Thursday, May 9, 2024

पाकिस्तान से उमरा के नाम पर जाते हैं मक्का, मांगते हैं भीख

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पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति वाकई चिंताजनक है। यह कितनी शर्मनाक बात है कि रोजी-रोटी के लिए मोहताज मुल्क के नागरिक उमरा के नाम पर मक्का जाते हैं और भीख मांगकर गुजर-बसर करते हैं। ऐसे ही कथित 24 भिखारियों को पाकिस्तान मुल्तान हवाई अड्डे पर सऊदी अरब जाने वाले विमान से उतारा गया। यह लोग उमरा करने के बहाने खाड़ी देश जाने की कोशिश कर रहे थे। अपने देश की तल्ख हकीकत को यहां के अखबारों ने सुर्खियां बनाया है। संघीय जांच एजेंसी के हवाले से पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने इसका ब्यौरा छापा है।

मुल्तान हवाई अड्डे पर शनिवार को सऊदी अरब जाने वाले विमान से आठ लोगों को उतारकर गिरफ्तार कर लिया गया। यह लोग उमरा के बहाने अरब देश जा रहे थे। पंजाब सूबे के मुल्तान हवाई अड्डे पर दो दिनों में ऐसी दूसरी घटना थी। दो दिन पहले भी सऊदी अरब जाने वाले विमान से 11 महिलाओं, चार पुरुषों और एक बच्चे सहित कुल 16 लोगों को उतारा गया था। इनके पास भी उमरा वीजा था। दरअसल उमरा मक्का की धार्मिक यात्रा होती है। यह साल में कभी भी की जा सकती है।

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संघीय जांच एजेंसी के आव्रजन अधिकारी तारिक महमूद ने यह सच्चाई स्वीकार की है कि गिरफ्तार किए यह लोग सऊदी अरब भिक्षावृत्ति के इरादे से जा रहे थे। मुल्क में पाई-पाई के लिए मोहताज इन लोगों का कबूलनामा भी हैरतअंगेज भरा है। इन्हें दलाल भी लूटते हैं। कुछ समय तक भीख से जुटाई गई रकम में से आधा हिस्सा दलालों को सौंपना होता है। एजेंसी ने इन लोगों के पासपोर्ट जब्त कर लिए हैं। दलालों के खिलाफ मानव तस्करी अधिनियम 2018 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पाकिस्तान में यह सब ऐसे समय पर हुआ है जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय संसद के उच्च सदन में यह खुलासा कर चुका है कि अधिकतर भिखारी गैरकानूनी तरीके से विदेश जाते हैं। मंत्रालय के सचिव जीशान खानजादा ने तो सीनेट समिति के समक्ष यहां तक कह चुके हैं कि विदेश में पकड़े जाने वाले 90 प्रतिशत भिखारी पाकिस्तान के होते हैं। जीशान खानजादा ने सीनेट की स्थायी समिति को पिछले महीने बताया था कि पाकिस्तान के भिखारी जियारत के नाम पर पश्चिम एशियाई देशों में जाते हैं। इनमें से अधिकतर नागरिक सऊदी अरब उमरा वीजा पर जाते हैं। वहां पहुंचकर भीख मांगने लगते हैं।

पाकिस्तान के नागरिकों के हाथ सचमुच तंग हैं। इराक और सऊदी अरब के राजदूतों ने तो यहां तक कहा है कि पाकिस्तान के भिखारियों की गिरफ्तारी की वजह से उनके यहां की जेलें ठसाठस भरी हैं। पाकिस्तान के दूसरे अखबार द इंटरनेशनल न्यूज ने सचिव खानजादा के हवाले से खबर दी कि मक्का की मस्जिद-अल हरम में गिरफ्तार जेबकतरों में अधिकतर पाकिस्तानी हैं।

बहरहाल खाली जेब इनसान पेट भरने के लिए कुछ भी कर गुजरता है। सवालों का सवाल यह है कि आखिर वह करे भी तो क्या। जिस मुल्क में चीनी 220 रुपये किलोग्राम बिकती हो, वहां छोटे तबके का आदमी और करेगा भी क्या। मगर तीर्थयात्रा के वीजा के नाम पर मक्का जाकर भीख मांगने वाला यह खुलासा मुल्क के रहनुमाओं के लिए चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाने जैसा है। वैसे भी जिस मुल्क के नेता अपने बाशिंदों को दो जून की रोटी और पैरों को एक जोड़ी चप्पल का इंतजाम नहीं कर सकते उन्हें चुल्लू भर पानी में डूबकर मर ही जाना चाहिए। हद तो यह है कि इस मुल्क के सहाबतपुर में मई में 20 किलोग्राम आटा की बोरी 4000 रुपये में बिक चुकी है। हालात से निपटने के लिए हुकूमत ने मुफ्त आटा बंटवाना शुरू किया तो लूटमार मच गई। इस दौरान मची भगदड़ में तमाम लोग अल्लाह को प्यारे हो गए।

और यह भी जान लीजिए। पाकिस्तान में एक साल में गरीबी का आंकड़ा 34 फीसदी से बढ़कर 39 प्रतिशत हो गया है। कुछ समय पहले तक पाकिस्तान की सड़कों और चौराहों पर पेशेवर भिखारियों का गिरोह हमेशा से कुख्यात रहा है। अब यह गिरोह सात समंदर पार कर गया है। पाकिस्तान के एक अधिकारी जुल्फिकार हैदर का कहना है कि इराक और सऊदी अरब की जेलों में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी भिखारियों के बंद होने के खुलासे से विदेशों में देश की छवि खराब हो रही है। यह एक गंभीर मुद्दा है।

कुछ समय पहले विश्व बैंक ने पाकिस्तान की आर्थिक हालत पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक, पाकिस्तान में 9.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं। यह कुल आबादी 24 करोड़ का 39.4 फीसद है। इनकी दिनभर की कमाई 3.65 डॉलर यानी 1,048 पाकिस्तानी रुपये है। भारतीय करेंसी में यह 300 रुपये के बराबर है। विश्व बैंक ने चेतावनी दी थी कि एक साल में 1.25 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आए हैं। इसे रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। मगर पाकिस्तान के हुक्मरानों को विश्व बैंक की चेतावनी से क्या मतलब। उन्हें तो कश्मीर का राग अलापने से ही फुरसत नहीं मिलती।

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