नयी दिल्ली/बेंगलुरु, कांग्रेस तथा विपक्ष के 26 दलों के नेताओं के कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में मंगलवार को बने गठबंधन ‘इंडिया’ ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर करने का सामूहिक संकल्प लिया और कहा कि विपक्ष के सभी दल भाजपा की विभाजनकारी विचारधारा के खिलाफ़ एकजुट हैं।
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के परिप्रेक्ष्य में प्रमुख 26 विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ अपने महागठबंधन को भारतीय राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समावेशी गठबंधन( इंडिया) नाम दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक के दूसरे दिन मंगलवार को यह घोषणा की।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे एनडीए बनाम इंडिया की लड़ाई बताते हुए कहा कि विपक्षी दल संविधान , भारतीयों की आवाज और विचार को बचाने के लिए कृतसंकल्पित हैं। उन्होंने जोर दिया कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ‘इंडिया’ के बीच की लड़ाई है और ये भी जगजाहिर है कि जहां इंडिया होता है वहां किसकी जीत होती है।
श्री गांधी ने कहा , “हम संविधान, भारतीयों की आवाज और भारत के विचार को बचाने के लिए लड़ रहे हैं। आप जानते हैं कि जो कोई भी भारत के विचार से लड़ना चाहता है उसका क्या होता है। यह लड़ाई नरेंद्र मोदी और ‘इंडिया’ के बीच है। इंडिया हमेशा सभी लड़ाई जीतता है। ”
बैठक में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद, आम आदम पार्टी के अरविंद केजरीवाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी,मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी, द्रविढर मुनेत्र कषगम के एम के स्टालिन तथा अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने हिस्सा लिया।
श्री खड़गे ने कहा कि अगली बैठक मुंबई में होगी और वहां 11 सदस्यीय समन्वय समिति गठित की जाएगी तथा इसके सदस्यों की घोषणा की जायेगी।
सुश्री बनर्जी ने बैठक में कहा , “एनडीए , क्या आप इंडिया को चुनौती दे सकते हैं? हम अपनी मातृभूमि से प्यार करते हैं। हम देशभक्त हैं और हम देश, दुनिया, किसानों और सभी के लिए हैं।”
बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि भारतीय संविधान के मूलभूत स्तंभ – धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र, आर्थिक संप्रभुता, सामाजिक न्याय और संघवाद – को व्यवस्थित और खतरनाक तरीके से कमजोर किया जा रहा है।
प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि देश के संघीय ढांचे को जानबूझकर कमजोर करने का प्रयास किया गया।
प्रस्ताव में कहा गया कि गैर-भाजपा शासित राज्यों में राज्यपालों और उपराज्यपालों की भूमिका संवैधानिक मानदंडों से अधिक हो गयी है। भाजपा सरकार के सरकारी एजेंसियों का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ खुलेआम दुरुपयोग लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है। वहीं गैर-भाजपा शासित राज्यों की वैध जरूरतों, आवश्यकताओं और अधिकारों को दबाया जा रहा है।
विपक्षी दलों ने इसे मानवीय त्रासदी बताते हुए मणिपुर हिंसा पर श्री मोदी की चुप्पी पर गंभीर चिंता जताई और इसे चौंकाने वाला और अभूतपूर्व बताया। उन्होंने मणिपुर को शांति और सुलह के रास्ते पर वापस लाने के लिए तत्काल कदम उठाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
विपक्षी दलों ने भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकने का संकल्प लेते हुई कहा,“हम, भारत के 26 प्रगतिशील दलों के हस्ताक्षरित नेता, संविधान में निहित भारत के विचार की रक्षा के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हैं। हमारे गणतंत्र के चरित्र पर भाजपा द्वारा व्यवस्थित तरीके से गंभीर हमला किया जा रहा है। हम अपने देश के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। भारतीय संविधान के मूलभूत स्तंभों- धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र, आर्थिक संप्रभुता, सामाजिक न्याय और संघवाद-को व्यवस्थित रूप से और खतरनाक रूप से कमजोर किया जा रहा है।”
सकल्प पत्र में कहा गया है,“हम मणिपुर को तबाह करने वाली मानवीय त्रासदी पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं। प्रधानमंत्री की खामोशी चौंकाने वाली और अभूतपूर्व है। मणिपुर को शांति और सुलह के रास्ते पर वापस लाने की तत्काल आवश्यकता है।
हम संविधान और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों के संवैधानिक अधिकारों पर जारी हमले का मुकाबला करने के लिए दृढ़ हैं। हमारी राजनीति संघीय ढांचे को जानबूझकर कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। गैर-भाजपा शासित राज्यों में राज्यपालों और उपराज्यपालों की भूमिका संवैधानिक मानदंडों से अधिक रही है।”
विपक्षी दलों के सामूहिक संकल्प पत्र में कहा गया है,“भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ एजेंसियों का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग हमारे लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है। गैर-भाजपा शासित राज्यों की वैध जरूरतों, आवश्यकताओं और अधिकारों को केंद्र द्वारा सक्रिय रूप से अस्वीकार किया जा रहा है। हम आवश्यक वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतों और रिकॉर्ड बेरोजगारी के गंभीर आर्थिक संकट का सामना करने के अपने संकल्प को मजबूत करते हैं। विमुद्रीकरण अपने साथ एमएसएमई और असंगठित क्षेत्रों में अनकही दुर्दशा लेकर आया, जिसके परिणामस्वरूप हमारे युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर बेरोजगारी आई। हम पसंदीदा मित्रों को देश की संपत्ति की लापरवाही से बिक्री का विरोध करते हैं। हमें एक मजबूत और रणनीतिक सार्वजनिक क्षेत्र के साथ-साथ एक प्रतिस्पर्धी और फलते-फूलते निजी क्षेत्र के साथ एक निष्पक्ष अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहिए, जिसमें उद्यम की भावना को बढ़ावा दिया जाए और विस्तार करने का हर अवसर दिया जाए। किसान और खेत मजदूर के कल्याण को हमेशा सर्वोच्च प्राथमिकता मिलनी चाहिए।”
उन्होंने कहा,“हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ पैदा की जा रही नफरत और हिंसा को हराने के लिए एक साथ आए हैं और महिलाओं, दलितों, आदिवासियों तथा कश्मीरी पंडितों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए सभी सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए एक निष्पक्ष सुनवाई की मांग करते हैं और पहले कदम के रूप में जाति जनगणना को लागू करें।”
विपक्षी दलों ने कहा,“हम अपने साथी भारतीयों को निशाना बनाने, प्रताड़ित करने और दबाने के लिए भाजपा की प्रणालीगत साजिश से लड़ने का संकल्प लेते हैं। नफरत के उनके जहरीले अभियान ने सत्तारूढ़ दल और उसकी विभाजनकारी विचारधारा का विरोध करने वाले सभी लोगों के खिलाफ द्वेषपूर्ण हिंसा को जन्म दिया है। ये हमले न केवल संवैधानिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि उन बुनियादी मूल्यों को भी नष्ट कर रहे हैं जिन पर भारत गणराज्य की स्थापना हुई है-स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व और न्याय-राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक। भारतीय इतिहास का पुनर्निमाण और पुनर्लेखन करके सार्वजनिक विमर्श को दूषित करने के भाजपा के बार-बार प्रयास सामाजिक सद्भाव का अपमान हैं। हम राष्ट्र के सामने एक वैकल्पिक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक एजेंडा पेश करने का संकल्प लेते हैं। हम शासन के सार और शैली दोनों को बदलने का वादा करते हैं जो अधिक परामर्शात्मक, लोकतांत्रिक और सहभागी होगा।जय हिंद।”