कानपुर । भाजपा में कानपुर महापौर पद के लिए संभावित दावेदारों की सूची इतनी लंबी रही कि शायद ही किसी नगर निगम की रही हो। सूची में उन हस्तियों के नाम रहे जो संघ से लेकर भाजपा हाईकमान में अच्छी पैठ रखते हैं, लेकिन अन्तत: टिकट निवर्तमान महापौर प्रमिला पाण्डेय को ही मिला जो पिछले पांच साल अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पद चिन्हों पर चलती रहीं।
उत्तर प्रदेश नगर निकाय के दूसरे चरण के तहत कानपुर में मतदान होना है और 17 अप्रैल से चल रही नामांकन प्रक्रिया की आखिरी तारीख 24 अप्रैल है। लेकिन भाजपा की ओर से मेयर उम्मीदवार की घोषणा में देरी हो रही थी और दर्जनों उम्मीदवार अपनी अपनी उम्मीदवारी पक्की मान रहे थे। कोई लखनऊ में अपनी पहुंच बनाए हुए था तो कोई दिल्ली में। अंतत: आखिरी तारीख की पूर्व संध्या पर भाजपा ने सात महापौर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। जिसमें कानपुर में निवर्तमान महापौर प्रमिला पाण्डेय टिकट पाने में सफल साबित हुईं। प्रमिला पाण्डेय की दोबारा दावेदारी होने से जहां अन्य संभावित उम्मीदवारों में निराशा छा गई वहीं प्रमिला समर्थकों में खुशी की लहर है। साथ ही यह भी चर्चा का विषय बन गया कि पार्टी ने आखिरकार दोबारा किस आधार पर प्रमिला पाण्डेय को टिकट दिया।
इस पर राजनीतिक जानकार डॉ अनूप सिंह का कहना है कि प्रमिला पाण्डेय जमीनी नेत्री हैं और जब वह पार्षद रहीं तब उनके कार्य करने का ढंग अन्य पार्षदों से अलग रहा। इसी के चलते 2017 में उन्हें महापौर का टिकट मिला और जीती भीं। पांच साल तक उनकी जो कार्यशैली रही वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली से पूरी तरह से मिलती है। चाहे मुस्लिम क्षेत्र विलुप्तप्राय हो चुके मंदिरों का जीर्णोद्धार हो या शहर से अभियान के तहत चट्टाओं को बाहर करना हो। यही नहीं जब 2022 में प्रदेश में दोबारा योगी जी की सरकार बनी तो प्रमिला पाण्डेय ने जिस तरह से बुल्डोजर पर चढ़कर खुशी का इजहार किया था वह काबिलेतारीफ रहा। उनके सारे कार्यों को देखा जाए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उन कार्यों में छवि दिखाई देती है और इसी के चलते दिग्गजों की दाल नहीं गल सकी।