कोलकाता। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले में कथित संलिप्तता के सिलसिले में गिरफ्तारी के करीब आठ महीने बाद राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व सचिव जनरल पार्थ चटर्जी ने आखिरकार कोलकाता के एक प्रमुख प्रबंधन संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। साल 2014 से 2021 तक राज्य के शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान चटर्जी अकादमिक के तहत एक प्रमुख स्वायत्त प्रबंधन संस्थान, भारतीय समाज कल्याण और व्यवसाय प्रबंधन संस्थान (आईआईएसडब्ल्यूबीएम) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष बने। यह संस्थान कलकत्ता विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में है।
साल 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य के शिक्षा विभाग से राज्य के वाणिज्य और उद्योग में स्थानांतरित होने के बाद भी उन्होंने इस संस्थान के पद पर कब्जा जारी रखा था।
शिक्षकों की भर्ती में अनियमितता घोटाले के सिलसिले में पिछले साल जुलाई में ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद भी उनके मंत्री और पार्टी विभागों से हटाए जाने के बावजूद चटर्जी आईआईएसडब्ल्यूबीएम के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष पद पर बने रहे।
सूत्रों ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी के बाद से चटर्जी को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष के अध्यक्ष के रूप में बदलने के लिए संस्थान के शासी निकाय पर जबरदस्त आंतरिक दबाव था। दक्षिण कोलकाता में प्रेसीडेंसी विशेष सुधार गृह में अपनी न्यायिक हिरासत में सेवारत चटर्जी को स्वेच्छा से इस्तीफा देने के लिए संदेश भेजा गया था।
चटर्जी ने आखिरकार इस हफ्ते उस पद से इस्तीफा दे दिया। शुक्रवार को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की बैठक में उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया।
चटर्जी इस प्रमुख प्रबंधन संस्थान के पूर्व छात्र हैं। वहां से पास आउट होने के बाद उन्होंने आशुतोष कॉलेज से अर्थशास्त्र में डिग्री पूरी की और विशेषज्ञता के रूप में मानव संसाधन प्रबंधन में एमबीए पूरा किया।