेहरे के रूप में ममता बनर्जी के साथ चुनाव में उतरे।”
तृणमूल कांग्रेस की युवा शाखा के नेता देबांग्शु भट्टाचार्य ने कहा कि कांग्रेस की पराजय फिर से साबित करती है कि ममता बनर्जी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का विरोध करने वाली एकमात्र विश्वसनीय चेहरा हैं, जैसा कि उन्होंने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में किया था।
भट्टाचार्य ने कहा, “यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांग्रेस अभी तक पूरे उत्तर भारत में एक और डी.के. शिवकुमार को खड़ा नहीं कर पाई है। उन्हें अपना अहंकार छोड़कर जमीनी हकीकत को समझने की जरूरत है। पार्टी को पूरे साल लोगों के साथ रहना है, न कि सिर्फ चुनाव से पहले, जो कि ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस कर रही है।
खबर लिखे जाने तक प्रदेश कांग्रेस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई थी।