गाजियाबाद। जिले के 14 बैंकों के 156,396 बैंक खाते एनपीए हो गये हैं। इन खातों के एनपीए होने की वजह से बैंकों के 56 करोड़ से अधिक रुपये ग्राहकों के पास फंस गया है। एनपीए खाते से रिकवरी के लिए बैंकों को बार-बार नोटिस, सर्टिफिकेट केस व लोक अदालत में मामले ले जाने पड़ रहे हैं। इसमें सबसे अधिक मामले पर्सनल लोन से जुड़े हैं।
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पिछले पांच सालों में 35 हजार से अधिक पर्सनल लोन के खाते या छोटे उपकरणों के फाइनेंस के खाते एनपीए हो गए है। विभिन्न कंपनियों और बैंकों की ओर से इनको वसूली के लिए फोन भी किया जा रहा है। बावजूद इसके यह लोन नहीं चुका रहे है। इसके अलावा केसीसी, हाउसिंग, एजुकेशन, एमएसएमइ व अन्य प्रकार के लोन भी खाते एनपीए में शामिल हैं। इसके बाद सबसे अधिक केसीसी ऋण के 24,978 बैंक खाते एनपीए हुए हैं। इसके बाद बिजनेस और एजुकेशन लोन के खाते एनपीए हुए हैं।
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अग्रणी बैंक प्रबंधक बुद्धराम ने बताया कि पर्सनल लोन की कोई सिक्योरिटी नहीं होने के कारण बड़ी संख्या में यह खाते एनपीए हो रहे हैं। लोग किसी कारण से लोन नहीं जमा कर पाते हैं। तो उन्हें वसूली के लिए नोटिस भेजा जाता है। तीन नोटिस भेजने के बाद भी पैसे नहीं जमा करने पर मामले को लोक अदालत में ले जाया जाता है।